गोरखपुर में डब्ल्यूसीसीबी की सूचना पर वन विभाग को मिली बड़ी सफलता

गोरखपुर (वायरलेस न्यूज नेटवर्क बिलाल)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के क्षेत्र में डब्ल्यूसीसीबी की खुफिया तंत्र के कारण एक बार फिर से वन्यजीव के दुश्मन पर शिकंजा कसने में वन विभाग को सफलता मिली है। इस बार बीती बृहस्पतिवार रात को 191 से अधिक कछुआ को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा था मौके पर डब्ल्यूसीसीबी टीम ने कछुओ के साथ दो व्यक्ति को रंगे हाथों पकड़ लिया।
जिनके पास से 191 दुर्लभ प्रजाति के कछुए और एक ऑल्टो कार बरामद हुई है।
पिछले काफी लंबे समय से डब्ल्यूसीसीबी जीव-जंतु की तस्करी करने वाले खुराफाती तंत्र पर नजर रखने का काम करती चली आ रही है मौका मिलते ही सबूतों के साथ जीव जंतुओं के दुश्मन से लंबा जुर्माना वसूल ने के बाद उन को जेल की सलाखों के पीछे भेजे दीया जाता है।
उत्तर प्रदेश में वनजीवन की सुरक्षा को देखते हुए डब्ल्यूसीसीबी की टीम हर समय सतर्क रहती है और वन विभाग के अधिकारियों के साथ कांदा से कांदा मिलाकर वनजीवन के शिकार को रोकने के लिए मुस्तहाद रहती है।
प्रदेश के बड़े अधिकारी को वनजीवन क्षेत्र में एक कदम और उठाते हुए जनपद पीलीभीत में भी डब्ल्यूसीसीबी का कार्यालय स्थापित करा देना चाहिए और वनजीवन से जुड़े अधिकारी कर्मचारी एवं जनमानस को डब्ल्यूसीसीबी की ओर से कार्यशाला और वनजीवन जागरुक अभियान समय समय पर कराते रहना चाहिए।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के मुखिया महाराज स्वामी योगी आदित्यनाथ जी के क्षेत्र में डब्ल्यूसीसीबी ने अपना शिकंजा कस रखा है इसी तरह प्रदेश के अनेक जिलों में भी डब्ल्यूसीसीबी की टीम को तैनात किया जा सकता है।
क्योंकि अधिकतर वनजीवन का शिकार वहां से हो रहा है जहां दर्जनों कर्मचारी निगरानी कर रहे हैं वनजीवन की जिम्मेदारी वैसे तो हर भारतीय की है लेकिन वन विभाग में इसके लिए काम कर रहे अधिकारी से लेकर कर्मचारियों को अच्छा वेतन दिया जाता है। लेकिन जब जंगल के अंदर या इसके आसपास वन,जीव जंतु का शिकार होता है तो पता नहीं क्यों वन विभाग को खबर नहीं मिलती है ऐसे में डब्ल्यूसीसीबी की भूमिका और कार्य करने का तरीका ही काम आता है।
सूत्रों की माने तो गोरखपुर में कछुए पकड़े जाने वाले ऑपरेशन में मुख्य भूमिका में रहे श्री देवेंद्र सिंह राठौड़ उत्तर प्रदेश में अपना एक बड़ा नेटवर्क बना चुके हैं यही कारण है कि पिछले एक वर्ष में श्री राठौर के नेतृत्व में टाइगर के खाल से लेकर छोटे-छोटे जीव जंतु के शिकार करने वालों को लगातार जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा रहा है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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