बिलासपुर। (वायरलेस न्यूज) साइंस कॉलेज मैदान में चल रहे स्वदेशी मेले में बुधवार को स्वदेशी जागरण मंच ने पुण्य श्लोक लोक माता अहिल्या देवी होल्कर की त्रि-शताब्दी जयंती समारोह का आयोजन किया। इसमें तेजस्विनी छात्रावास की बालिकाओं ने अहिल्या देवी की जीवन पर आधारित गीत-हे कर्मयोगिनी राजयोगिनी जय तू अहिल्या माता…, अहिल्या कर्मयोग भक्ति अहिल्या राजयोग भक्ति..पेश कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मंचस्थ अतिथियों के स्वागत बाद नीता श्रीवास्तव ने अतिथियों का परिचय दिया। इसके बाद मुख्य वक्ता सुश्री सुलभा देशपाण्डे ने अपने उद्बोधन में कहा कि अहिल्या देवी होल्कर का जीवन आज भी प्राशंगिक है। उन्होंने अपनी प्रतिभा से ऊंचाईयां प्राप्त की। धरा को पुण्य भूमि बनाने का काम किया। एक बार शिव आराधना करने जा रही अहिल्या देवी ने पशुओं की भीड़ से शिव भगवान को बचाते हुए निकल गई थी। युद्ध में पति के जाने के बाद वह सती होने के लिए तैयार हो गई थी। फिर उनके ससुर द्वारा व्यक्तिगत जीवन से राष्ट्र, लोक जीवन श्रेष्ठ होता है, की समझाइश देने पर सती होने के निर्णय को वापस लिया और धैर्य नहीं खोया। उनकी सोच थी कि राज्य अपना है। प्रजा पुत्रवत है। इसे संभालना मेरा कर्त्तव्य है। इस बात को वह अपने जीवन के अंतिम क्षण तक नहीं भूलाया। अंत में मुख्य वक्ता सुश्री देशपाण्डे, अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार सुनिल गुप्ता का शाॅल, श्रीफल से स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन भृगु अवस्थी एवं आभार प्रदर्शन नारायण गोस्वामी ने किया।

कई समस्याओं का निकाला हल

सुश्री देशपाण्डे ने बताया कि अहिल्या देवी एक महिला होते हुए भी कई समस्याओं का हल निकाला। उस समय आज की नक्सल समस्या जैसी भीलों की समस्या जबरदस्त थी। वे लोग काफी उत्पात मचाते थे। इस समस्या का हल करने उन्होंने भील सरदारों को बुलाया और उत्पात मचाने का कारण पूछा तो भीलों ने पेट भरने का कोई साधन नहीं होने की बात बताई। अहिल्या देवी ने उनकी इन मूल समस्या को समझते हुए इसका हल किया। भील सरदारों में जो शुरवीर रहे उन्हें सेना में भर्ती किया गया। कला में निपुण लोगों को हस्तकला का काम दिया गया। ऐसा कर उन्होंने एक बहुत बड़ी समस्या का हल निकाल ली थी। कूटनीतिक तरीके से भी कई समस्याओं का समाधान किया।

मंदिरों का कराया जिर्णोद्धार

सुश्री देशपाण्डे ने बताया कि अहिल्या देवी ने अपने धार्मिक यात्रा के दौरान जो समस्याएं देखी उसका हल निकाला। उन्होंने सोमनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों का जिर्णोद्धार कराया। वे हमेशा समाज, धर्म व्यवस्था में अग्रणी रही। हम सभी को उनके इन कार्याे से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए|

इस मौके पर दिग्विजय भाकरे, सुशील श्रीवास्तव, देवेंद्र कौशिक, सन्नी केसरी, युगल शर्मा, चंद्रप्रकाश बाजपेई, अरूणा दीक्षित, किरण मेहता, प्रभा बाजपेई, मीना गोस्वामी, उषा किरण बाजपेई, आरती अनंत, उषा भांगे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

*रंगोली में दिखी आदिवासी संस्कृति की झलक*

स्वदेशी जागरण मंच के तत्वावधान में साइंस कॉलेज मैदान मेें चल रहे सात दिवसीय स्वदेशी मेले के पांचवें दिन सोमवार को रंगोली प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें प्रतिभागियों ने आकर्षक व संदेशात्मक रंगोली सजाई। अधिकांश रंगोली में आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिली। निर्णायक चुन्नी मौर्य, छाया कार्डेकर ने रंगोली की थीम व फिनिशिंग के आधार पर स्थान दिया। प्रतियोगिता प्रभारी किरण मेहता, शोभा कश्यप, मीना गोस्वामी, लता गुप्ता ने संयुक्त रूप से बताया कि रंगोली स्पर्धा दो वर्गो में आयोजित की गई। इसमें वर्ग अ में 12 से 17 एवं वर्ग ब में 17 साल से ऊपर की प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभी को मुक्त हस्त रंगोली बनानी थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रतिभागियों ने राम मंदिर, आदिवासी महिला, पीएम मोदी, छत्तीसगढ़ी फोक आर्ट, बस्तरिहा आदिवासी डांस, सेव अर्थ, विविध तरह की सीनरी, भारत की सशक्त नारी सहित अन्य कई तरह की रंगोली सजाई। इसका निर्णायकों के अलावा मेले में आए दर्शकों व अतिथियों ने भी अवलोकन किया। रंगोली प्रतियोगिता की प्रभारी नवनीत पाण्डेय, उषा भास्कर, कविता वर्मा, लोकेश्वरी राठौर रहीं। कार्यक्रम को सफल बनाने में अरूणा दीक्षित, नीता श्रीवास्तव,चंदना गोस्वामी, अनु कश्यप, किरण सिंह, चंचल कुशवाहा, का सहयोग मिल रहा है।
सSECL के चीफ विजिलेंस ऑफिसर श्री हिमांशु जैन ने मेले में शिरकत की।

*वॉइस ऑफ बिलासपुर* में सिर्फ बिलासपुर के नही बल्कि मुंगेली जांजगीर से भी आये प्रतिभागी, पहले राउंड के उपरांत फाइनल राउंड में लगभग 30 से अधिक प्रतिभागियों ने देशभक्ति, फिल्मी गानों से मेले की शाम को सुरमई बनाया । वॉइस ऑफ बिलासपुर के निर्णायक गण
गिरीश त्रिवेदी