रायपुर (वायरलेस न्यूज़) राशन दुकानें बनेंगी किराना स्टोर, नूडल्स, नमकीन, रेजर से लेकर स्टेशनरी तक सब मिलेगा छत्तीसगढ़ में सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के माध्यम से संचालित सरकारी राशन दुकानों का हुलिया अब बदलने वाला है। जिन दुकानों में अब तक केवल चावल, गेंहू, शक्कर, नमक, दाल गुड़ वगैरह बिका करता है, अब वहां घर की रोज की जरूरतों का सारा सामान रखकर बेचने की तैयारी है। कोशिश ये है कि गैर पीडीएस सामग्री को जन सामान्य के लिए अच्छी गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराया जाए।
छत्तीसगढ़ में सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन के माध्यम से संचालित सरकारी राशन दुकानों का हुलिया अब बदलने वाला है। जिन दुकानों में अब तक केवल चावल, गेंहू, शक्कर, नमक, दाल गुड़ वगैरह बिका करता है, अब वहां घर की रोज की जरूरतों का सारा सामान रखकर बेचने की तैयारी है। कोशिश ये है कि गैर पीडीएस सामग्री को जन सामान्य के लिए अच्छी गुणवत्ता के साथ उपलब्ध कराया जाए। राज्य सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्रदेश में 12 हजार से अधिक उचित मूल्य की दुकानें हैं। इन दुकानों के माध्यम से राज्य के लाखों लोगों को राशन प्रदाय किया जाता है। उत्पादकों को करेंगे इमपैनल्ड बताया गया है कि राशन दुकानों में सभी प्रकार के गैर पीडीएस सामान की सप्लाई के लिए सरकार निर्माताओं, उत्पादकों को इमपैनल्ड करने की तैयारी में है। इसके लिए ईओआई भी निकाला गया है। इमपैनलमेेंट में शामिल निर्माता अनुबंध के बाद उचित मूल्य की दुकानों की मांग के अनुसार उत्पादों की आपूर्ति करेंगे। निर्माता आपूर्ति और वितरण के काम के संचालन की सभी व्यवस्था व कार्य अपनी लागत और खर्च पर करेंगे। इमपैनलमेंट की अवधि तीन साल की होगी। इसे दो साल और बढ़ाया जा सकेगा। एक छत के नीचे सभी सामान होंगे उपलब्ध राशन दुकानों में गैर पीडीएस सभी तरह के सामान समस्त ब्रांडेड वस्तुएं एक छत के नीचे उपलब्ध होंगी। योजना के तहत प्रदेश की 12 हजार से अधिक राशन दुकानें चलाने वाले संचालकों में उद्यमशीलता विकसित होगी। यही नहीं, राशन दुकान संचालक आर्थिक रूप से अधिक सक्षम होंगे, क्योंकि अन्य नॉन पीडीएस सामग्री की बिक्री से वे लाभान्वित होंगे। यही नहीं, उपभोक्ता भी अपनी मांग के अनुरूप वस्तुएं प्राप्त कर पाएंगे। ऐसी दुकानें ग्राहकों के लिए रोज खोली जा सकेंगी।
सामान मिलेगा राशन दुकानों में खाद्य तेल, घी, बिस्किट, नूडल्स, कॉफी, चाय, साबुन, डिटर्जेंट पाउडर, बालों का तेल, टूथ पेस्ट, टूथ पावडर, शैम्पू, स्नैक्स, सॉस (कैचअप) पापड़, टूथब्रश, रेजर, शेविंग क्रीम, पेन, पैंसिल, अगरबत्ती, फिनाइल, माचिस, नोटबुक, सेनेटरी नैपकिन, बैटरी, हस्तशिल्प, हथकरघा के सामान, चावल, गेंहू का आटा, मक्का, कोदो, कुटकी, बाजरा, दालें, मसाले सुगंध और औधषीय पौधे वगैरह। उत्पादकों से सामान पहुंचेगा उपभोक्ता तक सरकार की इस कवायद के पीछे यह मकसद है कि उपभोक्ता सामग्री की खरीदी सीधे उत्पादकों से की जाए, ताकि उत्पादक से उपभोक्ता के मध्य जो अन्य इकाइयां काम करती हैं और अपना अपना मार्जिन जोड़ती हैं, उसे कम किया जा सके। ऐसा करने से उपभोक्ता के पास अपने उपयोग के लिए विभिन्न उत्पादों की अनेक श्रेणियां होंगी। उपभोक्ता की पहुंच उन वस्तुओं तक होगी, जो सामान्यत: उनके क्षेत्रों में सहज रूप से उपलब्ध नहीं होती हैं या उन्हें ऐसे सामान खरीदने के लिए हाट बाजार के खुलने के दिन का इंतजार करना पड़ता है।