कोरोनाकाल में उद्योग व्यापार पूरी तरह से चरमराई हुई है ऐसे में अमर के लिए एक बड़ी चुनौती होगी

बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़)
छत्तीसगढ़ चेंबर आफ कामर्स जो कि राज्य में व्यापारियों की सबसे प्रमुख व सर्वमान्य संगठन है, में वही पदाधिकारी बनते रहे है जो सीधे तौर पर पूरनलाल-श्रीचंद गुट से ताल्लुक रखते रहे हों। पिछले चार दशक से इस गुट का कब्जा था। पहली बार चेंबर में अमर पारवानी की जीत के साथ इतिहास बदला है,भले ही पारवानी भी किसी समय में श्रीचंद के चेले रहे हों। वक्त के साथ सब कुछ बदल गया। चुनावी समर में इस बार समझ तो आ गया था कि मुकाबला कड़ा है। इसलिए कि व्यापारी एकता पैनल के बराबर की रणनीति हर क्षेत्र में जय व्यापार पैनल ने भी बना रखा था। कैट के बैनर पर अमर ने एक बड़ी टीम व्यापारियों के बीच में से तैयार कर ली थी और लगातार व्यापारिक मुद्दों को लेकर वे सक्रिय रहे। एक प्रकार से पिछले चुनाव के बाद से ही उन्होने तैयारी शुरू कर दी थी। वो समय भी याद होगा जब चेंबर में पूरनलाल, श्रीचंद व इनायत अली की तिकड़ी की तूती बोलती थी। वरिष्ठजनो में रमेश मोदी, शिवराज भंसाली, पोहूमल, भारामल, साहनी से लेकर तमाम लोगों की बात मानी जाती थी, लेकिन पिछले तीन-चार चुनाव में घमासान मचा धन-बल से लेकर राजनीतिक संरक्षण तक बात पहुंच गई और यहां तक कि जातिगत समीकरण के आधार पर प्रत्याशियों का चयन होने लगा। कमोबेश इस बार भी वही स्थिति रही। योगेश अग्रवाल एक बड़ा चेहरा था जिसे पंच कमेटी ने तय किया था, व्यापारी एकता पैनल अपनी पुरानी टीम के भरोसे ही ज्यादा थी नए युवा मतदाताओं को साधने में वे चूक गए जो अजय भसीन-श्रीनिवास जैसे लोगों ने जय व्यापार पैनल के पक्ष में पलटा लिया। योगेश के साथ बाहरी लोगों की टीम का जुडऩा भी प्रचार के दौरान माइनस प्वाइंट रहा। कोरोनाकाल में चुनाव को लेकर असमंजस की स्थिति भी बनी रही लेकिन चुनाव हुआ तो बदले परिणाम ने सभी को चौंका दिया। इस चुनाव में यह भी देखने को मिला कि बहुत से लोगों ने पाला बदल लिया। चेंबर के अंदर काम करने वाली अनुषंगी संगठन से वोट बैंक के आधार को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी उतारा गया था इसमें भी व्यापारी एकता पैनल को काफी गड्ढा मिल गया। सराफा एसोसिएशन से ही उन्हे वोट नहीं मिल पाए। आटोमोबाइल्स सेक्टर से जुड़े लोगों ने अमर के पक्ष में काफी मेहनत की, उन्होने दूसरे सेक्टर से भी वोट बंटोरे। पहली बार तो हुआ है जब हर जिले में दोनों प्रमुख पैनल दमदारी से आमने सामने थे। श्रीचंद सुंदरानी ही व्यापारी एकता पैनल की पूरी कमान संभाले थे लेकिन योगेश अग्रवाल के पक्ष में भाजपा के लोगों द्वारा काम किये जाने की बात आती रही। विधानसभा में हार के बाद यह श्रीचंद को दूसरा बड़ा झटका है। वहीं निवृतमान हो रहे पदाधिकारियों ने खुलकर काम नहीं किया। यह बात चुनाव के बीच में वर्तमान महामंत्री पद के प्रत्याशी के आडियो से वायरल भी हो गया था। प्रत्याशी चयन के मामले में जय व्यापार पैनल ज्यादा सही रहा, उन्होने उस प्रत्याशी को उसी क्षेत्र का जिम्मा देकर बाहर न निकलने की रणनीति तय कर दी थी। व्यापारी एकता पैनल ताम झाम में खो गए ऐसा लगता है। वहीं बदलाव की बयार भी व्यापारियों के बीच में नजर आने लगा था इसलिए व्यापारियों का पक्ष दमदारी से रख सकने वाला चेहरा अमर पारवानी में उन्हे नजर आया। वोट का ग्राफ देखें तो तीन प्रमुख पदों में जहां व्यापारी एकता पैनल के पक्ष में 5 हजार तो जय व्यापार पैनल के पक्ष में 7 हजार का आंकड़ा अमूमन दिख रहा है मतलब वोट किसी चेहरे को नहीं मतदाताओं ने पैनल को सोंच समझकर दिया है। परिणाम के बाद की स्थिति पर नजर डालें तो राज्य व केन्द्र में अलग पार्टी की सरकार है तो नीतियों में भी सामंजस्य तय नहीं हैं वहीं कोरोनाकाल में उद्योग व्यापार पूरी तरह से चरमरा गया है ऐसे में एक बड़ी चुनौती व्यापारिक नेतृत्व के लिए अमर के पास है लेकिन वे सारे विषयों से अच्छी तरह वाकिफ हैं,क्योकि कैट के लिए काम करते रहे हैं। अब दोहरी जिम्मेदारी में से क्या कैट का ताज किसी और को सौपेंगे या साथ चलायेंगे यह भी बड़ा सवाल है। लेकिन जो सबसे बड़ी फैक्ट वाली बात रही है वह यह कि पूरनलाल अग्रवाल और श्रीचंद का झंडा लेकर चार दशक तक चलने वालों की अब चेंबर आफ कामर्स से विदाई हो चुकी है। नए चेहरों के साथ टीम अमर को बधाई..। दूरगामी सोंच के साथ- सबको साथ लेकर केवल व्यापारिक हित में काम करें इसी में चेंबर आफ कामर्स के सांगठनिक हित की सार्थकता निहित होगी।