**पंडित अमृतलाल दुबे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे : डाॅ पाठक**
**साहित्य अकादमी द्वारा “लोक साहित्य में लोक चेतना “विषय पर राज्य स्तरीय संगोष्ठी आयोजित**
**डाॅ विनय कुमार पाठक को “साहित्य गौरव अलंकरण “एवं अन्य साहित्य एवं समाजसेवियों का हुआ सम्मान**
बिलासपुर । ( वायरलेस न्यूज़) छत्तीसगढ़ के यशस्वी साहित्यकार एवं छत्तीसगढ़ी में प्रथम ईसुरी पुरस्कार से सम्मानित पंडित अमृतलाल दुबे जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन संस्कार भवन पुराना सरकंडा बिलासपुर में किया गया ।
यह आयोजन श्री शशांक शर्मा अध्यक्ष साहित्य अकादमी रायपुर के मुख्य आतिथ्य में डाॅ विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार की अध्यक्षता एवं समारोह भूषण न्यायामूर्ति श्री चन्द्रभूषण वाजपेयी के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ ।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के महाकवि कपिलनाथ कश्यप जी के साहित्य की प्रदर्शनी लगायी गयी ।
इस अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा लोक साहित्य में सुप्रसिद्ध साहित्यकार भाषाविद् डाॅ चितरंजन कर रायपुर की अध्यक्षता में “लोक साहित्य में लोक चेतना “विषय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन डाॅ विवेक तिवारी के संचालन में किया गया ,जिसमें विशिष्ट वक्ता के रूप में डाॅ विनय कुमार पाठक, डाॅ विजय कुमार सिन्हा जी, डाॅ देवधर महंत, श्री बलदाऊ राम साहू ने अपने शोधपूर्ण विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर आधार वक्तव्य में श्री शशांक शर्मा अध्यक्ष छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी रायपुर ने कहा कि लोक साहित्य में लोक चेतना पूर्णतः सम्पृक्त रहता है क्योंकि वह जीवन की अनुभूतियों से उद्भूत होता है ।वह लोक की आत्मा की आवाज होता है।
” छत्तीसगढ़ की लोकगाथा पर पीएचडी करने वाले डाॅ विजय कुमार सिन्हा ने लोकसाहित्य की विशिष्टताओं की जानकारी देते हुए कहा कि लोक साहित्य में धर्म और संस्कृति रची बसी होती है इसलिए वह गंगा की निर्मल धारा सा पावन होता है ।
डाॅ देवधर महंत ने कहा कि वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति पर शोध करने की आवश्यकता है ताकि नयी पीढ़ी उससे परिचित हो सके ।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री बलदाऊ राम साहू जी ने कहा कि लोक साहित्य में महत्वपूर्ण कार्य करके पंडित अमृतलाल दुबे जी ने लोकसाहित्य और संस्कृति की सेवा की है।आयोजन समिति द्वारा लोक साहित्य में शोध करने वालों को सम्मानित किये जाने की परंपरा प्रशंसनीय है । उन्होंने लोक चेतना के तत्वों पर प्रकाश डाला ।
इस अवसर पर साहित्यकार एवं समाजसेवियों के सम्मान के क्रम में डाॅ विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार को “साहित्य गौरव अलंकरण ” तथा अन्य साहित्यकारों तथा समाजसेवियों को ” साहित्य साधना सम्मान ” “समाज सेवा सम्मान ” से सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर पंडित अमृतलाल दुबे पर केन्द्रित “विशेषांक” संपादक डॉ विवेक तिवारी एवं डाॅ राघवेन्द्र कुमार दुबे की कृति ” मेरी छत्तीस लघुकथाएं ” साथ ही डॉ रामनिवास साहू की कृति “छत्तीसगढ़ी संवाद का वैश्विक संदर्भ”, श्रीमती रश्मि रामेश्वर गुप्ता की कृति “अंतर्मन” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया ।
आयोजन के मुख्य अतिथि श्री शशांक शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित अमृतलाल दुबे जी का लोकसाहित्य को समर्पित जीवन हम सभी के लिए प्रेरक है । उन्होंने छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी साहित्य सृजन कर साहित्य के भंडार को समृद्ध किया है ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डाॅ विनय कुमार पाठक ने कहा कि पंडित अमृतलाल दुबे जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे ।उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रेरक था ।उन्होंने अपनी छत्तीसगढ़ी लोकगीत पर केन्द्रित अनूठी कृति “तुलसी के बिरवा जगाय ” में जहाँ छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का हिन्दी में अर्थानुवाद किया है ,वहीं लोक गीतों में निहित संगीत पक्ष को उधृत करके अनूठा कार्य किया है । वे साहित्य साधना के लिए अपने परिवार के लिए ही नहीं पूरे साहित्यकारों के लिए प्रेरक हैं । ”
समारोह भूषण न्यायामूर्ति श्री चन्द्रभूषण वाजपेयी के ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित अमृतलाल दुबे सुप्रसिद्ध लोक साहित्यकार और समाजसेवी थे । वे आदिम जाति कल्याण विभाग में उप संचालक के व्यस्ततम पद पर रहते हुए भी उन्होंने छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए जो कार्य किया है वह सदा अनुकरणीय रहेगा।
उन्होंने आयोजन समिति द्वारा उनकी स्मृति में प्रति वर्ष आयोजित किए जाने वाले साहित्यकार सम्मान की परंपरा की प्रशंसा करते हुए बधाई दी ।
इस अवसर पर स्वागत भाषण में डाॅ राघवेन्द्र कुमार दुबे ने जयंती समारोह समिति बिलासपुर के प्रयासों की जानकारी दी ।
इस अवसर पर सरस्वती वंदना और छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना की प्रस्तुति श्री राम निहोरा राजपूत ने दी वहीं काव्यांजलि स्वरूप सनत तिवारी, राजेश सोनार ने कविता का पाठ किया वहीं डाॅ अंकुर शुक्ला, श्रीमती प्रभा पाण्डेय, ने पंडित अमृतलाल दुबे जी के गीतों और कविताओं का पाठ किया ।
अतिथियों का स्वागत संयोजक महेन्द्र दुबे, डाॅ राघवेन्द्र दुबे, डाॅ विवेक तिवारी, अंजनी कुमार तिवारी सुधाकर, शत्रुघन जैसवानी, आशीष श्रीवास, राजेश सोनार, डाॅ बजरंगबली शर्मा, राम निहोरा राजपूत, डाॅ अंकुर शुक्ला, द्वारा किया गया ।
इस अवसर पर अजनी कुमार तिवारी सुधाकर जी के संचालन में आयोजित कवि गोष्ठी में बिलासपुर एवं अंचल के कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया ।
इस अवसर पर रायपुर बिलासपुर एवं अंचल के परिवारजन , साहित्यकार एवं नागरिक उपस्थित थे ।
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