चाय काफी के खेती को बढ़ावा देने किसानों को सब्सिडी दिलाने का प्रयास

जशपुर (वायरलेस न्यूज़)
संसदीय सचिव यू.डी. मिंज ने कहा कि जशपुर जिला में शासकीय योजनाओं के माध्यम से चाय बगान विकसित किये गये हैं जिसके अच्छे परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही काफी के खेती के लिये भी प्रयास किये गये हैं ,जिसके सार्थक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। जिले में चाय एवं कॉफ़ी के व्यापक उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुऐ इसे जिले के किसानों को जोडकर इसकी लाभदायक खेती की जा सकती है। जशपुर जिले के किसान चाय एवं कॉफी की खेती करके स्वावलंबी बनेंगे एवं आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। इससे रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। इसकी शुरुआत हो चुकी है आने वाले समय मे इसके सार्थक परिणाम दिखेंगे।
उन्होंने कहा कि जशपुर जिले के सभी गौठान में महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से चाय एवं काफी के बागान विकसित किये जाने चाहिए। इसके साथ ही सभी विकासखण्ड में बन रहे रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में भी व्यवस्थित रूप से कॉफी के पौधे लगाए जाएं इससे जिले को नई पहचान मिलेगी।
उन्होंने माँग की है कि चाय एवं कॉफ़ी बोर्ड की स्थापना करके जशपुर में इसका मुख्यालय स्थापित किया जाय। उन्होंने राज्य सरकार से माँग की है कि चाय एवं कॉफ़ी की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाय ,किसानों को लगातार प्रशिक्षण दिया जाय और अधिक से अधिक किसानों को चाय एवं काफी के उत्पादन से जोड़ा जाय। जिससे जिले में चाय काफी का व्यापक उत्पादन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जशपुर जिले की जलवायु चाय एवं काफी के अनुकूल होने के कारण इसकी व्यापक खेती की जा सकती है इसकी खेती से जिले में पर्यटन को बढावा मिलेगा और जिले की पहचान चाय और कॉफ़ी के रूप में विकसित होगी। जशपुर जिले में कृषि एवं उद्यानिकी महाविद्यालय की स्थापना हो चुकी है जिससे चाय और कॉफ़ी के लिये मिट्टी ,जलवायु अध्ययन एवं कई प्रकार के अन्य रिसर्च के लिये आसानी होगी। वर्तमान में वन विभाग एवं जिला प्रशासन के द्वारा इसके लिये व्यापक स्तर पर कार्य जरूर किये गये हैं परंतु जिले के किसानों को इसके खेती से नहीं जोडा जा सका है।अधिक से अधिक किसानों को चाय एवं काॅफी खेती से जोडने के लिये शासन स्तर पर व्यापक सुविधा प्रदान करते हुऐ एवं सबसिडी प्रदान करके एवं प्रशिक्षण दिये जाने की माँग की है।उन्होंने कहा कि चाय एवं कॉफ़ी जैसे हरित उद्योग लगाए जाएं जिससे कि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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