अनुभव आधारित स्वयं करके सीखने की संकल्पना अंतर्गत विद्यार्थी कागज से नई-नई चीजें बनाना सीखे
रायगढ़, (वायरलेस न्यूज़ ) शासकीय प्राथमिक शाला कोसमनारा संकुल धनागर, विकासखण्ड व जिला रायगढ़ में सहायक शिक्षिका के रूप में कार्यरत श्रीमती लक्ष्मी पटेल पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम अंतर्गत हमारे नायक चुनी गई हैं।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती लक्ष्मी पटेल ने बच्चों को स्वयं करके सीखने के अवधारणा के आधार पर छात्र-छात्राओं को कागज से नए-नए आकर्षक चीजों के निर्माण को सिखाने का प्रयास किया। अनुभव आधारित शिक्षा देने के इस प्रयास के अंतर्गत श्रीमती लक्ष्मी पटेल ने पर्यावरण विषय पर आधारित गतिविधि को चुना। मन लगाकर हम जिस कार्य को करते हैं उस कार्य पर हमें अवश्य ही सफलता मिलती है। हम देखते हैं कि हमारे कक्षा में अनेक प्रकार के विद्यार्थी पढ़ाई करने आते हैं। उन सभी बच्चों की सोच-समझ में काफी अंतर होता है। कई बच्चे आसानी से हमारी बातों को समझ लेते हैं तो कुछ बच्चे समझाने के बाद भी कुछ नहीं समझ पाते। इसी समस्या को हल करने के लिए श्रीमती लक्ष्मी पटेल ने बच्चों को अपने अनुभव से दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने सोचा कि मैं कुछ ऐसा करूं जिससे बच्चे आसानी से विषय वस्तु को समझ जाएं, क्योंकि केवल पुस्तकीय ज्ञान ही बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं होता है। जो कार्य हम अनुभव करके सीखते हैं वही स्थायी होता है। इसलिए उन्होंने पर्यावरण कक्षा तीसरी के गतिविधि को चुना। इस कार्य में संस्था के प्रधान पाठक श्री घनश्याम सिंह पटेल, सुश्री सुशीला साहू व श्रीमती सपना वैष्णव की प्रेरणा व सहयोग इन्हें सतत् रूप से मिला। विकासखण्ड रायगढ़़ के सहायक शिक्षिका श्रीमती लक्ष्मी पटेल के हमारे नायक चुने जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ श्री आर.पी.आदित्य, डीएमसी समग्र शिक्षा श्री रमेश देवांगन, एपीसी भुवनेश्वर पटेल ने इस कार्य के लिए श्रीमति लक्ष्मी पटेल को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की हैं
श्रीमती लक्ष्मी पटेल कहती है कि शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षक और रोचकता लाने और कुछ अलग करने के लिए कागज के नए-नए आकर्षक चीजें बच्चों द्वारा बनाया जाता है, जिससे बच्चों में शारीरिक और मानसिक समन्वय की क्षमता का विकास होता है। बच्चे एक साथ हाथों से बनाते हैं और मन मस्तिष्क से सोचते भी हैं। जिससे उनके बौद्धिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसी उद्देश्य से मैंने शिक्षा में इस गतिविधियों को चुना है। बच्चे बार-बार स्वयं बना कर सीखते हैं तथा इस प्रकार स्वयं से कुछ कर पाने नया बनाने की खुशी और आत्मविश्वास उनके अंदर आता है। यह गतिविधि बच्चे की कल्पना शक्ति को बढ़ाता है और उनमें एकाग्रता आती है तथा नित्य नई चीजें बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं। यह गतिविधि हमारे पाठ्यक्रम में कक्षा तीसरी के पर्यावरण से संबंधित है। इससे बच्चों में सृजनात्मकता और अविष्कार शीलता की भावना का विकास होता है। बच्चे स्वयं से इनको करके सीखते हैं। नए चीजों को बनाने के लिए कल्पना शक्ति को बढ़ाते हैं। जिससे बौद्धिक स्तर बढ़ता है। प्राथमिक स्तर के बच्चों की शिक्षा में इस तरह के कौशल के द्वारा बौद्धिक स्तर का विकास किया जाता है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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