रायपुर (वायरलेस न्यूज़) । देश के बहुभाषिक साहित्यकारों के आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केशरीलाल वर्मा ने कहा कि देश को कलमकारों ने आजादी दिलाई है क्योंकि तत्कालीन समय के समस्त आंदोलन को साहित्य और पत्रकारिता ने आवाज दी थी।
समारोह के मुख्य अतिथि श्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि आज के समय में वर्तमान और भावी पीढ़ी को हमारी साहित्यिक परंपरा की जानकारी देना जरूरी है और ये लेखकों की जिम्मेदारी है।
आथर्स गिल्ड आफ़ इंडिया द्वारा इंडियन रिप्रोग्राफी राइट्स आर्गनाइजेशन के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आज ब्रह्मविद ग्लोबल स्कूल में संपन्न हुआ। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत डॉ शिवशंकर अवस्थी, डॉ सुरेंद्र कुमार, नरेंद्र सिंह परिहार, डॉ जे के डागर, डॉ अनुसूया अग्रवाल आदि ने किया। छत्तीसगढ़ चेप्टर के संयोजक डॉ सुधीर शर्मा ने स्वागत भाषण तथा राष्ट्रीय सचिव डॉ शिवशंकर अवस्थी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बड़े साहस के साथ आजादी के समय लेखन को हथियार बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। उनका लेखन
ऐतिहासिक दस्तावेज है, उसका फिर प्रकाशन जरूरी है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो केशरीलाल वर्मा ने कहा कि हिंदी ने पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधा है। भारतीय साहित्य में अधिकतर भाषाओं ने भारत को बौद्धिक रूप से समृद्ध किया है। उन्होंने बौध्दिक संपदा पर भी विचार व्यक्त किए। छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि हिंदी नवजागरण ने न केवल स्वतंत्रता आंदोलन को बल दिया अपितु भारतीय समाज और राजनीति को आधुनिक किया। छत्तीसगढ़ मित्र के संपादक पं माधवराव सप्रे, पं महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि संपादकों ने हिंदी को समृद्ध किया। विशिष्ट अतिथि श्री गिरीश पंकज ने कहा कि छत्तीसगढ़ को आजादी के पहले भी साहित्यिक योगदान उल्लेखनीय था। पं माखनलाल चतुर्वेदी ने बिलासपुर में पुष्प की अभिलाषा जैसी महान रचना की। भारतीय साहित्य आज अनुवाद के कारण लोकप्रिय हुआ है और पूरा देश वैचारिक रूप से एकजुट है। रिप्रोग्राफिक एसोसिएशन के श्री नवीन गुप्ता ने कहा कि आज की तकनीक से लेखकों की रायल्टी का नुक़सान हो रहा है। पुस्तकों को तेजी से नकल किया जा रहा है। वरिष्ठ सदस्य अहिल्या मिश्र ने संगठन की जानकारी दी और प्रथम सत्र का आभार व्यक्त किया।
इस सत्र में बीस से अधिक लेखकों के दो दर्जन पुस्तकों का विमोचन किया गया। दूसरे सत्र में लेखकों के अधिकार पर विस्तृत चर्चा हुई। डॉ शिवशंकर अवस्थी ने अनेक उदाहरणों से पुस्तकों की नकल, रायल्टी और अनुवाद पर जानकारी दी। इस सत्र की अध्यक्षता श्री हरिपाल ने की।
तीसरे सत्र में बीस से अधिक शोध पत्र पढ़े गये। आखिरी सत्र में बीस कवियों ने काव्य पाठ किया।
सम्मेलन में अनेक राज्यों से सौ से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए हैं जो गोवा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, बिहार और छत्तीसगढ़ से हैं।
5 जून को प्रातः 10 से दो सत्र आयोजित किए जाएंगे। खुला अधिवेशन भी होगा।
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