*सरकार के सरंक्षण में सीमेंट के दाम बढे- जसबीर सिंग-प्रदेश संगठन महामंत्री*

रायपुर, ( वायरलेस न्यूज 18 अगस्त 2025) ।छत्तीसगढ़ में बढ़ते सीमेंट की कीमतों को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री जसबीर सिंग चावला ने बीजेपी सरकार पर जमकर प्रहार किया है।

उन्होंने कहा कि मानसून में डिमांड नहीं है फिर भी सीमेंट के हर बोरी पपर 25 से 30 रुपए बढ़ा दिए गए हैं। आम आदमी जो एक छोटे से घर का सपना संजोया रहता है और बड़ी मेहनत से छोटा सा घर बना पाता है तो इस तरह सीमेंट के बड़े दामों से आम

आदमी परेशान है और वैसे भी सरिया रेट गिट्टी के दाम पहले ही बढ़े हुए हैं। सवाल यह है कि जब सारे संसाधन जब छत्तीसगढ़ में मौजूद हैं, जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ में सीमेंट की फैक्ट्री है।जहां पर बड़े पैमाने पर सीमेंट उत्पादन हो रहा है।सीमेंट बनाने से संबंधित सभी कच्चा माल छत्तीसगढ़ में ही उपलब्ध है। बावजूद इसके सीमेंट के दाम बढ़ा दिए गए हैं।सीमेंट का दाम बढ़ने का कारण प्रदेश सरकार का भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी है। और ये सब मंत्री और अधिकारियों द्वारा मोटे कमीशन का खेल चल रहा है। इस साल जनवरी में भी सभी सीमेंट कंपनियों ने सीमेंट की प्रति बोरी के दाम में 50 रुपये तक का इजाफा किया था लेकिन जनता के भारी विरोध के बाद बढ़े हुए दामों को सरकार को वापस लिया था। वहीं कारोबारी का कहना है कि जिनके यहां रोज एक ट्रक तक माल बिक जाता था उनके पास आज 50 बोरी भी नहीं बिक रहा है कई कारोबारियों के यहां आज 5 से 10 बोरी सीमेंट भी नहीं बिक पा रहा है इसके बाद भी दाम बढ़ाए जा रहे हैं जिससे कारोबारी चिंतित हैं।

सरकार का सीमेंट कंपनियों को क्या सरंक्षण है जो वे कभी भी सीमेंट के दाम बढ़ा देते हैं सरकार कभी बढे दामों पर आपत्ति नहीं करती है। वहीँ आज भी प्रदेश में बड़े-बड़े रेत माफिया शासन के संरक्षण में काम कर रहे हैं। बारिश के मौसम में भी रेत माफिया नदी के अंदर से रेत परिवहन कर रहे हैं। इसके साथ ही गांव-गांव में बिना अनुमति के तालाब सौंदर्यकरण के नाम पर मुरुम का अवैध परिवहन किया जा रहा है।

आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में बढ़े हुए सीमेंट के दामों का विरोध करती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह सीमेंट कंपनियों पर लगाम लगाई और जल्द ही सीमेंट की बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने का आदेश दे, अगर आने वाले समय में सीमेंट के दाम कम नहीं होते हैं तो आम आदमी पार्टी आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगी।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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