वन क्षेत्रों में जंगली हाथियों के आगमन पूर्व सार्थक कदम उठाना जरुरी है: मंसूर खान

बिलासपुर (अमित मिश्रा संपादक वायरलेस न्यूज़ ) छत्तीसगढ़ में इन दिनों हाथियों के उत्पात से जंगल के रहवासी जूझ रहे हैं पूरा एवं अमला चिंतित दिखाई दे रहा है वहीं गुस्साए ग्रामीणों के द्वारा यदाकदा हाथियों को मारे जाने की घटनाएं भी हो रही है। इन्ही सब बातों को लेकर वायरलेस न्यूज़ की हाथियों के अचार ब्यवहार के जानकार श्री मंसूर खान एटीआर के मेम्बर लोकल एडवाइजरी से ग्रामीणों को अपने बचाव में क्या करनी चाहिये विस्तृत चर्चा विवरण नीचे लिखी गई है।
जब वन क्षेत्रों में हाथियों का आगमन होता है तो वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निम्न तथ्यों को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए-
आगमन के पूर्व प्रशासनिक स्तर पर उच्च अधिकारियों के साथ मीटिंग कर सामंजस्य स्थापित करना एवं संबंधित क्षेत्र के लोगों को जागरूक करने के लिए एवं सुरक्षित करने के लिए संपूर्ण प्रशासन को एकजुट करना जिसमें बिजली विभाग, चिकित्सा विभाग, पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को विशेष रूप से आमंत्रित करना चाहिए।
एकजुट होने के पश्चात प्रत्येक गांव में स्थानी समिति का निर्माण हो जिसमें गांव के सरपंच, वन रक्षक, गांव का सचिव, गांव का ग्राम सेवक, बिजली विभाग का लाइनमैन, स्कूल के टीचर एवं हेड मास्टर, पटवारी जनपद सदस्य, एवं ग्राम के प्रतिष्ठित नागरिक आदि का एक समूह बनाकर हाथी के विषय में चर्चा करना एवं जागरूकता एवं सावधानियों के लिए लोगों को जागरूक करने की रणनीति बनाना। इस प्रकार से कार्य करने से कार्य करने से भविष्य में परिणाम यह होगा कि
वन क्षेत्र में हाथी आने से केवल फॉरेस्ट गार्ड ही स्थिति को नियंत्रित कर लेगा और अपने उच्च अधिकारियों को यथा स्थिति से अवगत कराएगा वन मंडल को हाथी नियंत्रित करने के लिए जूझना नहीं पड़ेगा।

जंगली हाथियों को खदेड़ा जाना जानलेवा कदम है
1 जंगली हाथियों को भगाने से वे अधिक आक्रमक हो जाते हैं जिससे दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है
2 जब जंगली हाथी अनाज खाते हैं तो वे भगाने से भी नहीं भागते खाने के बाद ही जाते हैं।
3 अगर हाथियों को भगाया जाता है और वे बिना खाए चले गए तो पुनः आते हैं और अधिक गुस्से में होते हैं।
4 हाथी अगर घर में छेद कर या दरवाजा तोड़कर अनाज खाते है तो समझिए हाथी की मंशा घर तोडने की नहीं है ना ही आदमी मारने की है।

वनों में हाथियों को रोकने के लिए क्या किया जाए-
1 छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों की संख्या लगभग 300 है जिसमें अधिकतर हाथी जंगलों में ही रहते हैं जंगली पेड़ पौधे खाकर वे संतुष्ट हैं जंगलों से बाहर नहीं आते हैं जंगलों से बाहर आकर घर तोड़ने वाले एवं उत्पात करने वाले हाथियों की संख्या बहुत कम है अगर इनके पसंदीदा प्राकृतिक चारे की व्यवस्था वनों में ही कर दिया जाए तो वे जंगलों से बाहर तुलनात्मक कम आएंगे।
2 जिन वन क्षेत्रों में हाथियों का विचरण है उन क्षेत्रों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था प्राकृतिक रूप से की जानी चाहिए।
3 हाथियों को पसंद हैं महुआ, कटहल, आम, गन्ना, मक्का, चना, नमक, केला, सब्जी, गेहूं, धान आदि है की लालच में गांव के करीब आकर फसलों को नुक्सान करते हैं वे जंगलों के करीब के मकानों को भी तोड़कर घर में रखा सामान खा जाते हैं। जंगली हाथियों से बचाव तभी संभव है जब वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए प्राकृतिक चारा पर्याप्त हो यदि ना हो तो हाथियों के पसंदीदा पेड़, पौधे, घांस, लताऐ आदि की प्राकृतिक रूप से व्यवस्था की जाए।
4 जिन वन क्षेत्रों में हाथियों का विचरण है मानवी हस्तक्षेप ना हो अर्थात हाथियों को ना देखने जाएं उनकी सुरक्षा दूर से ही करें।
5 स्थानीय निवासियों के बीच हाथी सुरक्षा समूह बनाकर उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराई जाए।
6 चलित सोलर बैरीकेडिंग की पर्याप्त व्यवस्था करना चाहिए।
7 ईपीटी ( एलीफेंट प्रूफ ट्रेंच ) का निर्माण कुछेक स्थानों पर कारगर साबित हो सकता है इसे करना चाहिए।
8 इपीटी निर्माण होने के पश्चात जंगल की ओर कांटेदार पेड़ जैसे नींबू, अकोल आदि को लगाना वा पेड़ों की देखभाल करना। इससे हाथियों का गांव की ओर आना रुक सकता है।
9 गांव में जंगली हाथियों को रोकने के लिए कुमकी हाथियों का उपयोग करना चाहिए।
10 वन्य प्राणी का व्यवहार जैसे को तैसा की तर्ज पर होता है अगर हम उन्हें पत्थर मारेंगे तो वे क्या करेंगे यह किसी से छिपा नहीं है कृपया जो भी वन्य प्राणियों को सताते हैं मारते हैं उन से निवेदन करिए कि वह ऐसा ना करें यही वह मूल मंत्र है जिस पर अमल करने से मनुष्य और वन्य प्राणियों के बीच आपसी द्वंद्व में कमी आएगी।
11 गजराज वाहन जैसे छोटे वाहन की भी व्यवस्था करना एवं उन वाहनों में ईंधन व संसाधन पूर्ण करना।
12 हाथियों के दलों की निगरानी के लिए हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाया जावे।
13 हाथियों के संभावित प्रवास की पूर्व सूचना संबंधित ग्रामों को दी जावे।
14 ब्लिंकिंग लाइट का उपयोग पूर्व में सरगुजा के मौजूदा सीसीएफ के के बिसेन सर ने करवाया था जो काफी सार्थक रहा इसका भी इस्तेमाल करना चाहिए।

नोट- हाथी और मानव द्वंद रोकने के लिए हाथियों को जंगल के अंदर रोकने के प्राकृतिक उपायों पर बल देना चाहिए जो चारा जंगल में उपलब्ध है उसे और बढ़ाना चाहिए हाथी जंगल से तभी बाहर आते हैं जब जंगल में हाथियों के खाद्य पदार्थ की कमी होती है अगर हम हाथी एवं अन्य वन्य प्राणियों के लिए वनों के अंदर इन्हें सुरक्षा प्रदान करें एवं पानी वा चारा की व्यवस्था करे तो वन्य प्राणियों के जंगलों से बाहर आने की घटनाओं में बेतहाशा कमी आएगी और वन्य प्राणी और मानव द्वंद भी कम होंगे।

अपील छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों का रहवास कुछ एक स्थानों पर तो बहुत ही सुरक्षित है जंगली हाथी जंगलों से बाहर ही नहीं आते एवं कुछ स्थानों पर गांव की ओर आ जाते हैं या ग्राम वासी हाथी की मैजूदगी में जंगलों में चले जाते हैं और हाथियों से सामना हो जाता है जिससे मनुष्यों एवं हाथियों के बीच आपसी द्वंद होता है इस द्वंद में कभी मनुष्य तो कभी हाथी की मृत्यु हो जाती है। जिस तरह जंगली हाथी वनों के सबसे बड़े संरक्षक हैं उसी तरह मूल वनवासी भी वनों के संरक्षक हैं दोनों का संरक्षण समाज की जिम्मेदारी है।
*अतः मैं जिम्मेदारों से अपील करता हूं कि इस विषय में प्रकाश डालकर मनुष्य एवं वन्य प्राणियों के बीच आपसी द्वंद्व को कम करने की दिशा में सार्थक कदम उठाने का कष्ट करिए।