(किशोर कर ब्यूरोचीफवायरलेस न्यूज़ महासमुंद)

रायपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने आज शास्त्री चौक रायपुर स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक के द्वारा बिना तलाक लिये सखी सेंटर कोण्डागांव की प्रशासिका से दूसरा विवाह कर लिया है, उसके विरूद्ध प्रकरण प्रस्तुत किया जो कि स्वयं एक अधिवक्ता भी है।यह भली-भांति जानते हुए कि विधिवत तलाक लिये बिना की गई शादी अवैधानिक होती है, और इससे भी बड़ी गलती यह है कि स्वयं सखी सेंटर की प्रशासिका पद पर पदस्थ होते हुये आवेदिका के मामले में कार्यवाही करने,आवेदिका को भरण करने के स्थान पर जानबूझकर धोखाधड़ी करने,उनके दस्तावेज गायब करने और अनावेदक के साथ मंदिर में शादी किया है।इस बात की स्वीकारोति केन्द्र प्रशासिका ने आयोग के समक्ष किया।उसने अनावेदक से दूसरा विवाह करने का अपराध किया है, जिसके लिये आवेदिका उसके विरूद्ध धारा 494 भा.द.वि का अपराध पंजीबद्ध करा सकती है।
आवेदिका की शिकायत सही पायी गयी और उसने अपनी शिकायत सखी सेंटर कोण्डागांव की केन्द्र प्रशासिका के विरूद्ध ही प्रस्तुत किया था।ऐसी दशा में आयोग की ओर से महिला बाल विकास की सचिव को इस प्रकरण की प्रति और ऑर्डरशीट की प्रति संलग्न करते हुये उनके खिलाफ कार्यवाही किये जाने के लिये अनुशंसा आयोग द्वारा किया गया है।
विभाग तत्काल प्रभाव से सखी सेंटर कोण्डागांव की केन्द्र प्रशासिका को निलंबित करते हुये कारण बताओ नोटिस देकर विभागीय जांच की प्रक्रिया करे एवं जांच पूर्ण होने पर केन्द्र प्रशासिका के पद से निष्कासित करने और लिये गये निर्णय की सूचना महिला आयोग को दो माह के अंदर प्रेषित करने कहा गया है।
एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षकारों ने आपसी सहमति से तलाकनामे के लिये एकमुश्त भरण-पोषण राशि के लिये ढाई लाख रूपये की सहमति दिया गया। दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति हुई है कि सबसे पहले शादी का सामान है वह आवेदिका को देंगे और फिर दोनों पक्ष अपना वकील तय कर ले और न्यायालय में तलाक का आवेदन प्रस्तुत करने की स्थिति में अनावेदक पहली किस्त सवा लाख रूपये आवेदिका को चेक, डिपाजिट से देगा 6 माह बाद आपसी सहमति से तलाक के गवाही होने पर शेष सवा लाख रूपये पुनः इसी तरह से अदा करेगा। यह राशि अंतिम भरण-पोषण हेतु निर्धारित किया गया है जिस पर आवेदिका भविष्य में कोई भी दावा आपत्ति नहीं करेगी और न किसी तरह की कानूनी कार्यवाही करेगी तब आवेदिका स्वतंत्र होगी अपना निर्णय लेने के लिये। इसी तरह एक मामले में 3 लाख अंतिम भरण-पोषण की राशि तथा आपसी राजीनामा से तलाक होना तय हुआ।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका का कथन है कि अनावेदकगणों ने समाज से बहिष्कृत कर दिये है।गांव के लोग सामाजिक कार्य में सहयोग नहीं करते है। अनावेदकगणों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि आवेदिका को गांव समाज से बहिष्कृत नहीं किया गया है, न ही इस संबंध में कोई बैठक हुआ है। इस स्तर पर अनावेदकगणों को समझाइश दिया गया कि आवेदिका के बेटी के सगाई और वैवाहिक कार्यक्रम में कोई रोक नहीं लगाएंगे एवं किसी तरह से दुर्व्यवहार नहीं करेंगे। आवेदिका को समझाइश दिया गया कि गांव के सभी लोग से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें।सब मिल-जुलकर रहने का निर्देशित कर प्रकरण का निराकरण किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका की शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया है। पुलिस जांच शुरू हो जाने के कारण आयोग की कार्यवाही का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। आवेदिका ने सुनवाई में आने से इंकार कर दिया जिससे प्रकरण का निराकृत किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदिका स्वयं 181 की प्रभारी है और उनके विरूद्ध आवेदिका ने शिकायत की है।अनावेदिका का कथन है कि 181 का संचालन ट्रस्ट का मैनेजमेंट का मामला है। इस स्तर पर अनावेदिका को समझाइश दिया जाता है कि आगामी सुनवाई को ट्रस्ट के वरिष्ठ पदाधिकारी को उपस्थित करायें। अनावेदिका चाहे तो ट्रस्ट के ऐसे कर्मचारी का नाम दे दे ताकि विधिवत तरीके से कार्यवाही किया जा सके।
अनावेदिका को यह भी समझाइश दिया जाता है कि इस प्रकरण के निराकरण तक आवेदिका के साथ किसी भी तरह की विभागीय कार्यवाही बदले की भावना से ना करे और ना ही नौकरी से निकालने की कार्यवाही करे। आवेदिका को समझाइश दिया जाता है कि प्रकरण के निराकरण तक विभागीय कार्यवाही आदेशों का पालन करते रहे, और किसी भी तरह की शिकायत होने पर ट्रस्ट को मेल के माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराएं।इसकी एक प्रति आयोग में भेजना सुनिश्चित करें।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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