बिलासपुर (अमित मिश्रा संपादक वायरलेस न्यूज़ 7 जुलाई21) हाल ही में मीडिया की सुर्खियों में रही अचानकमार टाइगर रिजर्व से लाई गई घायल बाघिन एटीआर की नही बल्कि यह बांधवगढ की है इस बात की पुष्टि देहरादून भारतीय वन्यजीव संस्थान (wii) ने की है और इस आशय का पत्र प्रदेश के पीसीसीएफ वन्यजीव के पास भेजी जा चुकी है, लेकिन शासन अपने स्तर पर सुरक्षागत कारणों से दबाकर रखा है, पुष्टि करने से न तो इन्कार कर रही है और न ही हां ?
उच्चपदस्थ सूत्रों ने वायरलेस न्यूज़ को बताया है कि बीते 8 जून को एटीआर के छपरवा से घायल बाघिन को रेस्क्यू करके कानन पेंडारी जू हॉस्पिटल लाई गई थी।जहाँ पर इसका इलाज चल रहा है, उसी दिन से वन विभाग के आला अधिकारी बाघिन कहाँ की है खोजबीन में लगे हुए थे, और अंततः बाघिन की जन्मकुंडली भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने खंगालने में कामयाब हुई है।सर्वप्रथम उक्त बाघिन को बांधवगढ टाइगर रिजर्व में सन 2006 से 2014 तक का फोटो रिकॉर्ड प्राप्त किया गया है उसके बाद उस बाघिन की कोई फोटो रिकॉर्ड नहीं रहा, अब जाकर पता चला कि घायल बाघिन और कोई नही बल्कि यह बांधवगढ से पहुंची है। उस हिसाब से देहरादून संस्थान ने बाघिन की उम्र 15 वर्ष बताई है, वैसे कुछ दिन पूर्व देहरादून से पहुंचे डॉ पराग निगम ने भी इस बात की तस्दीक कानन पेंडारी जू हॉस्पिटल में दांतों के आधार पर 13 साल से ऊपर बताया था।तो अब बाघिन की उम्र को लेकर अब बहस का मुद्दा ही नही रहा, कुछ दिनों से बाघ की उम्र को लेकर मीडिया छाई हुई थी कुछ लोग यह बता रहे थे कि बाघिन की उम्र कम है।
बिलासपुर स्थित उच्च अधिकारी ने बताया कि कान्हा टाइगर -बांधवगढ के बीच सजंय गांधी उद्यान, अचानकमार टाइगर रिजर्व भोरमदेव अभ्यारण्य भी पड़ता है या ये कहें कि बाघों के आना जाना लगा रहता है ये कॉरिडोर की तरह है। इन जगहों में लगातार इन बाघों के आना जाना लगा ही रहता है।हो सकता है ये बाघिन भी उसी रास्ते से यहां पहुंची हो।
बांधवगढ से सजंय गांधी उद्यान लगा हुआ है और वही से सीधे अचानकमार पहुंच गई हो।
बाघिन का घायल होना अभी भी रहस्य ..
इस बात की अभी भी चर्चा में बनी हुई है कि बाघिन की पीठ और पैर में चोट कैसे आई क्या कोई बाघिन का शिकार करने के इरादे से तो नहीं? या फिर शिकारी चीतल के शिकार इरादे से फंदा लगाकर रखे औजार में गलती से जा फंस हो अभी भी रहस्य बना हुआ है अधिकारी इस दिशा में भी जांच करे तभी बाघिन की घायल होने की बात इसष्पष्ट हो पाएगी।
*बाघिन को जंगल मे अब छोड़ना उचित नही होगा ?
मीडिया की सुर्खियों में रही बाघिन का अब खुले जंगल में छोड़ना उचित नही होगा क्योंकि उम्र अधिक है साथ ही पहले जैसे स्वच्छंद शिकार करने की स्थिति में नहीं रही क्योकि यदि जंगल मे छोड़ा गया तो कोई न कोई शिकार भी कर देगा साथ ही जंगल मे रहने की अंतिम सीमा तक पहुंच गई थी और पहले जैसे स्थिति में नही रही या फिर छोड़ा जाएगा उस स्थिति में बाघिन जंगल से लगे गांव के आसपास ही रहने लगेगी क्योकि उसकी खाने की आदत में कोमल मांस जैसे चिकन तक ही सीमित रह गई है और तो और मटन भी नही खाती हैं। ऐसे स्थिति में सरकार को जू के हवाले ही में रखना चाहिए अन्यथा बाघिन के लिए खतरा भी हो सकता है ? हालांकि अंतिम निर्णय शासन द्वारा गठित समिति ही लेगी की उसे रखना है अथवा जंगल में छोड़ना है ?