बिलासपुर (वायरलेस न्यूज)राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की पहल

अभियान ‘‘पहचान’’ के तहत गुमशुदा बच्चों, भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों एवं बुजुर्गो तथा मानसिक मरीजों, दुर्घटना में मृत हुए अज्ञात व्यक्तियों इत्यादि के परिजनों एवं निवास पते की खोज आधार कार्ड के माध्यम से कराई जावेगी……………..

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष माननीय श्री न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के निर्देशानुसार मानसिक मरीज जो विभिन्न स्थानों जैसे रेल्वे स्टेशन, बस स्टेशन या सार्वजनिक स्थल पर घुमते हुए पाये जाते हैं, ये मानसिक मरीज कभी कभी दूसरे राज्यों से भी भटक कर छत्तीसगढ़ में आ जाते हैं, जिन्हें उपचार हेतु राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी, बिलासपुर में भर्ती कराया जाता है, तथा वे उचित उपचार उपरांत उनके स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें पुर्नवास हेतु हॉफ वे होम में रखा जाता है, ऐसे मरीजों को उनके परिजनों से मिलाने हेतु प्रयास किया जाता है, किन्तु उनका सही पता नहीं होने के कारण वे हॉफ वे होम या मानसिक चिकित्सालय में रहने को मजबूर रहते हैं, ऐसे मरीजों को उनके निवास व परिजनों तक पहुंचाने के लिये नालसा (मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिये विधिक सेवाएं) योजना, 2015 तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अभियान ‘‘उम्मीद’’ के अंतर्गत मरीजों के परिजनों/निवास का पता करने हेतु नजदीक के आधार केन्द्र/लोक सेवा केन्द्र/च्वाईस सेंटर के माध्यम से उनके उंगलियों एवं आंखों की जांच के माध्यम से पता लगाये जाने के संबंध में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री आनंद प्रकाश वारियाल द्वारा राज्य मानसिक चिकित्सालय एवं हॉफ वे होम को आवश्यक निर्देश जारी किये गये है उक्त कार्य में स्थानीय पुलिस की मदद तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैरालीगल वॉलिंटियर्स की सेवाओं लिये जाने के भी निर्देश दिये गये हैं।
इसके अलावा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव ने यह भी बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट पीटिशन (सिविल) क्र0 427/2022, बचपन बचाओ आंदोलन विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया में दिये गये निर्देशों के पालन के अनुक्रम में गुमशुदा बच्चों के अलावा दुर्घटनाओं में मृतक की पहचान, मानसिक रोगियों आदि की पहचान सरलता, सुंगमता एवं शीघ्रता से किये जाने में आधार कार्ड एक प्रमुख दस्तावेज होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह छोटा बच्चा ही क्यों न हो, उनका आधार कार्ड बनवाया जाना आवश्यक है, ताकि छोटे बच्चों के गुम होने या चौंक चौराहों पर उनकी भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर या अत्यंत ही वृद्ध व्यक्तियों के द्वारा भिक्षावृत्ति में लिप्त पाये जाने पर और उनके द्वारा अपने निवास या परिजनों का पता नहीं बता सकने की स्थिति में उनके निवास एवं परिजनों का पता उनके अंगूठा निशानी एवं आंखो की पुतलियों की जांच कर आधार कार्ड के माध्यम से आसानी से लगाया जा सकता है तथा उन्हें उनके निवास पता/परिजनों तक राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से सकुशल पहुंचाया जा सकता है। इसके अलावा पुलिस द्वारा गुमशुदा बच्चों की बरामदगी किये जाने एवं बच्चों द्वारा अपने निवास स्थान या परिजनों का सम्पूर्ण ब्यौरा देने में असमर्थ होने की स्थिति में संबंधित पुलिस कर्मी द्वारा ऐसे गुमशुदा बच्चों का च्वाईस सेंटर/ आधार कार्ड सेवा केन्द्र के माध्यम से उनके उंगलियों एवं आखों की जांच उपरांत उनके आधार कार्ड के आधार पर तत्काल उनके परिजनों का पता लगाया जाकर उनकी सकुशल घर वापसी कराया जा सकता है। इस हेतु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव द्वारा समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को तत्संबंध में एक विशेष अभियान ‘‘पहचान’’ के तहत जिला एवं तालुका स्तर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों, शिविरों के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं संबंधित विभाग के सहयोग एवं समन्वय से आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देश जारी किये गये है।
ज्ञात हो कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा स्वस्थ हो चुके मानसिक मरीजों को उनके परिवारजन से मिलाने व उनके निवास स्थान तक भिजवाने की कार्यवाही हेतु पूर्व से अभियान ‘‘उम्मीद’’ चलाई जा रही है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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