रायगढ़ (वायरलेस न्यूज)पुसौर तहसील में छोटे
झाड़ के जंगल की जमीन की खरीदी बिक्री का सनसनीखेज मामला सामने आया है।राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ की शिकायत स्थानीय युवा ने जिला कलेक्टर से की है।अब देखना होगा कि 100 साल पुराने सरकारी दस्तावेज में गड़बड़ी कर जमीन की खरीद फरोख्त करने वालो पर क्या कार्यवाही की जाती है।

रायगढ़ जिले के पुसौर में खसरा नम्बर 16/2 की 66 डिसमिल जमीन जो कि सन 1924-25 के राजस्व विभाग के दस्तावेजों के अनुसार बंजर जमीन थी।
1954-55 में इस जमीन को छोटे झाड़ जंगल की जमीन के रूप में सरकारी रिकार्ड में दर्ज किया गया।भू राजस्व संहिता की धारा 115 व 116 में सरकारी भूमि मद में दर्ज होने के बावजूद तात्कालिक तहसीलदार ने आनंदराम के नाम कर दिया।
12 अक्टूबर 2020 को पंचनामा तैयार हुआ,26 अक्टूबर को पटवारी ने प्रतिवेदन दिया और 28 अक्टूबर 2020 को
सारी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए तहसीलदार ने शाशकीय छोटे झाड़ जंगल की जमीन के जंगल मद को राजस्व अभिलेखों से विलोपित कर आवेदक आनंदराम के नाम दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। तमाम कायदे कानून को ताख में रखकर महज 16 दिन में ही सारी प्रक्रियाएं पूरी हो गई। और 100 साल से जो जमीन सरकारी रिकॉर्ड में छोटे झाड़ जंगल के रूप में दर्ज थी वो देखते ही देखते आनंदराम के नाम हो गई। सरकारी जमीन अपने नाम होते ही आनंदराम ने इस जमीन को पुसौर के ही नंद कुमार विश्वाल को बेच दिया अब यह जमीन नंद कुमार विश्वाल के नाम पर रजिस्ट्रर्ड हो चुकी है। पुसौर तहसीलदार के आदेश के खिलाफ पुसौर की एक महिला ने आवाज़ उठाई और एसडीएम न्यायालय में इस आदेश के खिलाफ अपील की है। सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से मिली भगत कर बेचे जाने का यह कोई नया मामला नही है ऐसे कई अवैध काम जिले की तहसीलों में रोजाना हो रहे है। राजस्व विभाग के अधिकारियों आर आई पटवारी सभी की मिलीभगत से एक बड़ा रैकेट चलाया जा रहा है।जमीन दलाल की चांदी है और सरकारी जमीन की बंदरबाट जोर शोर से जारी है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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