कमजोर और भ्रमित बुद्धि लोकतंत्र के लिये घातक
लोकतंत्र में सरकार की नीतियों का विरोध विपक्ष का मूल मंत्र है। धरना,प्रदर्शन, आरोप,प्रत्यारोप,भाषण ये कुछ ऐसे हथियार हैं कि जिनका कुशलता से इस्तेमाल करके सरकारें गिराई और बनाई जाती रही हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विपक्ष पर यह लागू होता नहीं दिखता। केन्द्र की सत्ता से और अधिकांश राज्यों की सत्ता से बेदखल किये जा चुके कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को ब्राम्ही , शंखपुष्पी जैसी बुद्धिवर्धक औषधियों की बड़ी जरुरत है।
किसी अच्छे वैद्य से परामर्श लेकर वे इसका नियमित सेवन करें तो उनकी याददाश्त बढ सकती है। जिसका लाभ उन्हे, उनके दल को और अन्तत: देश को जरुर होगा । भाजपा नेता एवं पूर्व जिला मीडिया प्रभारी मनोज द्विवेदी ने कांग्रेस के कर्मठ कार्यकर्ताओं के माध्यम से उनके शीर्ष केन्द्रीय नेताओं को सुझाव देते हुए कहा है कि सरकार और देश के प्रति विरोध और विद्वेष में जो बारीक रेखा है ,उसका वे अनेक बार उल्लंघन करते रहे हैं। यह स्वत: कमजोर होती विपक्ष की सेहत के लिये अच्छा नहीं है। जिस तरह से राहुल गांधी विदेशों में जाकर भारत के विरुद्ध बयानबाजी करते रहे हैं , उसका देश की छवि और भारत की एकता पर भी खराब असर पड़ता दिख रहा है। सरकार को देश के विरुद्ध उनके बयानों और उसके दुष्प्रभावों का आंकलन जरुर करना चाहिए । सच कहें तो वैश्विक परिदृश्य में मजबूती से अपना स्थान बनाते भारत में ऐसा कुछ नकारात्मक है नहीं कि जिसे विदेशों में जा कर प्रचारित किया जाए। राहुल गांधी जैसों को समझना चाहिए कि भारत जैसे मजबूत लोकतंत्र का मजाक उड़ा कर उन्हे कोई विदेशी तो सत्ता नहीं ही दिला सकता। इसलिए पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को पार्टी हित में उन्हे पोस्टकार्ड लिख कर या सोशल मीडिया का उपयोग करके समझाईश देना चाहिए कि वे बेशक अपने देश में , विदेश में भारत सरकार की नीतियों, कार्यों की निंदा करें लेकिन जब वो भारत के विरुद्ध बोलना शुरु करते हैं तो यह सभी के लिये घातक है।
श्री द्विवेदी ने कहा है कि कोई शक नहीं कि पेट्रोल ,डीजल, गैस के दाम चरम पर हैं ,मंहगाई बहुत है। तो क्या इससे भारत की तुलना आप लंका, यूक्रेन से कर सकते हो । पिछले दो साल की विपरीत परिस्थितियों के बाद रुस – यूक्रेन युद्ध से समूची दुनिया ही परेशान है। कोविड काल में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जिस तरह से एक अरब से अधिक की आबादी वाले देश को मुफ्त राशन, ईलाज, वैक्सीनेशन दे कर सुरक्षित रखा, उसकी पूरी दुनिया ने सराहना की है। कोविड के विरुद्ध भारत वैक्सीन और दवाओं के लिये विदेशों पर निर्भर नहीं था बल्कि ऐतिहासिक रुप से बहुत से विकसित, विकासशील देशों की मदद की है। रुस – यूक्रेन युद्ध के बीच भारत सरकार और विदेश मंत्रालय ने जिस सख्त लहजे में भारतीय हितों को पहले तरजीह देते हुए निर्गुट बने रहने का निर्णय लिया , वह अन्य किसी देश के लिये संभव नहीं था। विदेश नीति के जानकार और भारत के कट्टर विरोधी देश चीन ,पाकिस्तान तक में भारतीय नीतियों और मजबूती की सराहना हो रही है। आधारभूत संरचनाओं, सुरक्षा, चिकित्सा, कृषि,संचार और वैज्ञानिक क्षेत्र में भारत के मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल की सफलता विपक्ष और विशेष रुप से कांग्रेस के गले नहीं उतर रही। पार्टी को रसातल की ओर जाने से बचाने मे अक्षम गांधी परिवार की पूरी ताकत कांग्रेस को मुट्ठी में बनाए रखने में लगी हुई है। वैचारिक, सैद्धांतिक पतनशील काँग्रेस के पास ना जमीनी संगठन है और ना ही कुशल नेतृत्व । बुद्धिभ्रम और कमजोर याददाश्त के शिकार राहुल के बयान और उनके कदम पार्टी के लिये शर्मनाक स्थिति उत्पन्न करते रहे हैं। कांग्रेस एक के बाद एक गांधी परिवार के सदके युवा नेताओं की कुर्बानियां देते हुए उन्हे बाहर का रास्ता इसलिये दिखला रहा है ताकि पार्टी के भीतर प्रियंका, राहुल के लिये कोई चैलेंज ना रहे। ग्रुप 23 ऐसे ही नाराज, उपेक्षित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का समूह है जो शीर्ष नेतृत्व की बेवकूफियों से आजिज आ चुका है।
दर असल कांग्रेस धरातल पर कुछ नहीं कर रही। पंजाब जैसे राज्य मे जहाँ मजबूत सरकार थी, उसे आपके शीर्ष नेताओं ने ही निपटा दिया। मप्र में क्या हुआ था ??? इसलिए किसी और का नहीं …. कांग्रेस मुक्त भारत कांग्रेस का ही बड़ा लक्ष्य है।
कहते हैं कुत्ता कुत्ते का मांस नहीं खाता ….कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अपने ही युवा नेताओं को निपटाने में लगा हुआ है।
भाजपा नेता श्री द्विवेदी ने कहा कि शनिवार की शाम डीजल, पेट्रोल, घरेलू रसोई गैस की कीमतों में एक मुश्त राहत केन्द्र सरकार का सराहनीय कदम है। इससे मंहगाई रोकने में कुछ मदद मिलेगी और आम जनता को बड़ी राहत मिली है। पेट्रोल ,डीजल, गैस को जीएसटी के अन्दर लाने का विपक्षी राज्य ही विरोध करते रहे हैं। जाहिर है कि विरोध के लिये देश की छवि के विरुद्ध बोलना ,विरोध करना कदापि उचित नहीं है। घरेलू मुद्दों का जनता के बीच जाकर सामना करने की जगह, पार्टी संगठन को मजबूत करने, वरिष्ठ नेताओं को सम्मान देने, युवा नेताओं को आगे बढाने की जगह गांधी परिवार के हितों की कीमत पर कांग्रेस के हितों की बलि चढाने वाले राहुल बार -बार विदेशों में जाकर भारत की छवि खराब ना करें। अपनी पार्टी के पूर्व में किये गये कार्यों, भारत के गौरवशाली इतिहास और 2014 के बाद स्वाभिमानी, आत्मगौरवयुक्त मजबूत भारत के निर्माण के लिये किये जा रहे कार्यो को ध्यान करें, उन्हे याद रख कर कार्य करें। अन्यथा जो उनका हो रहा है, जो विपक्ष की दशा है ,उसे जनता ही सही दिशा प्रदान करेगी।
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