(अमित मिश्रा वायरलेस न्यूज़) राजस्थान में बीजेपी की संगठनात्मक बैठक में छत्तीसगढ़ को लेकर जिले से लेकर प्रदेश स्तर पर भारी बदलाव के संकेत मिल रहे है चुनाव से पूर्व ही पिछड़ा वर्ग से कार्यकारी अध्यक्ष बैठाने के साथ प्रतिपक्ष के नेता भी बदले जाने के जबरदस्त आसार हैं।
वहीं पुराने बिलासपुर संभाग के बिलासपुर मुंगेली, रायगढ़ कोरबा, सरगुजा ,जांजगीर के जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। सबसे ज्यादा शिकायत मुंगेली रायगढ़ और जांजगीर को लेकर है।
प्रदेश अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष चुनाव प्रभारी की कमान नए चेहरे को देने का मन बना लिया गया है। इस बैठक में यह साफ संकेत है कि छत्तीसगढ़ में स्थापित मठादिशों का जाना तय है।
कॉविड कॉल के उपरांत भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ संगठन की स्थिति विपक्ष की भूमिका में गंभीर नहीं रही विधानसभा सत्र या कांग्रेस सरकार की विफलताओं को गांव गांव शहर शहर पहुंचाने में संगठन नाकाम रहा इसके साथ ही साथ केंद्रीय मोदी सरकार की उपलब्धि ना तो संगठन गांव गरीब किसान तक मोदी सरकार की उपलब्धियों को बताने में सफल साबित हुआ और ना ही एक अच्छे राज्य में विपक्ष की भूमिका अदा करने में छत्तीसगढ़ प्रदेश संगठन से लेकर जिला संगठन तक अपनी मनमानी निजी करण जैसी पार्टी चलाने के कारण आम कार्यकर्ता को तवज्जो महत्त्व न दिया जाना भारतीय जनता पार्टी नई परिपाटी परिश्रम नहीं परिक्रमा को ज्यादा अहमियत दिए जाने के कारण पिछली सरकार से हाथ धोना पड़ा वर्तमान समय भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कुछ अच्छा साबित नहीं हो रहा सिर्फ संगठन कुछ कर रहा है संगठन है इस को दर्शाने हेतु कागजी घोड़े दौड़ा ए जा रहे हैं प्रदेश संगठन प्रभारी एवं राष्ट्रीय नेतृत्व आने वाले समय में संगठन से लेकर मंडल स्तर तक वास्तविक मूल परिवर्तन कर स्थानीय नेतृत्व को महत्व देकर संगठन को मजबूत करेंगे।
जयपुर बैठक से पहले ही अपनी रिपोर्ट प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने पटल पर रख चुकी है, जिस पर अमल तय माना जा रहा है।
रायगढ़, धमतरी के प्रमुख नेता के कद बढ़ाए जाने के स्प्ष्ट संकेत आ रहे है।
प्रदेश के चुनाव को देखते हुए सभी जिलों में चुनाव जीतने योग्य प्रत्याशियों की सूची भी सौंपी जा चुकी है। जिसमें ज्यादातर युवा चेहरों को शामिल किए गए है।
इस बार भी प्रदेश के सतनामी ,पिछड़ावर्ग और सतनामी समाज के वोट बैंक को नए सिरे से साधने के संकेत है। इसके पीछे की राजनीति सिर्फ प्रदेश की राजनीति में स्थापित हो चले मुखिया भूपेश बघेल से निपटने किस तरह निपटा जाएगा ?
ये तो तय हो चला है कि वर्तमान में न तो स्थपित नेता और न ही संगठन में वो ताकत रहा जो भूपेश बघेल से निपटने में सक्षम है इसी पर राष्ट्रीय संगठन मंत्री और प्रदेश प्रभारी में गजब का तालमेल है। अब देखना है कि रमन सिंह को केंद्रीय नेतृत्व कहा बैठाती है। ये आनेवाला वक्त ही बताएगा।
कॉविड कॉल के उपरांत भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ संगठन की स्थिति विपक्ष की भूमिका में गंभीर नहीं रही विधानसभा सत्र या कांग्रेस सरकार की विफलताओं को गांव गांव शहर शहर पहुंचाने में संगठन नाकाम रहा इसके साथ ही साथ केंद्रीय मोदी सरकार की उपलब्धि ना तो संगठन गांव गरीब किसान तक मोदी सरकार की उपलब्धियों को बताने में सफल साबित हुआ और ना ही एक अच्छे राज्य में विपक्ष की भूमिका अदा करने में छत्तीसगढ़ प्रदेश संगठन से लेकर जिला संगठन तक अपनी मनमानी निजी करण जैसी पार्टी चलाने के कारण आम कार्यकर्ता को तवज्जो महत्त्व न दिया जाना भारतीय जनता पार्टी नई परिपाटी परिश्रम नहीं परिक्रमा को ज्यादा अहमियत दिए जाने के कारण पिछली सरकार से हाथ धोना पड़ा वर्तमान समय भी भारतीय जनता पार्टी के लिए कुछ अच्छा साबित नहीं हो रहा सिर्फ संगठन कुछ कर रहा है संगठन है इस को दर्शाने हेतु कागजी घोड़े दौड़ा ए जा रहे हैं प्रदेश संगठन प्रभारी एवं राष्ट्रीय नेतृत्व आने वाले समय में संगठन से लेकर मंडल स्तर तक वास्तविक मूल परिवर्तन कर स्थानीय नेतृत्व को महत्व देकर संगठन को मजबूत करेंगे
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