वेदराम मनहरे 93 पंचायतों में सीधी पकड़ रखते है

रायपुर (वायरलेस न्यूज़) तिल्दा जनपद पंचायत के 2 बार अध्यक्ष, 2 बार उपाध्यक्ष रह चुके, 2018 में आरंग विधानसभा में कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार रहे, सतनामी समाज के संरक्षक यानी अनुसूचित जाति वर्ग का बड़ा चेहरा माने जाने वाले वेदराम मनहरे अपने 10 साथियों के साथ आज भाजपा ज्वाइन करने जा रहे हैं.

उनके बड़े चेहरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनका व उनके समर्थक 10 पंचायत व पार्टी पदाधिकारियों का दिल्ली के स्तर पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा खुद पार्टी में ससम्मान प्रवेश करा रहे हैं और प्रदेश की सियासी हलचलों का ब्योरा देंगे.

वेदराम मनहरे गुरुवार शाम की फ्लाइट से अपने साथियों सहित दिल्ली रवाना हो गए. उनके साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता नन्दकुमार साय भी गए हैं. सत्तासीन कांग्रेस के एक साथ 11 पदाधिकारियों की भाजपा प्रवेश से कांग्रेस संगठन खेमा हिला हुआ है. यह पहला मौका है जब सत्तासुख छोड़कर ये प्रतिनिधि विपक्ष का दामन थामने जा रहे हैं. ये सारे के सारे पंचायतों के बड़े पदाधिकारी हैं. यह माना जा रहा है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर अभी से कमर कस ली है. बस्तर चिंतन बैठक के बाद यह कवायद भी इसी कड़ी से जुड़ी है.
वेदराम के दिल्ली से लौटने पर प्रदेश में सियासी हलचलें तेज होने के आसार हैं. खरोरा निवासी वेदराम मनहरे के गृहनगर और आरंग में बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं. आरंग और धरसीवां विधानसभा, बलौदाबाजार, कसडोल विधानसभा क्षेत्रों में उनकी अच्छी सियासी पकड़ है. वेदराम और बड़ी संख्या में उनके समर्थक कांग्रेस संगठन में अपनी लगातार उपेक्षा से परेशान थे. उनके साथी लगातार उनसे इस बाबत शिकायत कर रहे थे. उन्होंने अपनी बात कई बार संगठन तक पहुंचाई पर खेमों में बटी कांग्रेस ने उन्हें तवज्जो नहीं दी. कांग्रेस के प्रदेश संगठन द्वारा पिछले कुछ दिनों से लगातार की जा रही उनकी व समर्थकों की उपेक्षा से वे खासे परेशान थे तथा 6 माह से भाजपा के संपर्क में थे.
ब्लॉक कांग्रेस में एक गुट संगठन का तो दूसरा मनहरे और उनके समर्थकों का था. मनहरे गुट का कहना है कि धरसीवां विधायक

अनीता योगेंद्र शर्मा व आरंग विधायक डॉ. शिव डहरिया से उनकी पटरी नहीं बैठ रही थी. डॉ. डहरिया से तो उनकी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा भी रही है. इस खेमे का यह भी आरोप है कि अनीता योगेश शर्मा राजनीति में आने से पहले बड़ा चेहरा नहीं थीं.
यहां यह उल्लेखनीय है कि रायपुर जिला ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष उधोराम वर्मा ने पिछले दिनों पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर 8 पदाधिकारियों को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था. निष्कासित सारे पदाधिकारी विधायक अनीता के समर्थक थे और यह कार्रवाई वेदराम की शिकायत पर ही की गई थी. यह कार्रवाई करके संगठन वेदराम को रोकने का आखिरी प्रयास कर रहा था लेकिन वे दिल्ली उड़ ही गए. गुरुवार देर शाम सारे निष्कासन रद्द होने के भी समाचार है. हाल ही में उन्हें कांग्रेस अंत्यवसायी विकास निगम का सदस्य बनाया था पर इससे वे संतुष्ट नहीं थे.
सतनामी समाज का होने के नाते वेदराम मनहरे के साथ जातिगत समीकरण भी जुड़े हैं.
आरंग विधानसभा में 144 ग्राम पंचायतें, 3 नगर पंचायतें व 1 नगर पालिका आती हैं, जिसमें से 93 ग्राम पंचायतों पर उनकी सीधी पकड़ है.
धरसीवां विधानसभा में 123 ग्राम पंचायतें, 2 नगर पंचायतें व 98 ग्राम पंचायतें हैं, जिसमें से 98 ग्राम पंचायतों व 1 नगर पंचायत पर वेदराम की सीधी पैठ है.
इन दोनों विधानसभाओं में वेदराम की अच्छी पकड़ होने के साथ समर्थकों की फौज भी है, जो इनके इसारे का इंतजार कर रही है. इसका प्रमाण भी वे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को 6 माह में दे चुके हैं. ऐसा इस खेमे का दावा है.
भाजपा ज्वाइन करने वाले 10 पदाधिकारी

खरोरा क्षेत्र
मिथलेश साहू, अध्यक्ष सरपंच संघ जनपद पंचायत तिल्दा और सरपंच ग्राम पंचायत परसदा.
अभिषेक वर्मा, सरपंच पचरी.
पुरनेंद्र नायक, संयुक्त महामंत्री रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी
अरूण भारद्वाज, सदस्य जनपद पंचायत तिल्दा.
आरंग क्षेत्र
राजू ओगरे, प्रतिनिधि पूर्व रायपुर जिला पंचायत सदस्य
अनिल सोनवानी, प्रतिनिधि सभापति जनपद पंचायत आरंग, पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत अछोली.
दीपेंद्र वर्मा, सभापति जनपद पंचायत आरंग.
विकास टंडन, प्रतिनिधि सदस्य जनपद पंचायत आरंग, अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति नया रायपुर.
गोविंद साहू, सभापति, जनपद पंचायत आरंग,.
टीका पटेल, प्रतिनिधि सदस्य जनपद पंचायत आरंग.
मुझे पार्टी में उचित स्थान नहीं दिया जा रहा था: वेदराम
मनहरे ने दिल्ली से फोन कर कहा कि जीवन का अर्थ केवल संघर्ष में है. मैंने राजनीति शुरू की तब से कांग्रेस का दामन थामा था. कार्यकर्ता से लेकर बड़े पदों पर भी रहा लेकिन मेरे अंदर का कार्यकर्ता हमेशा जीवित रहा. पिछले कुछ वर्षों से पार्टी की विचारधारा मेरे काम करने के तरीकों से मेल नहीं खा रही थी. मुझे कभी पद की लालसा नहीं रही लेकिन पिछले कुछ समय से एक वरिष्ठ कांग्रेसी होने के नाते मुझे जो स्थान कांग्रेस में मिलना चाहिए था, वो नहीं मिल रहा था.
बस्तर चिंतन बैठक के बाद यह कवायद भी इसी कड़ी से जुड़ी है.

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Amit Mishra - Editor in Chief
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