यक्ष प्रश्न — देश में भारतीय संविधान की रक्षा कौन करेगा ?

भारत की संवैधानिक संस्थाओं को बौना दिखाने की साजिश

( मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र )

आज भारत विश्व का सबसे बड़ा और जिम्मेदार लोकतांत्रिक देश है। सुव्यवस्थित और पुष्ट विधायिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका, मीडिया और सौ करोड़ से अधिक प्रबुद्ध मतदाता इसकी बड़ी ताकत हैं। 1947 में आजाद होने के बाद तमाम उतार – चढाव के बावजूद हम आज भी विश्व परिदृश्य में सबसे परिष्कृत और लोकतंत्रात्मक देश के रुप में स्थापित हैं तो इसका कारण यही है कि विविध भाषा – भाषी और विभिन्न विचारधाराओं युक्त होने के बावजूद हम भारत के लोग विश्व बन्धुत्व की सदियों पुरानी सनातनी संस्कृति के संवाहक हैं । प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो , गौ माता की जय हो का पावन भाव ही हमारी ताकत है। ऐसे में आज जबकि दुनिया विश्व युद्ध की कगार पर है , भारत की जिम्मेदारी और भी बढ गयी है। लोकतंत्र के सभी प्रतिष्ठानों को जवाबदेह हुए बगैर मजबूती और विकासमान की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वैचारिक भिन्नता, बहस, विरोध, धरना – आन्दोलन सब इसके अभिन्न अंग हैं बशर्ते यह अन्तर्कलह, दुश्मनी, साजिश से होता हुआ राष्ट्र विरोध तक ना जा पहुंचे। इन सबके बीच जिम्मेदार लोगों का मुद्दों पर चयनात्मक ( Selective ) और गैर – जवाबदेह ( Irresponsible ) होना खतरनाक हो सकता है।

2024 के आम चुनाव परिणामों ने यह साबित किया है कि श्री राहुल गांधी बिल्कुल अपरिपक्व , नादान या बच्चे नहीं हैं। वो देश की संसद में नेता प्रतिपक्ष हैं । कांग्रेस हाई कमान के रुप में अब तक वो जो भी करते, कहते ,समझते थे , वो कांग्रेस की विचारधारा और योजना रही होगी।
लेकिन पिछले कुछ वर्षों से जैसा उनका आचरण और कार्य व्यवहार है , उसे देश के लिये बिल्कुल उपयुक्त नहीं कहा जा सकता। यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है कि वो देश के अन्दर और अब विदेशों में जाकर भारतीय लोकतंत्र की आन्तरिक ताकतों के विरुद्ध माहौल बना रहे हैं।
काँग्रेस यदि एक दशक से केन्द्रीय सत्ता से बाहर है और राज्य – दर – राज्य सिकुडती जा रही है तो उसके लिये कोई और नहीं बल्कि पार्टी का हाईकमान स्वयं, उनका एकमेव परिवार, पार्टी की रीति – नीति और योग्य , कुशल, वरिष्ठ नेताओं को हाशिये पर करने ,उन्हे बाहर जाने पर मजबूर करने की उनकी कुशल योजना जिम्मेदार है।
कांग्रेस संगठनात्मक और विचारधारा शून्य गैर जिम्मेदार दल साबित हो रहा है तो ये दशकों पुरानी गांधी, अंबेडकर, सरदार पटेल,नेहरु, इंदिरा जैसे नेताओं का दुर्भाग्य है। इसके लिये वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी को ही जिम्मेदार नहीं बतला सकते और ना ही इसके लिये देश की शीर्ष संस्थाओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ।
जब वो कहते हैं कि भारत का लोकतंत्र खतरे में है तो हम को भी लगता है कि बिल्कुल खतरे में है। जिस देश की संसद में इन जैसा गैर जिम्मेदार नेता प्रतिपक्ष हो , जो विदेशों में जाकर अपने ही देश की लोकतंत्र को कमजोर बतलाए, शीर्ष संस्थाओं को नाकारा साबित करने की कोशिश करे, तो खतरा तो होगा ही।
चुनावी लाभ के लिये सार्वजनिक मंचों पर आप संविधान की बुकलेट हाथ में लहराते हुए दावा करते हैं कि देश का संविधान खतरे में है और उसे आप ही बचाएगें । तो सवाल उठता है कि ये भ्रम आपको कैसे हुआ कि आप देश की सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ी संस्था हैं।
विश्व की सबसे मजबूत और विस्तृत लोकतंत्रात्मक देश भारत में संसद और सुप्रीम कोर्ट से बड़ा कोई है तो वो राष्ट्रपति हैं । संविधान संसद में बनाए जाते हैं । सुप्रीम कोर्ट को यह सुप्रीम पॉवर है कि वो संविधान की रक्षा करे। देश की सभी महत्वपूर्ण संस्थाएँ पूरी जिम्मेदारी से अपना दायित्व निर्वाह कर रही हैं। सिवाय आपके या आप जैसे विपक्ष के।
सत्ता में रहते हुए संविधान से जितना छेड़ छाड़ आप की पार्टी ने किया , उतना किसी ने सोचा भी नहीं है। संविधान बचाना तो दूर ….उसका सम्मान आप बचाए रखो, यही बहुत है।
भारत की जनता बहुत प्रबुद्ध है और उससे भी अधिक धैर्यवान भी। आप कुछ समय के लिये उसे भ्रमित कर सकते हैं, अपने झांसे में ले सकते हैं । यह भ्रमावरण टूटने का परिणाम देश के लिये बहुत सुखद रहने वाला है। भारत की नयी पीढी विश्व के अन्य देशों में कट्टरवाद, आतंकवाद और गैर- राष्ट्रवाद का परिणाम देख रहे हैं।
वो भारतीय हितों पर आपकी खतरनाक चुप्पी और भारतीय संस्थानों, सनातनी संस्कृति – स्वाभिमान और राष्ट्रवाद के विरुद्ध आपकी मुखरता को भांप रहा है। उसे देश का इतिहास, वर्तमान और भविष्य पता है।
वो भारत है, वो भारतीय है और वो स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त है। उसके मजबूत कंधों पर भारत जैसा मजबूत राष्ट्र विकसित बनने की दिशा में अग्रसर है। आप साथ नहीं आ सकते , कोई बात नहीं । विकसित भारत की यात्रा के सह यात्री नहीं बन सकते ! तो कोई बात नहीं ।
कृपया चलती ट्रेन के आगे अवरोधक बनने की कोशिश ना करें। अवरोध टूटते रहेगें और भारत सतत आगे बढता रहेगा ।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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