💐 *स्वाभिमान यात्रा*💐

*संगठन गढ़े चलो,सुपंथ पर बढ़े चलो*
*भला हो जिसमें वो काम सब किये चलो*
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*पूजिय बिप्र सकल गुणहीना,*
*शुद्र न गुणगन ज्ञान प्रवीना।*
*सापत ताड़त परुष कहन्ता,*
*बिप्र पूज्य अस गावहिं सन्ता*
*पुन्य एक जग महुँ नहिं दूजा*
*मन क्रम बचन बिप्र करि पूजा*
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*स्वाभिमानीयों का मुखिया बने पुरन्दर मिश्रा*

सत्यदेव शर्मा

उत्कल ब्राह्मणों का सफल स्वाभिमान यात्रा 15 विधानसभा में कुछ राजनैतिक संदेश छोड़ गए ?

*छत्तीसगढ़ प्रदेश उत्कल ब्राह्मण समाज का रायपुर से रायगढ़ जिला के घरघोड़ा तक 24 व 25 जून 23 को निकला स्वाभिमान यात्रा महज ढोल, बाजा गाजा, फटाका,चन्दन, तिलक, माला, पुष्पगुच्छ, विशाल माला, अंगवस्त्र,रोली कुमकुम,रंग, रंगोली,झूंटी तक ही सीमित न होकर कहीं स्वागत भाषण, कंही तहसील स्तर पर किये गये रचनात्मक कार्यों का प्रतिवेदन, कंही पर जिला संगठन द्वारा किये गये समाज हित के उत्कृष्ट कार्यों का वर्णन, तो कंही कविताओं के माध्यम से ब्राह्मणों के शौर्य का बखान, तो कंही पर शेरो शायरी, कंही पर ब्राह्मणों के कर्तव्यों पर लम्बा चौड़ा ब्याख्यान, कंही पर उपदेश पूर्ण सन्देश,कंही कुरीतियों से बचने का आह्वान,तो कंही पर समाज मे हो रहे अपब्यय से बचाव के उपाय तो कंही पर रात के 11:30 बजे 600 से अधिक संख्या में समाज के महिला पुरुषों का एकाग्र चित्त हो उदबोधन सुनना तो कंही पर इस वर्ष के प्रथम किन्तु झमाझम बारिश में सैकड़ों की संख्या में भीगते समाज के स्त्री पुरुष ओज पूर्ण वातावरण में प्रदेश भर से आये हुये अतिथियों का गगन भेदी महाप्रभु के उदघोष के साथ चन्दन तिलक फूल मालाओं से लादकर पानी के फुहारों के मध्य गुलाब व गेंदा की पंखुड़ियों की वर्षा करते हुये स्वागत, सम्मान, नन्दन, अभिनन्दन का अप्रतिमदृश्य वास्तव में मन को रोमांचित कर गया जो सदैव स्मृति पटल पर रेखांकित रहेगा*

*स्वाभिमान यात्रा के प्रथम दिवश चिलचिलाती धूप में चला किन्तु दोपहर पश्चात स्वाभिमान यात्रा के साथ साथ ही बदरिया भी साथ हो चली! घनघोर घटाओं को देख ऐसा लग रहा था मानो ब्राह्मणों के स्वाभिमान की रक्षा का सम्पूर्ण जिमेदारी घटाओं ने ही अपने सर पर ले लिया हो। फिर संध्या से पूरे प्रदेश में रातभर व अबतक निरन्तर बारिस से लगता है कि भगवान इंद्र को भी ब्राह्मणों की महाप्रभु के चरण बन्दन से प्रारम्भ यात्रा का इंतजार रहा हो*

*”ब्राह्मण की कृपा मात्र से कटता भव का हर फंदन है”*
*”जो क्रांतिदूत,जमदग्नि पूत, उस ब्राह्मण अभिनन्दन है”*

*स्वाभिमान यात्रा की सफलता का लम्बा चौड़ा कहानी की बजाय एक लाइन में कहना हो तो कहा जा सकता है कि यात्रा का प्रारम्भ श्री पुरन्दर मिश्रा ने किया और समापन छत्तीसगढ़ प्रदेश उत्कल ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष आदरणीय पुरन्दर मिश्रा जी ने किया! पिथौरा, बसना में स्वागत व चाय नास्ता से आगे बढ़े यात्रा का सराईपाली के उत्साही ब्राह्मणों ने जिस ऐतिहासिक अंदाज में स्वागत किया वह सदैव समाज के लिये अविस्मरणीय रहेगा और अविस्मरणीय रहेंगे वहां के पदाधिकारी व सदस्य गण जिन्होंने यात्रा को रथ यात्रा का स्वरूप देकर डीजे के साथ वाइक व कर रैली निकालकर जगह जगह स्वागत करने के पश्चात स्वादिस्ट भोजन कराकर स्वाभिमान यात्रा को रवाना किया।*

*बरमकेला,सरिया पुसौर में स्वाभिमान यात्रा का भब्यता और दिब्यता के साथ स्वागत किया गया,

इन जगहों पर बहुत ही सुंदर ढंग से मंच बनाकर कर स्वागत सत्कार किया गया और अनेक वक्ताओं द्वारा यात्रा के उद्देश्य को सबके सामने रखा गया,सभी उत्कल ब्राह्मण समितियों ने अपने अपने क्षेत्रों में किये गये विभिन्न प्रकार के उल्लेखनीय कार्यों का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। उत्कल ब्राह्मण महिला पुरुषों के उत्साह और स्वागत का अंदाज देखकर स्वाभिमान यात्रा के ब्राह्मण बन्धु अभिभूत थे और सभी एक दूसरे को बधाई व आशीर्वाद देते रहे।*

*”अभ्यागतं श्रान्तमनुव्रजन्ति देवाश्च सर्वे पितरोग्नयश्च, तस्मिन द्विजे पूजिते पूजिता: स्युर्गते निराशा: पितरो व्रजन्ति”*

*अर्थात,जब थका हुआ अतिथि घर पर आता है,तब उसके पीछे पीछे समस्त देवता पितृदेव और अग्नि भी पदार्पण करते हैं*

*इन्ही भावों से ओतप्रोत रायगढ़ के रेडक्वीन मैरिज गार्डन में समय से ढाई घण्टा विलम्ब से पँहुँचे स्वाभिमान यात्रियों का ढोल नगाड़ों व फटाकों की लड़ियों के मध्य चन्दन तिलक,पुष्प मालाओं व अंगवस्त्रों से ऐसा सम्मान रायगढ़ के उत्कल ब्राह्मण महिला पुरुष व बच्चों ने किया जो सदैव स्वागत की श्रृंखला में उल्लेख होता रहेगा। दिनभर की लंबी यात्रा से न तो यात्री थके नजर आए और ना ही संध्या सात बजे से इंतजार कर रहे रायगढ़ निवासी ही थके नजर आये। अतिथियों का स्वागत सत्कार पश्चात उद्बोधन का लंबा दौर चला और घण्टों चलता ही रहा किन्तु मध्य रात्रि हो चलने के पश्चात भी न तो वक्ताओं को भूख लग रही थी और ना ही श्रोताओं को!सभी मगन! सुनने में और सुनाने में,जगन्नाथ महाप्रभु की ही कृपा माने की छोटे बच्चों का भी इस मध्य रात्रि में चिं पों नही था। कारण साफ था- छत्तीसगढ़ प्रदेश उत्कल समाज के संरक्षक पुरन्दर मिश्रा जी को देखना व सुनना! सभी के अपेक्षाओं पर खरे भी उतरे पुरन्दर मिश्रा, बहुत ही सुंदर तरीके से हास परिहास के मध्य समाज मे जड़ हो चुके चेतना को जागृत करने के लिये, सामाजिक कुरीति पर,शराब सहित अन्य नशा के सेवन से समाज आगाह कराना, अंतर्जातीय विवाह के दुष्परिणाम जैसे विभिन्न विषयों पर बात रखे, पुरन्दर मिश्रा जी के बेबाकी से बात रखने के अंदाज ने सबको भाव विभोर कर दिया। मंचीय कार्यक्रम समापन के बाद स्वादिस्ट भोजन और उसके बाद अतिथियों द्वारा रात्रि विश्राम।*

*”विद्वित्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन”*
*”स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते”*

*अर्थात राजा की पूजा केवल अपने राज्य में होता है और विद्वानों की पूजा सभी जगह होता है, इस श्लोक को चरितार्थ होते 25 जून सुबह घरघोड़ा में उस समय देखने को मिला जब स्वाभिमान यात्रा पर आये प्रदेश भर के उत्कल ब्राह्मणों का झमाझम बारिश में भीगते हुये घरघोड़ा,तमनार व लैलूंगा क्षेत्र से आये उत्कल ब्राह्मण महिला पुरुष एव बच्चों ने चन्दन तिलक, पुष्पाहार, अंगवस्त्र भेंटकर जब सम्मान किया यही नही बारिश के मध्य दृश्य अत्यंत सुहाना उस समय ही गया जब बारिस के साथ साथ अतिथियों पर गुलाब व गेंदा की पंखुड़ियों की बारिस होने लगी।स्वागत की लंबी श्रृंखला पश्चात कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ , अतिथियों को मंचासीन कराने के बाद अनेक वक्ताओं ने स्वाभिमान यात्रा के उद्देश्य तथा दो दिन से चल रहे यात्रा का बृतांत सुनाये।*

*”मुखिया मुखु सो चाहिये खान पान कहूँ एक”*
*”पालड़ पोषई सकल अंग तुलसी सहित विवेक”*

*तुलसी दास जी द्वारा लिखा गया उक्त पंक्ति मुखिया के सम्बंध में छत्तीसगढ़ उत्कल ब्राह्मण समाज के प्रथम अध्यक्ष आदरणीय पुरन्दर मिश्रा जी पर फबता है, छग की राजधानी में इतना विशाल महाप्रभु का मंदिर बनाकर जगन्नाथ संस्कृति के छत्तीसगढ़ में संवाहक ही नही बने अपितु उत्कल ब्राह्मणों के ध्वज वाहक भी बने,इन्ही पुरन्दर मिश्रा जी को आज स्वाभिमान यात्रा के अंतिम पड़ाव घरघोड़ा के बृहद बैठक में सर्व सम्मति से व हर्षोल्लास के वातावरण में छत्तीसगढ़ प्रदेश उत्कल ब्राह्मण समाज का प्रदेश भर के उत्कल ब्राह्मणों की उपस्थिति में अध्यक्ष मनोनीत किया गया।*

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Amit Mishra - Editor in Chief
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