बिलासपुर ( अमित मिश्रा संपादक ) पोस्ट मर्टम रिपोर्ट क्या छुपाना चाह रहे हैं किस बात की जांच की जा रही है?इस वर्ष छ ग मे दो बाघो की मौत हुई गोमार्दा मे भी इन्ही DFO के छेत्र मे बाघ को करेंट से मारे थे.

23 जनवरी को अचानकमार टाइगर रिजर्व बिलासपुर में मिली मृत बाघिन को लेकर ATR प्रबंधन और प्रधान मुख्य वन्यजीव संरक्षक (वन्य प्राणी) की कार्यप्रणाली नए विवादों में आ गई है। 24 जनवरी को विभाग द्वारा दो विज्ञप्तियां जारी की गई पहली, विज्ञप्ति फील्ड डायरेक्टर ATR ने पोस्टमार्टम के पहले जारी करके बताया कि संभवत बाघिन Akt 13 की मौत बाघ T-200 के मध्य मेटिंग या टेरिटरी की लड़ाई का परिणाम है। दूसरी विज्ञप्ति डिप्टी डायरेक्टर ATR ने पोस्टमार्टम के बाद जारी करके बताया कि निष्कर्ष के आधार पर पाया गया कि बाघिन की मृत्यु दो बाघों के आपसी संघर्ष के कारण हुई है। फील्ड डायरेक्टर की विज्ञप्ति में बाघिन की मौत बाघ के साथ मेटिंग या टेरिटरी की लड़ाई के दावों को लेकर विवादों में आ गई थी। डिप्टी डायरेक्टर यू गणेश से आर टी आई मे भी शिकार होने की जानकारी मे सिर्फ इतना ही पूछ लिया गया की शिकार तो नहीं हुआ? जो की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे छुपा रहे हैं किस बात की जांच जारी है? डिप्टी डायरेक्टर यू गणेश एन टी सी ए के साथ साथ प्रदेश वन्य जीव मुख्य वन संरक्षक को भी छुपा रहे हैं? सूचना के अधिकार के तहत जांच जारी होने पर सूचना नहीं दी जानी है ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है सिर्फ अन्वेषण जैसा पुलिस करती है अन्वेषण जारी होने पर सूचना नहीं दी जा सकती है अगर अन्वेषण जारी है तो किस बात का अन्वेषण जारी है?आवेदन की विषय वस्तु AKT टाइगर थी अतः एक ही विषय वस्तु थी फिर भी दो अन्य जानकारी देने से डिप्टी डायरेक्टर यू गणेश बच रहे हैं ? जानकारों के अनुसार फील्ड डायरेक्टर 24 तारीख को आकस्मिक अवकाश पर प्रदेश के बाहर गए थे ऐसे में वन्यजीव प्रेमी प्रश्न कर रहे हैं कि फील्ड डायरेक्टर जब प्रदेश से बाहर थे, तो उन्होंने विज्ञप्ति कैसे जारी कर दी? वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि उनके मोबाइल से विज्ञप्ति जारी की गई कि नहीं और जारी करने के पहले बनाई गई नोट शीट में दस्तखत किसने किये और दो बाघों की लड़ाई में बाघिन कैसे मारी गई?

वन्यजीव प्रेमियों का यह भी कहना है कि एनटीसीए की टाइगर पोस्टमार्टम को लेकर जारी की गई SOP “स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर फॉर डीलिंग विथ टाइगर डेथ” के अनुसार पोस्टमार्टम के बाद घटना का आधिकारिक बयान मुख्य वन्यजीव संरक्षक के माध्यम से जारी किया जाना अनिवार्य होता है, जो कि उन्होंने नहीं किया। ऐसे में डिप्टी डायरेक्टर ATR द्वारा पोस्टमार्टम के बाद विज्ञप्ति क्यों जारी की गई? जबकि विज्ञप्ति मुख्य जीव वनरक्षक द्वारा अनुमोदित भी नहीं थी अन्यथा विज्ञप्ति में लिखा रहता “मुख्य जीव वनरक्षक द्वारा अनुमोदित।” डिप्टी डायरेक्टर विज्ञप्ति जारी करने के लिए एनटीसीए द्वारा अधिकृत भी नहीं है। वन्यजीव प्रेमियों में रोष है

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मेटिंग से बाघिन की मौत असम्भव है! नितिन सिंघवी
विभाग का यह दावा कि मौत टी 200 नर बाघ के साथ मेटिंग को लेकर लडाई के कारण हुई. असंभव प्रतीत होता है.बाघ एस्टस के बाहर बाघिनो के साथ संभोग करने का प्रयास नही करते. यदि ए के टी 13 एस्ट्रेस् मे होती, तो यह असंभव है कि टी 200 के साथ लड़ती, क्योंकि वह स्वस्थ, उपयुक्त नर के साथ मेटिंग करना पसन्द करती इसके अलावा बाघ और बाघिन के एरिया का ओवरलैप एैसे संघर्षों को दुर्लभ बनता है.
नितिन सिंघवी वन्य जीव प्रेमी

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कि मुख्य वन्यजीव संरक्षण अर्थात प्रधान मुख्य वन्यजीव संरक्षक (वन्यप्राणी) का विज्ञप्ति जारी नहीं करना शंका को जन्म दे रहा है, उन्हें बताना चाहिए कि दो बाघों के आपसी संघर्ष में बाघिन कैसे मारी गई?वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि एनटीसीए की स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर फॉर डीलिंग विथ टाइगर डेथ के अनुसार एक समिति गठित की जानी होती है जिसमे एक गैर सरकारी बाहरी विशेषज्ञ (Non-governmental outside expert) मुख्य वन्यजीव संरक्षण द्वारा नामित होना अनिवार्य होता है। मुख्य वन्यजीव संरक्षण और डिप्टी डायरेक्टर को बताना चाहिए कि इस प्रोटोकॉल का पालन किया गया कि नहीं और अगर हुआ है तो वह कौन था? कैसे गैर सरकारी था? कैसे बाहरी था? और किस चीज का एक्सपर्ट था? क्यों कि बाघ के शव के निपटान के दिन वहा तीनों शर्त पूरी करने वाला कोई भी नहीं था। जो थे उन्हें एनटीसीए का प्रतिनिधि बताया गया है।एनटीसीए की एक और SOP “बाघ के शव के निपटान के लिए मानक संचालन प्रक्रिया” के अनुसार बाघ के शव के निपटान के समय पोस्टमार्टम की टीम के अलावा एक व्यक्ति सिविल सोसाइटी इंस्टिट्यूट का होना चाहिए। मुख्य वन्यजीव संरक्षण और डिप्टी डायरेक्टर इस SOP का पालन हुआ है कि नहीं खुलासा करना चाहिए।