*छत्तीसगढ़ी को 8वीं अनुसूची में*
*शामिल करने संकल्प*: *डॉ.पाठक*
प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी
राजभाषा छत्तीसगढ़ी परिषद का आयोजन
बिलासपुर/( वायरलेस न्यूज) प्रयास प्रकाशन साहित्य अकादमी और राजभाषा छत्तीसगढ़ी परिषद् द्वारा छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजभाषा छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु संकल्प लिया गया।
यह आयोजन डाॅ. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ गोपालगंज बिहार के मुख्य आतिथ्य में डाॅ. राघवेन्द्र कुमार दुबे राष्ट्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता एवं रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न हुआ ।
स्वागत भाषण में परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. विवेक तिवारी ने परिषद् द्वारा किये जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी को राजकाज की भाषा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के भूतपूर्व अध्यक्ष पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी जी , पंडित दानेश्वर शर्मा और पूर्व अध्यक्ष डाॅ. विनय कुमार पाठक, भूतपूर्व सचिव पद्मश्री डाॅ. सुरेन्द्र दुबे जी के द्वारा किये गये प्रयास तथा वर्तमान में आयोग के सचिव डाॅ. अभिलाषा बेहार का प्रयास उल्लेखनीय हैं ।
छत्तीसगढ़ी राजभाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु आयोग द्वारा जहाँ संगोष्ठियों का आयोजन किया गया वहीं इसकी आवश्यकता बताते हुए ग्रंथ का प्रकाशन किया गया । अब इसके लिए संयुक्त प्रयास किए जाने की आवश्यकता है ।
इस अवसर पर डाॅ. विनय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन एवं छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाने में छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों की भी महती भूमिका रही है । छत्तीसगढ़ी के विकास एवं संरक्षण संवर्धन हेतु साहित्य के पुरोधाओं ने अपनी सृजनशीलता से राष्ट्रीय स्तर पर इसकी विशिष्टताओं को पहुंचा कर सम्मानित किया और उसी का सत्परिणाम है, आज समस्त साहित्यकार साहित्य की सभी विधाओं में सृजन कर साहित्य भंडार को समृद्ध कर रहे हैं।
वहीं छत्तीसगढ़ी के विकास में तथा इसे राजकाज की भाषा बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का भी योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है । आज आवश्यकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ी को सम्मान दिलाने तथा संवैधानिक मान्यता देने के लिए इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु संकल्पित होकर सार्थक प्रयास किए जाएं ।
डाॅ.राघवेन्द्र कुमार दुबे ने छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की पृथक सांस्कृतिक विशिष्टता के कारण तथा इसके चहुंमुखी विकास के उद्देश्य से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का गठन दिनांक 1 नवम्बर सन् 2000 को 26 वें राज्य के रूप में किया गया और विकास की तीब्र गति से यह पूरे देश में सुविख्यात हो रहा है । अतः यहाँ के सांस्कृतिक साहित्यिक संरक्षण संवर्धन हेतु तथा राजकाज की भाषा बनाने के लिए सभी को संकल्पित होकर सार्थक प्रयास किए जाने की आज आवश्यकता है ।
विशिष्ट अतिथि रमेश चन्द्र श्रीवास्तव जी ने भी छत्तीसगढ़ राज्य की विशिष्टताओं की जानकारी देते हुए समस्त जनों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी ।
इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़ी पर केन्द्रित कविताओं का पाठ किया ।कार्यक्रम का संचालन परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. विवेक तिवारी ने किया एवं आभार प्रदर्शन डाॅ बजरंगबली शर्मा ने किया।
इस अवसर पर सनत तिवारी, राम निहोरा राजपूत , शत्रुघन जैसवानी, महेन्द्र दुबे, आशीष श्रीवास , अभिषेक दुबे,अनामिका दुबे,विष्णु कुमार तिवारी, शीतल प्रसाद पाटनवार, ने काव्य पाठ किया ।
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