किशोर कर ब्यूरोचीफ महासमुंद

महासमुंद – देश में राष्ट्रीय पर्वों पर शहीदों का सम्मान किया जाता है और उनका स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है लेकिन देश की रक्षा करते हुए और देश के दुश्मनों से लड़ते हुए सरायपाली का एक जवान शहीद हो जाता है 15 साल बीत जाने के बाद भी उस शहीद के सम्मान में जिस तरह से व्यवस्था होनी चाहिए वह नजर नहीं आता। जिससे शहीदों के सम्मान को लेकर किस तरह लापरवाही बरती जा रही है यह नज़ारा महासमुंद जिले के सरायपाली में सामने आया है। दरअसल शहीद के नाम पर सरायपाली के पतरापाली स्कूल के नामकरण की मांग भी लंबे समय से चल रही है लेकिन इस दिशा में भी कोई ठोस काम अभी तक प्रशासन की ओर से नहीं हुआ है।
महासमुंद जिले के सरायपाली नगर मैं एक आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक ललित बुडेक छत्तीसगढ़ पुलिस में सेवा देते हुए नक्सलियों से लोहा लेते समय जनवरी 2005 में शहीद हो गए थे । सरायपाली नगर का पहला शहीद होने की वजह से जिस शाला में शहीद ललित बुडेक अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त किए थे उसी पतेरापाली स्कूल को शहीद ललित बुडेक के नाम पर करने की मांग नगर के बुद्धिजीवी और गणमान्य लोग उठाते रहे। शासन प्रशासन तक पत्र व्यवहार किया गया और तमाम तरह की औपचारिकताएं भी पूरी कर ली गई , लेकिन विडंबना है कि शहीद होने के 15 साल बाद भी शासकीय प्राथमिक शाला पतेरापाली का नामकरण शहीद ललित बुडेक के नाम पर नहीं किया जा सका। जिससे शहीद परिवार आज भी मायूस है। प्रशासन की ओर से पतरापाली चौक पर शहीद ललित बुडेक का एक स्मारक भी बनाया गया है ।

लेकिन स्मारक स्थल की इस कदर दुर्दशा बनी हुई है कि शहीद के सम्मान पर पलीता लगता नजर आ रहा है। दरअसल स्मारक स्थल पर न तो स्वछता का ध्यान रखा गया है और न ही अन्य तरह की कोई व्यवस्था की गई है। स्मारक स्थल की रेलिंग महीनों से टूटी पड़ी है लेकिन उसके मरम्मत के लिए किसी को भी फुर्सत नहीं है । स्वर्गीय ललित बूढ़ेक सरायपाली का प्रथम शहीद होने के बाद भी उसके स्मारक स्थल तक मे कोई सफाई और व्यवस्था नहीं होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं नगर प्रशासन की व्यवस्था भी सवालों के दायरे में आ गयी है । शहीद ललित बुडेक की बुजुर्ग मां अपने शहीद बेटे के नाम पर स्कूल के

नामकरण के लिए शासन प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठी है बेटे को याद कर उसकी आंखें भर आती है, लेकिन उसके शहीद बेटे के नाम पर 15 साल बीत जाने के बाद भी किसी सरकार ने आज तक स्कूल के नामकरण को लेकर ध्यान नहीं दिया। जिससे शहीद की बुजुर्ग मां काफी उदास नजर आ रही है । शहीद के नाम पर स्कूल के नामकरण को लेकर परिजनों और गांव के गणमान्य नागरिक लालमन प्रधान से जब बात की गई तब उनका भी करना था कि यह मांग और लगभग 15 सालों से की जा रही है लेकिन कहीं कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है यदि पतेरापाली स्कूल का नामकरण सहित ललित बूढ़ेक के नाम से किया जाता तो वह उस जवान शहीद को एक सच्ची श्रद्धांजलि होती और तमाम नागरिकों को गर्व महसूस होता।