*उड़न-छू*
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*गणपति बप्पा मोरिया*
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गणपति बप्पा अगले बरस जल्दी आने के वादे तथा इरादे के साथ विदा हो गये।भक्त उनकी प्रतिमाओं को लेकर जल में डुबकियां लगाए।इस बार अरपा मइया में पानी भरा है।उत्सव के दौरान जमकर पानी बरसा और माँ अरपा जलवती बनी रहीं।नगर निगम ने राहत की सांस ली…चलो इस बार प्रतिमा विसर्जन के लिए गढ्ढा नहीं खोदना पड़ा और न उस गढ्ढे में टैंकर से पानी भरना पड़ा।
हमें तो इस बात की खुशी है कि उत्सव शांतिपूर्ण निपट गया,कहीं कोई लफड़ा नहीं हुआ।विसर्जन पर झड़पें होना परम्परा है।यदि झड़पें नहीं हुईं तो शायद गणेश जी,दुर्गा जी को लगता ही नहीं होगा कि उनका विसर्जन हो गया है।
बाहरहाल हमारी चिंता इस बार दूसरी थी।वह यह कि गणेश जी के पारंपरिक चेहरे से छेड़छाड़ कर दी गयी है।मामला तूल नहीं पकड़ा वरना विपक्षी कहते ,इसमें नरेंद्र मोदी की साजिश है।पक्ष कहता कि विपक्ष की यह सत्ता को बदनाम करने की कोशिश है।धीरे-धीरे मामला विदेशी षड्यंत्र तक खिंच जाता।
आप कहेंगे ,आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? क्या आप भविष्यवक्ता हैं या अगम जानी ,जिससे आपको पहले से पता चल जाता है।उन्हें हम बता दें,भाई यह कोई पहली दफा थोड़ी है।आजादी के बाद से हमेशा ऐसा ही होता चला आ रहा है… मीठा-मीठा गप्प और कड़वा-कड़वा थू।
प्रतिमा वाला मामला किसी तरह सलट गया ,जी हाय हुआ।पितर पक्ष के बाद दुर्गोत्सव आएगा।प्रशासन को अभी से सतर्क रहना चाहिए कि दुर्गा प्रतिमा के पारंपरिक चेहरे में को परिवर्तन मूर्तिकार न कर पाएं वरना करनी मूर्तिकार की होगी और भरनी प्रशासन के मत्थे।शहरवासियों को भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
दरअसल मूर्तिकार और प्रतिमा स्थापित कर उत्सव मनाने वाले लोग कुछ नया करने के चक्कर में हर वर्ष लगे रहते हैं।इस चक्कर में कहीं घनचक्कर न बनना पड़े इसलिए सावधानी बहुत आवश्यक है।वैसे लोग अभी दीवाली के मौके पर चाइनीज लक्ष्मी प्रतिमाओं का विरोध आरंभ करेंगे पर धीरे से मामला सलट जाएगा।घर बिजली के चीनी झालरों से रोशन हो जाएगा।यह हमेशा से होता है दोस्त,वर्ष में दो मौके आते हैं, चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के।पहला होली के अवसर पर चीनी पिचकारी और मुखौटों का जमके विरोध फिर दीपावली पर चीनी पटाखों और लक्ष्मी प्रतिमाओं का विरोध करना हमारी परंपरा है।
हम तो उत्सव आरंभ होते ही प्रार्थना करना शुरू कर देते हैं.. हे लंबोदर स्वामी कहीं आप कोट,टाई सूट,बूट धारण करके न चले आएं, लक्ष्मी मइया कहीं विदेश वस्त्र धारण करके न चली आना,दुर्गा मइया कृपा करना,हमारा देश परंपराओं का देश है,हमारा देश आस्थावानों का देश है,हम छोटी-छोटी बातों पर मर- मिटने को तैयार हो जाते हैं।
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