रेलवे आरक्षण केंद्र में आग से ‘बच` गए अधिकारी, अधेड़ चोर पर मढ़ दिया सारा दोष, क्या है सारा खेल जो आरपीएफ के लिए अबूझ बना?

रायपुर (वायरलेस न्यूज़) रायपुर रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र में रविवार आधी रात दस्तावेजों में लगाई गई आग मामले में कई सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों का दावा है कि रेलवे आरक्षण केंद्र में लगाई गई आग में कमर्शियल विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ दस्तावेजी सुबूत भी जलकर खाक हो गए हैं ? इस अधिकारी के खिलाफ आरपीएफ केस दर्ज कर जांच कर रहा था। इससे पहले कि जांच पूरी हो पाती, योजना बनाकर आगजनी के इस खेल को अंजाम दे दिया गया। खुद को बचाने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों ने सारा दोष एक अधेड़ चोर के पर मढ़ दिया।
शराब पार्टी के बाद खिड़की बंद करना भूले थे
जानकार सूत्रों ने बताया कि आरपीएफ के हत्थे चढ़े चोर संतोष नेताम ने पूछताछ में बताया कि वह आरक्षण केंद्र के पीछे स्थित खिड़की से भीतर घुसा था। उसने यह भी बताया कि खिड़की खुली हुई थी। दरअसल अंदर चल रही शराब पार्टी में शामिल एक स्टाफ ने रात 11 बजे के बाद पान खाने के बाद थूकने के लिए उस खिड़की खोली थी और बंद करना भूल गया था। हालांकि चोर के बयान में कितनी सच्चाई है, यह तो आगे की जांच और सीसीटीवी फुटेज से सामने आएगा, लेकिन इस पूरे मामले में आरपीएफ और कमर्शियल विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। खुद को बचाने के लिए घटनाक्रम के पीछे की सच्चाई को दबाने में लगे हैं।
पहले नहीं मिली कंप्यूटर चोरी की जानकारी
आरक्षण केंद्र में चोरी होने की जानकारी आरपीएफ से रेलवे कर्मचारी छिपा लेते हैं, लेकिन जैसे ही तीन कर्मचारियों को निलंबित करने की कार्रवाई की जाती है, वैसे ही दोपहर एक बजे आरक्षण केंद्र में चोरी की घटना सामने आ जाती है। जबकि केंद्र जब खुला, तब स्टाफ ने देख लिया था कि वहां से कंप्यूटर का मानिटर चोरी हुआ है। यह जानकारी पहले क्यों छिपाई गई? इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं।
सीसीटीवी फुजेट नहीं किया सार्वजनिक
रेलवे के जानकार सूत्रों ने बताया कि चोर ने भले ही खुली खिड़की से भीतर दाखिल होने की जानकारी आरपीएफ को दी है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। आशंका यह है कि चोर मुख्य गेट से ही भीतर गया है क्योंकि वह पहले से खुला था। शराब पार्टी करने के लिए इसी गेट से कमर्शियल विभाग के तीन कर्मचारी बार-बार आना-जाना करते हुए वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में साफ दिखाई दे रहे हैं। हालांकि आरपीएफ ने यह सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक नहीं किया है।
सूत्रों का कहना है कि कमर्शियल विभाग के एक क्लर्क ने आरपीएफ को दिए गए लिखित बयान में बताया है कि आरक्षण केंद्र की चाबी रात 10.30 बजे रेलवे स्टेशन के अनारक्षण टिकट केंद्र में जमा कर दी गई थी। यदि इसमें सच्चाई है तो फिर बंद आरक्षण केंद्र का मुख्य गेट किसने खोला और तीन कर्मचारी किस तरह से शराब पार्टी करने के लिए भीतर दाखिल कैसे हुए? सवाल यह भी उठने लगा हैै कि क्या केंद्र में इस तरह की पार्टी करने के लिए डुप्लीकेट चाबी तो बनाकर नहीं रखी गई है?
यही नहीं, सुबह सफाई कर्मचारी ने केंद्र से शराब की बोतल और अन्य सामान को हटा लिया था तो आरपीएफ ने सीसीटीवी फुटेज की जांच क्यों नहीं की? इसके साथ ही आग में खाक हुए शासकीय दस्तावेज में टिकट बनाने वाले कमर्शियल विभाग के एक अधिकारी के खिलाफ कई अहम सुबूत थे। आरपीएफ की टीम उस अधिकारी के खिलाफ केस दर्ज कर जांच कर रही थी
आनन-फानन में किया निलंबित, फिर बहाल
आरक्षण केंद्र आगजनी के प्रकरण में शराब पार्टी करने वाले तीन कर्मचारियों को आनन-फानन में निलंबित कर दिया गया था, लेकिन जैसे ही चोर संतोष नेताम हत्थे चढ़ा, वैसे ही बिना जांच रिपोर्ट दाखिल किए तीनों को बहाल कर दिया गया। अब तीन सदस्यीय अधिकारियों की टीम को प्रकरण की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आरपीएफ ने अब तक शराब पार्टी करने वाले तीनों कर्मचारियों को कार्रवाई से बचाने का प्रयास क्यों कर रही है?
चोर को भेजा जेल
आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि 6-7 फरवरी की दरम्यानी रात आरक्षण केंद्र से तीन कंप्यूटर मानिटर चोरी होने की सूचना पर रेलवे के मंडल सुरक्षा आयुक्त के निर्देश पर आरक्षण केंद्र में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया। इसके आधार पर रेलवे ओला पार्किंग स्टेंड में गुप्त निगरानी के दौरान दुर्ग जिले के पाटन थाना क्षेत्र के ग्राम चीचा निवासी संतोष नेताम (50) को पकड़ा गया। उसके हाथ में रखे प्लास्टिक बैग को खुलवा कर देखने पर तीन मानिटर मिले। पूछताछ में उसने आरक्षण केंद्र से चोरी करना स्वीकार किया। धारा 3(ए) आरपीयूपी एक्ट का केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।
की जा रही है जांच
आरक्षण केंद्र में आगजनी और चोरी के मामले में आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में आगे की जांच की जा रही है।
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