छंदशाला की पावस गोष्ठी में

बरखा रानी का स्वागत

बिलासपुर/ (वायरलेस न्यूज) छंदशाला के तत्वावधान मे पावस गोष्ठी का आयोजन रेशम अनुसंधान केन्द्र रमतला में किया गया जिसमें अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार बुधराम यादव, विजय तिवारी,विनय पाठक उपस्थित थे।गोष्ठी की अध्यक्षता ओमप्रकाश भट्ट ने की।
कार्यक्रम का सफल संचालन छंदशाला की संयोजिका और कवयित्री डॉ .सुनीता मिश्र ने किया ।कार्यक्रम में छंदशाला परिवार के सदस्य और स्थानीय रचनाकार समेत तीस से भी अधिक श्रोतागण उपस्थित रहे ।
इस काव्य गोष्ठी की खास बात यह रही कि गोष्ठी पूर्णतः पावस पर आधारित थी ।इसमें पावस के विभिन्न पक्षों की ओर सभी कवियों और कवयित्रियों ने ध्यान आकृष्ट कराया ।16कवियों एवं कवयित्रियों ने काव्य पाठ किया ।
कवि विजय तिवारी ने बरस मेघ भू ताप घटे , मन के कुछ तो पाप घटे , विनय पाठक ने ओ बरसा के पहले बादर ,बहुत बहुत आभार तुम्हारा ,सुषमा पाठक ने रंग बिरंगी हुई धरा ,इठलाती हर डाली है ,शैलेंद्र गुप्ता ने करिया बादर कहाँ लुकागे ,काला देख लजावत हे अमृत पाठक ने विरह मे ब्रजधाम सावन आ गया ,हो कहां घनश्याम सावन आ गया ,ओमप्रकाश भट्ट ने क्षणिका एवं मनीषा भट्ट ने झूल रही है सखियां मिलकर सावन है मनमीत,हूपसिंह क्षत्रिय ने तेरे बिन लगता है जैसे पावस भी मुझसे रुठी है रोज बरसती यहां वहां पर मेरा उपवन उदास है,बुधराम यादव ने कैसे गीत लिखू निष्ठुर पावस के आने का , पूर्णिमा तिवारी ने रीत बावरी कैसी है , डॉ .सुनीता मिश्रा ने गीत- अंतस के कोने से मैने ,भाव चुराकर लाए फिर पावस बरसाए , उषा तिवारी ने खिंची कर्म की रेखा छोड़ भरोसा भाग का ,कामना पांडेय ने मोहना मन मोह लेता ,रुप यह अभिराम , मयंक दुबे ने सजल , प्रवेश भट्ट और विपुल तिवारी ने गजल और एम् डी मानिकपुरी ने छत्तीसगढ़ी गीत से समां बांध दिया।पावस गीतों की संध्या मे श्रोता और कविगण झूमते रहे ।छंदशाला के काव्यानुशासित वातावरण मे यह काव्य गोष्ठी अमिट छाप छोड़ गई । जिसमें श्रोता आकंठ डूबे रहे ।कार्यक्रम का सफल संचालन कवियत्री डॉ.सुनीता मिश्र ने और आभार प्रदर्शन कवि विनय पाठक ने किया ।
कार्यक्रम में इंजीनियर दामोदर मिश्रा, विजय पाठक, नरेंद्र बरेठ, विजेता कोरी समेत छंदशाला परिवार के सदस्य एवं रेशम अनुसंधान केन्द्र रमतला के कर्मचारी व स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं नगर के प्रबुद्ध श्रोता उपस्थित थे । प्रेषक डॉ. सुनीता मिश्र