किशोर कर ब्यूरोचीफ महासमुंद
मीडिया से बातचीत में निशुल्क स्वास्थ्य शिक्षा की मानवाधिकार कार्यकर्ता ने उठाई मांग
कि4इसी3दमहासमुंद – छत्तीसगढ़ सरकार को बहुत आवश्यकता के लिए सिर्फ एक बार नए तरीके से विचार करने की आवश्यकता है यह बात राष्ट्रीय संस्था अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के सदस्य केसरी नंदन सेन ने मीडिया से चर्चा में कहीं है। श्री सेन ने मीडिया से चर्चा करते हुए एक वक्तव्य जारी कर बताया है कि छत्तीसगढ़ की सरकार जिस तरह से निशुल्क इलाज और किसानों के बारे में सोच रही है उसी तरह से सरकार को सभी नागरिकों के लिए निशुल्क स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए उन्होंने जारी अपने बयान में कहा है कि स्वास्थ्य आज लोगों के लिए प्राथमिक आवश्यकता बन गई है और मनी स्वास्थ्य सेवाओं से लोग काफी प्रभावित हो रहे हैं लोगों की सेहत सुधरने की बजाय उनकी आर्थिक सेहत बिगड़ रही है महंगी स्वास्थ्य सेवाओं के चलते लोगों को अपना खेत खलिहान और जमीन तक बेचना पड़ रहा है तथा महंगी शिक्षा से भी इसी तरह के हालात निर्मित हो रहे हैं । उन्होंने कहा है कि कोरोना काल के बाद जिस तरह के हालात निर्मित हुए हैं आप लोगों की हालत सुधारने के लिए यह आवश्यक हो गया है कि सरकार निशुल्क शिक्षा और पूर्णता निशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं की ओर कदम बढ़ाए। श्री सेन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मीडिया के माध्यम से मांग की है कि निशुल्क स्वास्थ्य और निशुल्क शिक्षा के लिए यदि प्रदेश सरकार विचार कर कोई ठोस निर्णय ले तो इससे छत्तीसगढ़ की जनता का हित होगा वहीं कोरोना काल के बाद जिस तरह से लोगों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है इससे भी निजात मिल सकेगी। बहरहाल श्री सेन ने निशुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य की वकालत करते हुए जनहित में इसपर सरकार को तत्काल विचार करने की मांग की है । हम आपको बताते हैं कि मानवाधिकार कार्यकर्ता श्री सेन लगातार जनहित के मुद्दों पर फोकस करते रहे हैं।
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