21000 की सागौन की तस्करी में लिप्त डीआईजी को बर्खास्तगी का नोटिस जारी

(अमित मिश्रा संपादक वायरलेस न्यूज़)

डीआइजी छोटाराम जाट ने वीआरएस लेने अपनी स्वीकृति दी और पत्र दिल्ली डीजी आईटीबीपी ने इसे स्वीकार कर लिया जिसकी पत्र की कापी

दिसंबर 2020 में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के ग्राम टोटल भारी में 21 हजार रु के सागौन तस्करी करवाना आईटीबीपी के 1 डीआईजी को भारी पड़ गया डीआईजी को भारत सरकार गृह मंत्रालय के इंस्पेक्टर जनरल ने बरखा स्त्री का शो कॉज नोटिस जारी किया है, इसी के चलते डीआईजी आईटीबीपी छोटाराम जाट ने दबाव में आकर वीआरएस स्वीकार करना पड़ा है।

पूरा मामला इस प्रकार है कि दिनांक 26 दिसंबर 2020 को रात को 8:00 बजे राजनांदगांव के ग्राम टोटलबाहरी के ग्रामीणों ने आइटीबीपी का एक ट्रक पकड़ा जिसमें 11 सागवान के लट्ठे ले जाए जा रहे थे मामले ने तूल पकड़ा और वन विभाग तथा पुलिस विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे वन विभाग ने पी ओ आर क्रमांक 35 71 दर्ज करके रुपए 10000 की पेनल्टी लगा के जवानों को छोड़ दिया

आईटीबीपी डीआइजी छोटाराम जाट पर सागौन लकड़ी की तस्करी में लिप्त होने पर खबर प्रकाशित हुई थी

आईटीबीपी ने इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठाई जिसमें 36 गवाहों के और आठ बचाव पक्ष के गवाहों का साक्ष्य लिया गया आईटीबीपी ने पाया की तत्कालीन डीआईजी एंटी नक्सल ऑपरेशन राजनांदगांव छोटा राम जाट ने 5 जवानों को टोटल भारी गांव में शासकीय भूमि पर रखें 14 लाखों को लाने के लिए आइटीबीपी के 44 वीं बटालियन के ट्रक में भेजा सागौन के लट्ठे वहां से एक प्राइवेट फार्म हाउस में ग्राम पटेरा तहसील दुमका जिला राजनांदगांव ले जाए जाने थे कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में पाया गया कि तत्कालीन डीआईजी छोटा राम जाट अवैध गतिविधियों मे लिप्त रहे तथा अवैध तरीके से अर्जित की गई प्रतिबंधित सागवान लकड़ी के ट्रांसपोर्टेशन में लिप्त रहे यह भी पाया गया कि छोटा राम जाट के कारण से आईटीबीपी के 5 जवानों के जीवन के साथ समझौता किया गया तथा नक्सल क्षेत्र में बिना सुरक्षा के भेजा गया जोकि s.o.p. का उल्लंघन पाया गया गृह मंत्रालय की तरफ से डीआईजी छोटा राम जाट को नोटिस जारी किया है जिसमें बताया गया है कि उनको नौकरी से निकालना प्रस्तावित किया गया है तथा आईटीबीपी के रूल के तहत 15 दिनों का शो कॉज नोटिस जारी किया गया है।

डीआइजी छोटाराम जाट को नोटिस मिलते ही समझ गए कि यदि विभाग बर्खास्त करता है तो अन्तिम समय पेंशन पर ब्यवधान होगी। वैसे भी वे आईटीबीपी सर्विसेज एक्ट को अच्छी तरह वे जानते ही है परिणामस्वरूप उन्होंने दबाव में आकर रेगुलर सर्विस से वीआरएस लेना ही बेहतर समझ निर्णय लेना पड़ा। लेकिन ये कतई न समझा जाय कि लकडी तस्करी की कार्यवाही पर फर्क नही पड़ने वाला है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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