किशोर कर ब्यूरोचीफ महासमुंद
महासमुन्द- एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम वर्ष 2018-19 के तहत अंचल में करीब दर्जनभर स्टाप डेम के लिए करीब डेढ़ करोड़ रूपए की स्वीकृति और कार्य आरंभ होने के बाद इन स्टाप डेम की हालत बयान करने के लायक भी नही है। कार्य शुरू हुए एक साल से उपर का समय बीत गया। कुछ स्टाप डेम अधूरे है तो कुछ की नींव ही नही रखी गई। ग्राम चकरदा के लिए स्वीकृत दो स्टाप डेम में एक अधूरा है और दूसरे की नींव भी नही रखी गई है। बावजूद इनमें राशि का मनमाना आहरण कर लिया गया है। अधिकारी आॅख मूंदकर 50 प्रतिशत राशि को ठेकेदार को बिना नींव खुदे कार्य के एवज में दे चुके है। इन अधिकारियों ने कुर्सी में बैठे-बैठे ही निर्माण कार्य का बंटाधार कर दिया है। जिस स्टाप डेम के लिए नीव भी न खुदी हो उसके लिए 50 प्रतिशत राशि का आहरण हुए साल भर का समय पूर्ण होने को है पर कृषि विभाग के अधिकरियों ने न तो रिकवरी की है और ना ही कार्य प्रारंभ कराने में कोई दिलचस्पी ली है। ग्रामीणों के अनुसार जलग्रहण समिति के बजाय रायगढ़ के किसी ठेकेदार द्वारा कार्य कराया जा रहा था। जिसे कोरोना के बाद से अभी तक किसी ने नही देखा। इधर 4 स्टाप डेम में कार्यरत जेसीबी, मजदूर और मटेरियल सप्लायर का भुगतान भी बकाया है। जिन किसानो के खेती के लिए बारिश के जल संग्रहण के उद्देश्य से इस योजना के तहत स्टाप डेम बनाए जाने के लिए शासन ने भारी भरकम राशि दी थी उसके अनुरूप एक भी स्टाप डेम न बीते वर्ष किसानो के काम आ पाया और इस वर्ष भी इसकी संभावना नही के बराबर है।
*इन जगहों पर बनना है स्टाप डेम*
मोंहदा 01 में 11 लाख, मोंहदा 02 में 14.20 लाख, मुंधा में 11 लाख, केन्दुढार में 14.99 लाख, चकरदा 01 में 14.99 लाख, चकरदा 02 में 11.59 लाख, अमरकोट 01 में 11 लाख, अमरकोट 02 में 11 लाख, नुनपानी 01 में 11लाख, नुनपानी 02 में 11 लाख, साजापाली में 14.20 लाख और जम्हारी में 12.40 लाख रू की स्वीकृति से स्टाप डेम का निर्माण किया जाना है।
*एक भी डेम उपयोगी नही*
चकरदा के स्टाप डेम क्रमांक 02 में कार्य स्थल पर केवल गिट्टी और रेत का एक छोटा ढ़ेर लगा है। ऐसे में इस डेम के लिए 50 प्रतिशत राशि कैसे आहरित हो गई यह प्रश्न उठता है। भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष कामता प्रसाद पटेल ने बताया कि अधिकारियों की मिली भगत के चलते बनने वाले दर्जन भर स्टाप डेम में एक भी स्टाप डेम उपयोगी नही है। नुनपानी के स्टाप डेम को स्टीमेट के अनुरूप नही बनाकर दूसरे स्थान पर बना दिए जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता कामता पटेल ने बताया कि अधिकरियों ने समितियों से काम लेने के बजाय ठेकेदार पर भरोसा किया है। पूर्व में रमन सरकार की स्वीकृति पर किसानो के उत्थान के लिए लाई गई योजना कांग्रेस सरकार आते ही अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। सरकार का अधिकरियों पर लगाम नही है। अधिकारी मनमानी कर योजनाओं में भ्रष्टाचार का रिकार्ड तैयार कर रहे है। इन स्टाप डेम के पूरा होने में दो साल और उखड़ने में एक बारिश ही पर्याप्त है। ऐसे में किसानो का हितैषी होने का दंभ भरने वाली भूपेश सरकार के कार्यकाल में किसान अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है।
*क्या कहते हैं ठेकेदार*
‘‘ नक्शा, खसरा, के अनुरूप ही स्टाप डेम बना है। मूल्यांकन के अनुरूप ही स्टाप डेम कार्य की राशि आहरण हुई है। ‘‘
राजकुमार गुप्ता, ठेकेदार, जलग्रहण कार्य
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