बिलासपुर (अमित मिश्रा की रिपोर्ट) कल देर रात कवर्धा से 150 बैगाओ का दल अचानकमार टाइगर रिजर्व में गांव बसाने के नियत से भूतकछार के कक्ष क्रमांक 487 में जाकर जबर्दस्ती बैठ गए वन विभाग को सूचना मिलते ही 200 पुलिस बल के साथ पहुंच समझाइश दे जंगल खाली करने को कहा , बैगा हटने का नाम नही ले रहे है तनाव की स्थिति बनी हुई है अधिकारी राजधानी से सम्पर्क बनाए हुए है क्योंकि किसी प्रकार अप्रिय घटना न हो सके।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कवर्धा के बैगाओ को किसी सोची समझी साजिश के तहत उच्च नेताओ का मौन समर्थन प्राप्त होने की सूचना है। क्योंकि अचानकमार टाइगर रिजर्व से गावं खाली कर अन्यत्र बसाने की बात लगभग अंतिम चरण में है और प्रभावित लोगों को मुवावजा भी शासन से प्राप्त होंगे। कहीं उसी रणनीति का हिस्सा तो ये बैगा नहीं ?
एक तरफ वन विभाग एटीआर और उससे लगे जंगल से विस्थापन की बात कर रहा तो दूसरी तरफ कवर्धा से आए बैगाओ ने वहां अपना गांव बसाने की बात कही,
कल सुबह से ही कवर्धा से लगभग 150 बैगाओ का दल लोरमी से लगे वन विभाग के जंगल कक्ष क्रमांक 487 भूत कछार तथा उसके आसपास के जंगल में कब्जा करने लगा बैगाओ का कहना था कि वो अब अपना यही पर घर बनाएंगे और गांव बसायेंगे, इस बात की जानकारी जब वह विभाग के अधिकारियों को हुई तो उनमें हलचल मच गई, इतनी बड़ी संख्या में कवर्धा जिले से आए आदिवासियों को वहां से हटाना चुनोती से कम नही था। बैगा लोग यहां से जाने को तैयार नही थे और जंगल मे ही अपना गांव बसाने के लिए अड़ गए। इतनी बड़ी तादात में हथियारों से लैस बैगाओं के सामने वन विभाग की टीम भी बेबस नजर आ रही थी। धीरे धीरे अंधेरा होने लगा तो मुश्किल ओर बढ़ने लगी।
सैकड़ो की तादात में पहुंचे बैगाओ ने जंगल काटना शुरु कर दिया था। वह विभाग ने ऐसे समय में पुलिस की मदद ली और लगभग 150 – 200 पुलिस और वन विभाग की संयुक्त टीम यहां पहुंची उसके बाद हुआ यहां से बैगाओ को समझाने का प्रयास बैगा लोग यहां से जाने को तैयार नही थे और जंगल मे ही अपना गांव बसाने के लिए अड़े हुए थे।
हालांकि हमें यह भी जानकारी पहले से ही मालूम हो गई थी कि भूत कछार में लगभग 250 एकड़ जंगल को 6 माह से साफ करते जा रहे है , अब प्रश्न उठता है कि अचानकमार के अधिकारी सो रहे थे। क्या वन अमला यह सब देखते हुए भी अपने उच्च मातहत अधिकारियों को जानकारी नही दी गई हो ?


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