रायगढ़ (वायरलेस न्यूज़ 10 जुलाई 2022.)

हर साल 11 जुलाई को जनसंख्या स्थिरीकरण के उद्देश्य से विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जिला स्तर पर भी जनसंख्या स्थिरता के लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। वर्तमान में जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़े का आयोजन जिले में किया जा रहा है। इसके साथ ही जनसंख्या दिवस के अवसर पर रामभांठा स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसमें परिवार नियोजन का लाभ ले चुके लोगों का सम्मान किया जाएगा ताकि लोग उन्हें देखकर प्रेरित हों।

इस बारे में स्वास्थ्य विभाग की जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ भावना महलवार ने बताया: ” जिले के ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों को जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रति जागरूक करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा आयोजन किया जा रहा है। इसमें उन दंपति को लक्ष्य के रूप में रखा जाएगा, जिन्होंने अभी-अभी संतान हुयी हैं। इनको अस्थाई तौर पर गर्भनिरोधक और परिवार पूरा होने पर नसबंदी जैसे परिवार नियंत्रण उपायों की जानकारी दी जा रही है।”

स्वास्थ्य विभाग के परिवार कल्याण इकाई के परिवार नियोजन अधिकारी डॉ राजेश मिश्रा ने बताया “11 जुलाई, 1987 को वैश्विक जनसंख्या 5 अरब हो गई थी। 11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र में बढ़ती जनसंख्या को काबू करने और परिवार नियोजन को लेकर लोगों में जागरुकता लाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस तिथि को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ के रूप में निर्धारित करने का निर्णय लिया गया था दिसंबर 1990 में इसे आधिकारिक बना दिया। विश्व जनसंख्या दिवस 2022 का विषय है ‘8 बिलियन की दुनिया: सभी के लिए एक लचीले भविष्य की ओर- अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना’।”

राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार जिले में संस्थागत प्रसव 66.8 प्रतिशत से बढ़कर 87.7 प्रतिशत हो गया है। जिले में 18 साल से कम यानी बाल विवाह की दर में भी कमी आई है। एनएफएचएस 4 में 21.4 प्रतिशत लड़कियां थी जिनकी शादी 18 वर्ष से पहले होती थी वहीं अब एनएफएचएएस- 5 में यह आंकड़ा घटकर 11.5 पर आ गया है। यह लड़कियों के सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के लिए अच्छी खबर है|

परिवार नियोजन को लेकर किये जा रहे तमाम जतन का प्रभाव भी इस बार देखने को मिल रहा है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के द्वारा परिवार नियोजन के संबंध में ऐसे लोगों से संपर्क किया गया जो इसके बारे जानते नहीं थे। यह दर 12.6 प्रतिशत से बढ़कर 38.4 प्रतिशत तक बढ़ गई है। वर्तमान में परिवार नियोजन के लिए विविध प्रकार के साधनों का प्रयोग कर रहे 89.2 प्रतिशत लोगों ने इसके साइड इफेक्ट के बारे में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बताया जो पहले 32.8 प्रतिशत था।

जनसंख्या स्थिरीकरण में हो रहा सुधार
जनसंख्या स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कारक कन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेंस रेट यानि गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग की दर जिले में बढ़ी है और यह एनएफएचएस-4 (2015-16) में 52.3% से बढ़कर एनएफएचएस-5 (2020-21) 64.1% हो गई है। एनएफएचएस 4 में जहां आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का 49 % उपयोग हो रहा था वहीँ एनएचएफएस-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 56% हो गया है।

एन एफ एच एस-5 से यह भी पता चलता है कि गर्भनिरोधक साधनों की कमी की दर में भी कमी आई है। यह 13.1 % से घटकर 10.3 % पर आ गयी है। यह दर ऐसे योग्य दम्पत्तियों की दर को दर्शाती है जिनको गर्भनिरोधक साधनों की जरुरत है और वह उनको अपनाना भी चाहते हैं किन्तु उनकी पहुँच गर्भनिरोधक साधनों तक नहीं है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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