रायगढ़। (वायरलेस न्यूज़) सहयोग की अपील के लिये पिता दर दर की ठोकर खाने पदमनाभ प्रधान थाना पुसौर के सामने टेन्ट लगाकर बैठने व सीताराम चैहान कर नापने व बच्चे की जान बचाने के लिये सडक पर उतरने मजबूर हो गए हैं।
मामला रायगढ़ जिले के पुसौर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राम तुरंगा का है। ग्राम तुरंगा के निवासी नरेन्द्र नायक व श्रीमती पदमिनी नायक का लगभग 16 माह का पुत्र छायांक ष् ैड। ज्ल्च्म् 1ष् नामक गम्भीर बीमारी से जुझ रहा है जिसके इलाज का अनुमानित खर्च लगभग 16 करोड रुपये बताया गया है। पीडित छायांक के पिता पेशे से व परिवार के भरण पोषण के लिये खेती का कार्य करते हैं, बेटे की इस बीमारी से मानो परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा हो। पीड़ित बच्चे के पिता नरेन्द्र नायक अपने परिवारिक सदस्यों सहित इस मुसीबत मे उनके साथ खड़े उनके सहयोगी पदमनाभ प्रधान व सीताराम चैहान हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं।
कुछ दिनो पूर्व जिला कलेक्टर कार्यालय मे उनके पिता नरेन्द्र नायक, सहयोगी समाजसेवी पदमनाभ प्रधान व सीताराम चैहान से मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया कि वो हर सम्भव प्रयास कर चुके हैं जिला कलेक्टर महोदय से लेकर जनप्रतिनिधियों के कई चक्कर काट चुके हैं किन्तु कोई सकारात्मक व सहयोगात्मक परिणाम नही निकल सका है और निराशा ही हाथ लगी है।
बेबस व लाचार पिता व परिवार के दर्द को सुनने व समझने के साथ इस तकलीफ से बचाने न तो प्रशासन व न ही जनप्रतिनिधि सामने आ रहे हैं।
छायांक के पिता परिवार जन व इस दुख मे उनके साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़े पदमनाभ प्रधान व सीताराम चैहान दर दर भटकने को मजबूर है। इस दुख की घड़ी मे छायांक को बचाने व परिवार का साथ देने और 16 करोड़ की राशि एकत्र करने स्कूली बच्चे रैली के माध्यम से सहयोग की अपील कर रहे हैं तो वहीं समाजसेवी पदमनाथ प्रधान थाना पुसौर के पास टेन्ट लगाकर दिन रात विगत 8-10 दिन से बैठे हुये हैं वहीं आज सीताराम चैहान कर नापते हुये जिला प्रशासन व आम जनता से सहयोग की अपील कर रहे है।
दुख तो तब होता है जब शासन प्रशासन की अनेक कल्याणकारी व महत्वाकांक्षी योजना के बावजूद पीडित परिवार को कोई लाभ नही मिलता तथा पीडित परिवार दर दर की ठोकर खाने को मजबूर होते हैं और उनके पास कोई विकल्प नही होता।
पीडित परिवार के सहयोगी पदमनाभ प्रधान का कहना है कि जिला कलेक्टर व जनप्रतिनिधि अगर स्थानीय जनता से अपील कर दे तो यह 16 करोड़ की राशि आसानी से एकत्र हो सकती है और बेटे छायांक को बचाया जा सकता है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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