छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) बतायें…..सविधान की मर्यादा रखते हैं कि नहीं? अपने को छत्तीसगढ़ शासन से ऊपर क्यों मान रहे है? वन मंत्री को की शिकायत
रायपुर 16 अप्रैल/ छत्तीसगढ़ वन विभाग ने असम से लाए जाने वाले वन भैंसों के संबंध में दायर जनहित याचिका की सुनवाई में दो-दो बार शपथ देकर कहा था कि असम से लाए जाने वाले वन भैंसों से होने वाली प्रथम पीढ़ी एफ-1 और दूसरी पीढ़ी एफ-2 को छोड़ा जाएगा। स्पष्ट है कि वन विभाग ने अनुसार जिन 6 वन भैंसों को असम से लाया गया है उन्हें आजीवन कैद में रखने का प्लान बनाया था, 2 तो तीन साल से कैद में हैं।
क्या अनुमति दी थी छत्तीसगढ़ शासन और भारत सरकार ने
छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य वन्जीव बोर्ड के निर्णय के अनुसार 5 मादा वन भैंसा को असम से लाने की अनुमति वर्ष 2019 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 12 (बीबी) 1 के तहत दी थी। छत्तीसगढ़ शासन की अनुमति के अनुसार वन भैंसों को समुचित प्राकृतिक वास में छोड़ना है। वर्ष 2020 में असम से लाए गए दो वन भैंसों को भी समुचित प्राकृतिक वास में छोड़ना था, उन्हें छोड़ना तो दूर अभी वर्ष 2023 में वन विभाग ने फिर कोर्ट को शपथ पत्र दिया है, जिसके अनुसार असम से लाए जाने वाले 4 और वन भैंसों को आजीवन नहीं छोड़ा जाएगा।
भारत सरकार ने भी धारा 12 के प्रावधानों के तहत 5 मादा वन भैंसा और एक नर वन भैंसा को छत्तीसगढ़ लाकर छोड़ने की अनुमति दी थी और आदेशित किया था कि छोड़े जाने तक पूरी वेटेनरी सुरक्षा सुनिश्चित कि जायेगी।
क्या है वन्य जीव को बंधक बनाने का प्रावधान
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 11 प्रावधानित करती है कि किसी भी अनुसूचित एक के वन्य प्राणी को तब तक बंदी बनाकर नहीं रखा जा सकता जब तक कि मुख्य वन्यजीव संरक्षण को यह समाधान नहीं हो जाता कि ऐसे वन्य प्राणी को वन में पुनर्वास नहीं किया जा सकता और क्यों नहीं किया जा सकता इसके कारण उन्हें लिखित में बताने पड़ेंगे। वन भैंसा अनुसूचित-एक का वन्य प्राणी है ऐसा कोई स्वास्थगत कारण भी नहीं है कि 6 वन भैंसों जंगल में नहीं छोड़ा जा सकता।
वन अधिकारी सविधान की मर्यादा रखते है कि नहीं? क्या वे छत्तीसगढ़ शासन और भारत सरकार से अपने को बड़ा समझते है?
सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से पूछा कि वह जनता को बताएं कि वे भारत के सविधान की कद्र करते है कि नहीं? वे बतायें कि भारतीय सविधान के तहत बना ऐसा कौन सा क़ानून है जिसके तहत स्वस्थ विचरण करने वाले शेड्यूल-एक के जानवर को आजीवन कैद करके रखा जा सकता है? अगर उनके पास वन भैंसों को आजीवन कैद रखने की कोई अनुमति है तो उसे सार्वजानिक करें। नहीं तो बतायें कि उन्होंने कोर्ट को, असम से लाये जाने वाले वन भैंसा को आजीवन बंधक बना कर रखने का शपत पत्र क्यों दिया? छत्तीसगढ़ शासन और भारत सरकार द्वारा दी गई अनुमतियों के विरुद्ध क्यों वन भैंसों को आजीवन बंधक बनाने का प्लान बनाया? क्या आजीवन बंधक बनाने के प्लान का अनुमोदन छत्तीसगढ़ शासन या भारत सरकार से लिया? अगर नहीं लिया तो कोर्ट तो शपत पत्र क्यों दिया?
जो जानवर आजीवन स्वछंद विचरण करता, वह आजीवन कैद रहेगा
यदपि असम सरकार ने 4 अभी लाये गए वन भैसों को 45 दिन तक ही बाड़े में रखने के आदेश दिए है उसके बाद उन्हें छोड़ना पड़ेगा और कोर्ट ने असम सरकार की अनुमति के मद्देनजर याचिका निराकृत की है। परन्तु सिंघवी ने पूछा कि जो वन भैंसे असम में आजीवन स्वतंत्र विचरण करते, उन्हें आजीवन कैद करके क्यों रखा गया है? सिंघवी ने पुछा कि यह बताया जाये कि इन जानवरों में से 2 की क्या गलती है जो इन्हें 3 साल से बाड़े में कैद में रखा गया है?
सिंघवी ने आज वन मंत्री को इस संबंद में पत्र लिख कर शिकायत की है।
नितिन सिंघवी
9826126200
Author Profile

Latest entries
छत्तीसगढ़2025.10.17बिजली कर्मियों को दीपावली पूर्व वेतन का अग्रिम भुगतान राज्य शासन के निर्णय का पाॅवर कंपनी में परिपालन
Uncategorized2025.10.17खाद्य एवं औषधि प्रशासन केवल चिन्हित मिठाई वाले के यहां ही क्यों सेंपलिंग करते हैं? शहर के बड़े एक मिठाई दुकान को क्यों छोड़ देते हैं!!
Uncategorized2025.10.15रोड मोबाइल मेडिकल वैन (RMMV) के माध्यम से शहडोल उपमंडलीय चिकित्सालय क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं की शुरुआत*
बिलासपुर2025.10.15रीजन के 5969 उपभोक्ताओं ने पीएम सूर्यघर योजना में अपना रजिस्ट्रेशन कराया 628 उपभोक्ताओं को मिला सब्सिडी का लाभ बिजली के बिल से जीरो बिजली बिल की ओर अग्रसर