अनूपपुर जिले से सर्वप्रथम प्रकाशित स्थानीय दैनिक कीर्ति – क्रांति ,
अनूपपुर संस्करण को आज 17 वर्ष पूरे हो गये। सच्चे मायने में नर्मदांचल में सकारात्मक आंचलिक पत्रकारिता का जो दौर तब प्रारंभ हुआ , उसने इन 17 वर्षों मे बहुत से उतार — चढाव देखे हैं। आज की नयी पीढी को तो शायद यह भी नहीं पता होगा कि 2003 के 15 अगस्त को जिला गठन के बाद अनूपपुर जिले में स्वयं का कोई दैनिक समाचार पत्र नहीं था। यह बहुत जरुरी था और लगातार मेरे मन में इसकी कमी खलती रहती थी । हमने विवेक बियाणी, आशुतोष त्रिपाठी, शशिधर अग्रवाल , बीजू थामस के साथ मिल कर कहने को तो 2003 में ही साप्ताहिक अक्षरश: का प्रकाशन प्रारंभ किया था। कार्यकारी संपादक के रुप में मेरी टीम ने मुझे इस समाचार पत्र के रुप में जो एक खुला आसमान प्रदान किया था, सही मायने में पत्रकारिता की उड़ान दैनिक कीर्तिक्रांति अनूपपुर एडिशन के शुभारंभ के साथ जो शुरु हुई वह तमाम लेकिन , किन्तु, परन्तु के साथ आज भी अनथक जारी है। इसका पूरा श्रेय समाचार पत्र के प्रधान संपादक आदरणीय डा उमेश दीक्षित जी के पूर्ण आशीर्वाद, सहयोग और उनके द्वारा दिया गया संबल को जाता है।
मुझे याद है जनवरी – 2006 के किसी दिन कोतमा के वरिष्ठ पत्रकार नीलू रजक , हृदयेश्वर शर्मा ने मेरे सामने कीर्तिक्रांति रीवा के मैनेजर राजेश चौबे को ला खडा किया। चूंकि अगले ही दिन अनूपपुर मे मेरे जिलाध्यक्ष बनने के बाद म प्र श्रमजीवी पत्रकार संघ का पहला जिला सम्मेलन तब के गृहराज्य मंत्री नागेन्द्र सिंह के मुख्य आतिथ्य मे आयोजित होना था। पत्रकारों के किसी आयोजन मे गृहमंत्री की उपस्थिति का अपना ही मतलब था। व्यस्तता बहुत थी, लेकिन उक्त पत्रकार बन्धुओं के विशेष आग्रह पर मैने आधे अधूरे मन से दैनिक कीर्तिक्रांति ,रीवा संस्करण की एजेंसी ली। तब मैं साप्ताहिक अक्षरश: का कार्यकारी संपादक हुआ करता था। संपादक से समाचार पत्र का जिला प्रतिनिधि बनना कुछ लोगों को बुरा जरुर लगा लेकिन तब दैनिक समाचार पत्र से जुडने,उसमे नाम सहित समाचार प्रकाशन का महत्व ही बहुत था। तब इंटरनेट, सोशल मीडिया, मोबाइल का बहुत ज्यादा प्रचलन नहीं था। समाचार हाथों से लिख कर , लिफाफे मे डाल कर ,बस के माध्यम से प्रेस को भेजा जाता था। अपरिहार्य खबर फैक्स से भेज कर फोन से बतलाने पर उसी दिन ,अन्यथा बस वाली खबर दो,तीन ,चार दिन बाद प्रकाशित होती थी। एक या दो खबरों की सीमा थी। समाचार पत्र मे अपनी खबर खोज कर पढने , पढाने का मजा ही कुछ और था।
खैर ! कीर्तिक्रांति तब कोतमा,धनपुरी, शहडोल, कुछ समय पहले तक अनूपपुर सहित कुछ अन्य जगहों मे प्रमुख समाचार पत्र था। प्रधान संपादक डा उमेश दीक्षित जी की छवि उस वक्त के दबंग, जीवट , कर्मठ पत्रकारों मे होती रही है। प्रदेश स्तर पर जानामाना नाम था , अब भी है। धीरे धीरे दो – तीन माह बीत गये। कुछ नया ,बडा ,अधिक करने की चाहत ने मुझे डा उमेश दीक्षित जी के संपर्क मे लाया। मैने उन्हे अनूपपुर संस्करण का प्रकाशन करने का आग्रह किया। उन्होंने मुझे चर्चा के लिये रीवा आमंत्रित किया। मेरे अभिन्न समाजसेवी मित्र त्रिभुवेन्द्र दास, अमरकंटक एवं नीलू रजक के साथ हम रीवा पहुंच गये।
डा उमेश दीक्षित जी ने मेरे आग्रह को स्वीकार करते हुए अनूपपुर से दैनिक कीर्तिक्रांति के प्रकाशन की सशर्त स्वीकृति प्रदान की। अभिमन्यु वर्मा एक ऐसा नाम था कि जिसकी पूर्ण ,ठोस सहमति के बाद मैने अपने जीवन का इतना बडा निर्णय लिया था। सभी तैयारियां पूरी करने के बाद मेरे सर्वकालिक मित्र तत्कालीन विधायक रामलाल रौतेल के सहयोग से म प्र सरकार के गृह राज्य मंत्री नागेन्द्र सिंह ने अनूपपुर के प्रथम दैनिक समाचार पत्र कीर्तिक्रांति के विमोचन के लिये 13 जुलाई 2006 का समय प्रदान किया। उनका कार्यक्रम जिला प्रशासन के पास आ भी गया।
स्वयं के ईमानदार व्यय पर सामुदायिक भवन ( नगरपालिका के पीछे) मे 13 जुलाई , 2006 को गृह राज्य मंत्री नागेन्द्र सिंह, तत्कालीन सांसद दलपत सिंह परस्ते, तीनों विधायक जयसिंह मरावी, रामलाल रौतेल ,सुदामा सिंह, जिला पंचायत अध्यक्ष नागेन्द्र नाथ सिंह ,तत्कालीन कलेक्टर के के खरे, एसपी आर एस उईके के साथ तमाम गणमान्य नागरिकों, पत्रकार बन्धुओं की गरिमामयी उपस्थिति मे दैनिक कीर्तिक्रांति ,अनूपपुर का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
विमोचन के बाद ही मुझे पता चला कि डा उमेश दीक्षित जी ने अनूपपुर संस्करण का स्थानीय संपादक मुझे बनाया था। इस तरह से अनूपपुर जिले मे दैनिक समाचार पत्र का प्रथम संपादक बनने का सौभाग्य माता नर्मदा जी की कृपा से मुझे प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में मंच का कुशल संचालन त्रिभुवेन्द्र दास ने किया था तथा आभार प्रदर्शन नीलू रजक ने।
वस्तुत: अनूपपुर की सकारात्मक आंचलिक पत्रकारिता का ये टर्निंग प्वाईंट था। अभिमन्यु वर्मा वह पहला व्यक्ति था जिसने अनूपपुर जैसी छोटी सी जगह से तब कम्प्यूटर मे समाचार तैयार कर मोडम के माध्यम से प्रिंट होने प्रेस तक भेजने का शुभारंभ किया था। बहुत परेशानियां थीं , समाचार पत्र चलाना वास्तव मे किसी दुस्साहस से कम नहीं था। लेकिन गाड़ी चल पडी….चल क्या पडी … स्थानीय जन प्रतिनिधियों, प्रशासन, व्यापारियों, प्रबुद्ध पाठकों, पत्रकार मित्रों के भरपूर सहयोग से दौड़ने लगी।
समाचार लेखन, प्रकाशन का ऐसा जुनून कि एक दिन मे सर्वाधिक 65 खबरें तक हमने प्रकाशित कीं। जिले के पाठकों को भी रोज सुबह क्षेत्र की ताजी , त्वरित खबरें पढने कॊ मिलने लगी। कोतमा के तब के क्षेत्रीय प्रतिनिधि नीलू रजक ने इसे वहाँ के प्रबुद्ध ,सम्मानित पाठकों के बीच खुश्बू की तरह फैलाया। सारे छोटे – बडे समाचार पत्र एक तरफ … कीर्तिक्रांति एक तरफ। कीर्तिक्रांति मे खबर नहीं लगी तो लोगों को मजा नहीं आता। नाम नहीं छपा तो नाराजगी व्यक्त करते थे। आज भी यह देश का एक मात्र दैनिक समाचार पत्र है जिसे लोग पीछे के पन्ने से पढना प्रारंभ करते हैं & पढते पढते प्रथम पेज तक पहुंचते हैं । लगभग हर पन्ने पर स्थानीय खबरें सबसे अधिक और सबसे कम विग्यापन …. लेकिन सबसे अधिक विस्तृत खबरों के प्रकाशन ने जनता का मन मोह लिया।
धीरे धीरे कार्य बढने पर हरिओम ताम्रकार, मधुकर चतुर्वेदी, विकी दाहिया, आनंद पाण्डेय जिला ब्यूरो से बढते बढते तब निगवानी के प्रतिनिधि रहे राजेश पयासी तक यात्रा पहुंची। जिला व्यूरो राजेश पयासी , उनके अनुज सुधाकर मिश्रा तथा विसंगतियों के बावजूद लंबे समय से टिके कम्प्यूटर आपरेटर छत्रपाल राठौर ने कार्य को गति तथा मजबूती प्रदान की है।
समय बदला है। मेरी प्राथमिकता बदलने के साथ दैनिक कीर्तिक्रांति मे स्थानीय समाचारों की गुणवत्ता, विषयवस्तु, महत्व को लेकर अधिक मेहनत करने की जरुरत है। इसे संभालने ,ग्रामीण क्षेत्रों से जनता से जुडी अधिक से अधिक खबरें निकालने के लिये सतत संपर्क की जरुरत है। खबरों का बार बार दोहराव पाठकों मे खीज पैदा करता है। पत्रकारों और संवाददाताओं के मुंशी ,दरोगा ,न्यायाधीश बनने की गलत परंपरा ने पाठकों ,आम नागरिकों मे समाचार पत्र से लगाव की जगह भय, दुराव पैदा किया है। 2006 से 20022 के दौर में नये नये समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक चैनलों ,सोशल मीडिया के नये ट्रेण्ड जनता को चयन का अवसर प्रदान करते रहे हैं।
पिछले 17 वर्षों मे दैनिक कीर्तिक्रांति जिले की आवाज बन कर स्थापित हुआ है। जनता के बीच बनी साख, विश्वसनीयता ,स्वीकार्यता बनी हुई है। दैनिक कीर्तिक्रांति अनूपपुर दबंग,निष्पक्ष ,निर्भीक पत्रकारिता का पर्याय बन चुका है। 17 साल दैनिक कीर्तिक्रांति ,अनूपपुर के बेमिसाल रहे हैं। जनता का भरपूर स्नेह, विश्वास हमें प्राप्त हुआ है ।
आज 13 जुलाई है…..आपके भरोसे पर खरा उतरने के शानदार 17 साल पूरे हुए। आपके आशीर्वाद, आपकी अनुकंपा,आपके विश्वास के भरोसे हम आगे भी स्वयं मे सुधार करते हुए आम गरीब जनता की आवाज बन कर कार्य करते रहें , इसके लिये निहायत जरुरी है कि आप सभी हमारी , हमारे प्रतिनिधियों की कमियों पर उन्हे टोंकें, हमें अवगत करायें तथा अच्छे कार्यों पर अभिभावक की तरह हमारी पीठ पर हाथ रखें। दैनिक कीर्तिक्रांति आपका अपना समाचार पत्र है …इसके 17 वर्ष पूर्ण होने पर दैनिक कीर्तिक्रांति परिवार की ओर से मैं आप सभी को हार्दिक बधाई, शुभकामनाएँ प्रदान करते हुए आप सभी का अभिनन्दन करता हूँ ।
नर्मदे हर
😊🌹🙏
मनोज कुमार द्विवेदी
संपादक
दैनिक कीर्तिक्रांति ,अनूपपुर
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