नक्सल वाद के बाद धर्मवाद के नाम पर आदिवासीयों को किया जा रहा प्रताड़ित-
सत्ता तक पहुंचने के लिए धर्म और आदिवासीयों को बनाया जा रहा सीढ़ी-
बस्तर की शांत फिजा में धार्मिक उंमाद फैलाकर 18 गांव के हजारों आदिवासीयों को किया गया प्रताड़ित 5 गांवों के ग्रामीण अभी भी नारायाणपुर बने है शरणार्थी-
चुनाव पूर्व धर्म की आग लगाकर राजनीति की रोटी सेकना चाहते भाजपा और कांग्रेसी-
रायपुर (वायरलेस न्यूज दिनांक 11 जनवरी 2023. ) विगत दिनों बस्तर के नारायणपुर जिले के अंतर्गत धार्मिक हिंसा एवं उंमाद के संबंध में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जांच समिति ने अपना रिर्पोट प्रस्तुत किया है जिसमें अनेक चौकाने वाले तथ्य सामने आये है। यह लड़ाई धार्मिक नहीं बल्कि सत्ता तक पहुंचने के लिए एक राजनीतिक साजिश है जिसमें तथाकथित बहरूपये लोग शामिल है जो दिन में आदिवासी नेता का चोला पहनते है और रात को भगवा झंडा लेकर धर्म के नाम पर आदिवासियों को प्रताड़ित कर रहे है। घटना भले ही आज घटित हुई है लेकिन इसकी पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी है जो कि पूर्व पुलिस अधिकारी जी.पी. सिंह की डायरी और सुकमा पुलिस अधीक्षक के पत्र के स्पष्ट हो जाता है। ठीक चुनाव के पहले बस्तर को धर्म की आग में झोक कर सत्ता हासिल करना चाहते है जिसके लिए दोनों ही राष्ट्रिय दल जिम्मेदार हैं। पहले बस्तर नक्सलवाद में जल रहा था अब धर्मवाद की आग में जलाने का प्रयास किया जा रहा है। नारायणपुर की सामप्रदायिक घटना से 18 गांव के हजारों आदिवासी परिवार प्रभावित और प्रताड़ित हुए है वहीं बोरावंड, भाटपाल, देवगांव, कुहाड़गांव, रेमावंड 5 गांव के आदिवासी ग्रामीण आज भी अपने जान माल की भय से नारायणपुर के इंडोर स्टेडियम में शरणार्थी बनकर रह रहें है। इस संबंध में हमारी जांच कमिटी ने घटना स्थल में जाकर जानकारी लिया गया कि आदिवासियों के बीच में धर्म के नाम पर जहर घोलने और आपस में लड़ाने की साजिश महीनों से चल रही है जिसकी शिकायत पीड़ित आदिवासियों ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, थाना प्रभारीयों एवं आदि प्रशासनिक अधिकारियों को दिया गया परन्तु शासन उक्त आवेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं की शायद प्रशासन नारायणपुर जैसी घटना का इंतेजार कर रही थी। असमाजिक तत्वों द्वारा नारायणपुर में धार्मिक भावना भड़काने के लिए जानबुझ कर चर्च में हमला किया गया विशेष धर्म के लोगों के साथ जमकर मारपीट की गई, चर्च को तोड़-फोड़ करने के संबंध में शांत करने वाले एस.पी. सदानंद कुमार को भी असमाजिक तत्वों ने नहीं छोड़ उन पर भी हमला कर दिया जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव निर्मित हो गई। उक्त घटना को अंजाम देने वालों में ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता और कार्यकर्ता है जिनके विरूद्ध पुलिस के द्वारा मामला दर्ज किया गया है जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष रूपसाय सलाम की मुख्य भूमिका है। जांच कमिटी को ये भी जानकारी मिली है कि आदिवासियों के हितैषी होने का ढ़ोग करते हुए भाजपा के द्वारा बड़ी आदिवासी रैली का आयोजन किया गया था और उपरोक्त धार्मिक हिंसा को अंजाम दिया था। घटना स्थल के बाजू में एक स्कूल भी संचालित है जहां पर घटना के दौरान स्कूल में लगभग एक हजार बच्चे उपस्थित थे जहां पर एक बड़ी अनहोनी घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता था। उपरोक्त घटना के पश्चात भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेता घटना को लेकर राजनीति कर रहे है बयान बाजी कर रहे है लेकिन किसी भी दल का प्रतिनिधी मंडल घटना स्थल में जाकर पीड़ित लोगों से मिलकर घटना की वास्तविक जानकारी नहीं ली गई बल्कि पूर्व मंत्री श्री केदार कश्यप जी के द्वारा उनके विधानसभा क्षेत्र में लगातार ओरक्षा ब्लॉक में स्थित आमदाई लोहा खदान एवं रावघाट परियोजना का स्थानीय आदिवासी समाज के द्वारा विरोध स्वरूप किये गये किसी भी प्रदर्शन में कभी भाग नहीं लिए, सरकार में रहते हुए फर्जी नक्सली मुड़भेड़, नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण जैसे बस्तर संभाग के गंभीर मुद्दे पर आदिवासी समुदाय के विरोध के पक्ष में बयान नहीं दिए और अब धर्म के नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रहे है जो उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है। जोगी कांग्रेस ने नारायणपुर की घटना को लेकर न्यायिक जांच की मांग करते हुए दोषियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है।
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