(वायरलेस न्यूज नेटवर्क)

भाजपा के बेहतर प्रदर्शन का विश्वास तो था।सीटें बढने की उम्मीदें तो थी पर ऐसी पटखनी की तो किसी ने कल्पना नहीं की थी।यदि सरसरी तौर पर कांग्रेस की पराजय के मुद्दों पर नजर डालें तो प्रमुख तौर पर स्त्री असुरक्षा, नग्न प्रदर्शन पर मजबूर युवाओं का उबलता आक्रोश, तुष्टिकरण की नीति, किसानों का अविश्वास, शासकीय कर्मचारियों के साथ अन्याय और मुख्यमंत्री का अपने प्रदेश से जादा दिल्ली दरबार पर आश्रित होना इत्यादि हैं।इसके अतिरिक्त घोटाले की एक लम्बी फेहरिस्त..जिसे उन्होंने गंभीरता से न लेकर ई.डी,आई.टी पर थोप सा दिया।लगभग इसी मे उनका कार्यकाल बीत गया।बेशक छत्तीसगढ़या संस्कृति को उन्होंने विश्व पटल पर एक नया आयाम दिया इसे नकारा नहीं जाना चाहिए।एक बात और दिखी कि अब देश के जनमानस में अपने धर्म को लेकर जागरूकता या सवेंदनशीलता की अद्भुत मुखरता।अपने धर्म को लेकर छोटी सी अमर्यादित टिप्पणी भी उन्हें विचलित कर देती है। ऐसी स्थिति मे महादेव ऐप जो हिन्दुओं के भगवान के नाम पर है ने ताबूत मे अंतिम कील ठोकने जैसा ही काम किया।इसे असहिष्णुता तो नहीं कह सकते पर यह जागरूकता का अच्छा संकेत है।हिन्दूत्व को लेकर ऐसी मानसिकता जरूरी भी है।इस देश मे किसी धर्मों को लेकर अनादर का भाव नहीं है।
अब यदि ओ.पी.जी की इस हाट जीत की बात करे तो रायगढ़ के युवा जो उन्हें अब मुख्यमंत्री के रूप मे देखना चाहते है यह तय है लेकिन यह उनके प्रेम का अतिरेक है।
गृहमंत्री अमित शाह के कथन ने उनमें एक नई उर्जा संचारित कर दी है।यह भी तय है कि माननीय गृहमंत्री अपना वादा भी अवश्य पूरा करेंगे और उन्हें बड़ा आदमी भी बनाऐंगे पर अनुभव कहता है अभी उन्हें राजनीति के दुर्गम पथ पर गुजरने का अनुभव लेना शायद बेहतर होगा। इस बात को वह स्वयं भी समझ रहे है इसलिए बेहद शालीनता से स्वयं को जूनियर के रुप मे ही प्रस्तुत रहे हैं। आने वाले वर्षों मे वह निश्चित रूप से भावी मुख्यमंत्री के रुप मे एक सशक्त चेहरा रहेंगे यह तय है।प्रशासन और राजनीति दो अलग अलग कार्यक्षेत्र है जिनकी कार्यशैलियां एक दूसरे से भिन्न होती है।अभी तो एक प्रशासनिक अधिकारी को हाट सीट की तपिश से गुजरनें दीजिए।अपने वादों पर उन्हें खरा भी उतरना है। एक बेहतर भविष्य उनके स्वागत को तैयार खड़ा है।

आशा त्रिपाठी

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Amit Mishra - Editor in Chief
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