रायगढ़ (17अगस्त वायरलेस न्यूज ) :-

प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने देश के पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी की पांचवी पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा उन्होंने देश की राजनीति में सुचिता सिद्धांत की आदर्श मिशाल पेश की है।भारतीय राजनीति के अजात शत्रु के रूप मे श्रद्धेय अटल जी का सदैव हर राजनीतिज्ञ के मानस पटल पर मोजूद रहेंगे। विचारधारा एवं सिद्धांतों की मजबूत बुनियाद पर आधारित उन्होंने राजनीति में ऐसे मानक स्थापित किए जो आज मिल के पत्थर साबित हो रहे ।

दृढ़ इच्छाशक्ति के जरिए राष्ट्रसेवा करने वाले अटल जी ने राजनीति में सुशासन की नींव रखी वही परमाणु परीक्षण के लिए पोखरण विस्फोट के जरिए पूरे विश्व के आमने भारत के सामर्थ्य का परिचय रखा। उनकी अदभुत सांगठनिक क्षमता की वजह से भाजपा ने शून्य से शिखर तक का सफर तय किया।भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा-पुंज, सेवा, सुशासन के पथ प्रदर्शक, भारत रत्न’ श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के विचार कार्यकर्ताओ के दिलो मे जीवित रहेंगे। समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगो के लिए उनका समर्पण सदैव भाजपा के लिए सदैव पथ प्रशस्त करता रहेगा। सोसल मीडिया प्लेटफार्म में ओपी चौधरी ने लिखा मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं? जमीन से जुड़े रहकर राजनीति करते हुए ‘जनता के प्रधानमंत्री’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी।बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच में वे लोकप्रिय रहे।

देश वासियों के लिए आदर्श रहे अटल बिहारी जी ने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया और जिसका उन्होंने अपने अंतिम समय तक निर्वहन किया।विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पंडित अटल बिहारी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही स्पष्ट रहा। साफ-सुथरी राजनीति की वजह से अटल बिहारी जी का हर कोई सम्मान करता था। यही वजह है कि विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा। संसद में तर्कपूर्ण विचार रखने की वजह से विपक्ष भी मौन हो जाता था।कविताओं के जरिए सामाजिक बुराइयों पर करारा प्रहार करने वाले अटल जी कविताएं प्रशंसकों को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती रही।अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रखर वक्ता और कवि थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जीवन काल का कुछ समय पत्रकार के रूप में भी व्यक्ति किया। राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। अटल बिहारी वाजपेयीजी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उन्होंने लंबे समय तक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रखर राष्ट्रवादी नेताओं के साथ काम किया। पंडित अटल बिहारी वाजपेयीजी सन् 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयीजी ने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू तक को प्रभावित किया। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के संसद में दिए ओजस्वी भाषण को सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनको भविष्य का प्रधानमंत्री तक बता दिया था और आगे चलकर पंडित जवाहर लाल नेहरू की भविष्यवाणी सच भी साबित हुई। 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था। 1977 में देश में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी जिसके मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया था।अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री रहते हुए पूरे विश्व में भारत की छवि बनाईं और विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिन्‍दी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने। अटलजी 1977 से 1979 तक देश के विदेश मंत्री रहे। 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। भाजपा द्वारा सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अटलजी देश के प्रधानमंत्री बने। लेकिन अटलजी 13 दिन तक देश के प्रधानमंत्री रहे।0उन्होंने अपनी अल्पमत सरकार का त्याग पत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया। 1998 में भाजपा फिर दूसरी बार सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। 13 महीनो की सरकार दौरान इसी बीच अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सम्पूर्ण विश्व को भारत की शक्ति का एहसास कराया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन उसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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