रायपुर ( वायरलेस न्यूज़ 16 फरवरी,) सूरजपुर के ग्रामीणों में प्यारे नामक हाथी और अन्य हाथियों के विरुद्ध रोष पैदा करवाकर, प्यारे हाथी और एक अन्य हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर रामकोला में आजीवन कैद करने की मीडिया में मांग करने वाले वनमंडल अधिकारी सूरजपुर के विरुद्ध वन्यजीव प्रेमियों ने वन मंत्री अकबर से आज मुलाकात कर शिकायत की कि ग्रामीणों को समय पर हाथी विचरण की जानकारी देने में असफल होने, जिससे मानव हाथी द्वन्द बढ़ रहा है एंव ग्रामीणों में हाथियों के संबंध में जागरूकता पैदा करने में अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए वनमंडल अधिकारी सूरजपुर गैर-क़ानूनी मांग उठा रहे हैं कि प्यारे नामक एवं एक अन्य हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर रामकोला भिजवाया जावे।
वनमंडल अधिकारी मुख्यालय को प्यारे हाथी को पकड़कर हाथी रेस्क्यू सेंटर रमकोला भिजवाने लिए भी पत्र लिख रहे है और मीडिया में प्यारे हाथी के विरुद्ध प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

वन मंत्री को बताया गया कि प्यारे हाथी को नवम्बर 2019 में रेडियो कॉलर लगाया गया था, जो कि बाद में गिर गया, उसके पश्चात प्यारे हाथी को नया रेडियो कॉलर लगाने के प्रयत्न ही नहीं किया गया। सूरजपुर और आसपास के इलाकों में कई हाथियों का मूवमेंट रहता है ऐसे में रेडियो कॉलर के अभाव में और बिना किसी वैज्ञानिक आधार के हर जन-हानि की जवाबदारी प्यारे हाथी पर डाली जा रही है। वन विभाग प्यारे हाथी के विरुद्ध वैसा ही माहौल बना रहा है जैसा कि गणेश नामक हाथी के विरुद्ध बनाया गया था।
वन मंत्री को बताया गया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम प्रावधानित करता है कि अधिसूचित एक के संरक्षित वन्यप्राणी हाथी को पकड़कर बंधक नहीं बनाया जा सकता। अगर वन हाथी को पकड कर बंधक बनाया जाता है हो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराध होगा जिसके लिए 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है। वन मंत्री ने आश्वत किया कि कानून का पूरा पालन किया जायेगा।
क्या मांगें की गई वन मंत्री से
वन्यजीवों के लिए कार्यरत नितिन सिंघवी ने बताया कि वन मंत्री ने सभी मांगों को गंभीरता पूर्वक सुन कर उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। मांग की गई कि प्यारे हाथी को रेडियो कॉलर लगवाया जावे तथा रेडियो कॉलर लगने उपरांत हर घंटे हाथी विचरण की सूचना ग्रामीणों को दी जावे। पूरे प्रदेश में विचरण करने वाले नर हाथियों को तथा विचरण कर रहे वन हाथी के परिवारों की मुख्य मादा को रेडियो कॉलर लगाया जाये। गौरतलब है की अमूनन नर हाथी लगभग 80 प्रतिशत जीवन अकेला रहता है, इसलिए हाथियों के विचरण की सामयिक जानकारी काफी हद तक समस्या का निराकरण करेगी। मांग की गई कि ग्रामीणों में जागरूकता पैदा की जावे कि वे वन विभाग की चेतावनीयों का पालन करें क्यों कि अधिकतम जन-हानि तब हो रही है जब वन विभाग की मनाही की बावजूद ग्रामीण हाथी विचरण क्षेत्र में जाते हैं ग्रामीण हाथियों को परेशान करना बंद करें। फसल कंपनसेशन की दर रुपये चोइस हजार प्रति एकड़ करने की मांग की गई इससे ग्रामीण फसल रक्षा के लिए नहीं जायेंगे जिससे जनहानि काफी कम होगी।
नितिन सिंघवी
98261-26200
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