बिलासपुर (वायरलेस न्यूज़) कोरबा जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग में सुपरवाईजर के पद पर पदस्थ श्रीमति रूपा रोजनिल बारिया के जाति प्रमाणपत्र को उच्चस्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा 22 जनवरी 2022 को निरस्त कर दिए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय हाईकोर्ट ने यथास्थिति का आदेश पारित किया है। इस दौरान विभाग द्वारा इस पर्यवेक्षिका के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिए हैं।
इस मामले में श्रीमति बारिया के पक्ष में भील अनुसूचित जाति का जाति प्रमाणपत्र नायब तहसीलदार कोरबा द्वारा जारी किया गया था। कार्यालय आयुक्त, ग्वालियर सम्भाग, ग्वालियर मध्यप्रदेश के द्वारा श्रीमति बारिया की नियुक्ति सहायक महिला बाल विकास विस्तार अधिकारी के पद पर अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित पर के विरूद्ध की गई है। तथा श्रीमति बारिया की सेवा पुस्तिका, जो कि विकासखण्ड अधिकारी डमरा के द्वारा सन्धारित की गई है, के जाति, धर्म, या कौम में ईसाई (भील) दर्शित है, जिसके अनुक्रम में छानबीन समिति के द्वारा जाति प्रमाणपत्र जाँच के आधार पर पाया कि राष्ट्रपति अधिसूचना के पूर्व के कोई भी दस्तावेज अपनी जाति को सिद्ध करने हेतु प्रस्तुत नहीं किया गया। फलस्वरूप धारक की जाति मील अनुसूचित जनजाति नहीं होना पाया गया। इसीलिए 22 जनवरी 2022 को उच्चस्तरीय छानबीन समिति द्वारा श्रीमति बारिया के पक्ष में नायब तहसीलदार कोरबा जिला कोरबा, मध्यप्रदेश से जारी भील अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया गया, जिससे परिवेदित होकर सुश्री बारिया ने हाईकोर्ट के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से एक रिट याचिका दायर की।
याचिका में मुख्य आधार यह लिया गया कि छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति / जनजाति और अन्यपिछडावर्ग (सामाजिक प्रास्थिति के प्रमाणीकरण का विनियम) अधिनियम, 2013 की धारा-6 के तहत् किसी भी जाति प्रमाणपत्र के प्रमाणीकरण के सत्यापन की आधिकारिक शक्ति जिलास्तरीय छानबीन समिति को ही है। जबकि श्रीमति बारिया की जाति के मामले में सीधे उच्चस्तरीय जाति प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा सत्यापन कर दिया गया था, जो कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों के खिलाफ है।
याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री जस्टिस पार्थप्रतीम साहू ने याचिकाकर्ती श्रीमति बारिया के जाति प्रमाणपत्र को उच्चस्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति द्वारा 22 जनवरी 2022 के निरस्तीकरण आदेश पर तत्काल प्रभाव से स्टे-आदेश जारी कर दिया तथा यथास्थिति का आदेश पारित करते हुए पर्यवेक्षिका के खिलाफ किसी भी कार्यवाही पर रोक लगाया है। हाईकोर्ट ने इस याचिका में महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव उच्चस्तरीय छानबीन समिति के अध्यक्ष-सह-सदस्यसचिव को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया।
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