(जशपुर से सुनीता गुप्ता वायरलेस न्यूज ब्यूरोचीफ ) सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी योजना “हमर शान हमर गोठान”को लेकर विपक्षी पार्टी भाजपा तो सरकार की खिल्ली शुरू से उड़ा ही रही थी अब सरकार के नुमाइंदे भी गोठान योजना की मिट्टी पलीद करने में लग गए है । पशुओं और जीव जंतुओं से प्रेम रखने वाले पशु प्रेमी व जशपुर के एक सरकारी शिक्षक ने सरकार की इस योजना को लेकर जो फेसबुक में लिखा है उसे पढ़कर आप बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे ।
सांपों के जानकार और कई सारे पशुओं को पालने वाले इस पशु प्रेमी सरकारी शिक्षक का नाम केसर हुसैन है। केसर पशुओं और खाशकर साँपों से प्रेम करने के अलावे सामाजिक कार्यों में भी काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते है । इस लिहाज से भी इनका पोस्ट काफी मायने रखता है ।
उन्होंने “हमर शान हमर गोठान ” योजना के बारे में जो लिखा वह कितना सच है यह तो हम नहीं कह सकते लेकिन इसे पढ़ने के बाद इस योजना की सच्चाई जानने की आपकी ललक जरूर बढ़ जाएगी।

शिक्षक केसर की फेसबुक पोस्ट

%%%%%%%%%%%%%%

इसमें मुझे कुछ नहीं कहना : यू डी मिंज (संसदीय सचिव) ….आज कल के बच्चे सब कही भी हग मुत देते हैं क्या करना है जैसे कि हगना, मूतना ,खिलौना फेक देना ये सब बच्चे ही तो करते हैं और इसमें मुझे कुछ नही कहना

#####################
केसर ने एक गोठान की तस्वीर के साथ अपने फेसबुक वॉल में लिखा है—-“छत्तीसगढ़ की हमर शान हमर गौठान पूरी तरह से पैसों की बर्बादी और कुछ नही,

बिना किसी तैयारी की हड़बड़ाहट में चालू की गई योजना है छत्तीसगढ़ की गौठान योजना,

मेरी समझ से गौठान की कोई खाश आवश्यकता ही नही थी, फिर भी अगर चालू ही करना था तो ये झूठी वाहवाही के जगह में स्थानीय अवसर एंव बाजार को मद्देनजर करना था,
वैसे आपको बता दें कि प्रदेश की विपक्षी पार्टी भाजपा शुरू से इस योजना को लेकर यही बात बोलती आ रही है ।भाजपा शुरू से इस योजना को सरकार की सबसे नाकामयाब और पैसों की बर्बादी वाली योजना बताने पर तुली है लेकिन विपक्ष तो विपक्ष है ,आरोप लगाना और सरकार को घेरना विपक्ष का मूल धर्म होता है इसलिए विपक्ष का बयान ज्यादा मायने नही रखता सरकार की नजर में, लेकिन जब कोई सरकारी मुलाजिम भी वही बात करने लगे तो सरकार की योजना पर संदेह होना लाजमी है ।
बहरहाल हम अगर जशपुर जिले की बात करें तो इक्के दुक्के गोठानो को छोड़कर बाकी गोठानो को मुर्त रूप नहीं दिया जा सका है। स्ट्रक्चर तैयार तो है लेकिन वहाँ एक्टिविटी नहीं है ,मवेशी नहीं है ,मवेशियी के चारे नहीं है ।

Author Profile

Amit Mishra - Editor in Chief
Amit Mishra - Editor in Chief