न्यायाधीशों ने किया विद्यालय एवं महाविद्यालय के बच्चों के प्रश्नों का समाधान, 1 हजार से अधिक बच्चों ने बेबीनार में लिया भाग


रायगढ़, (वायरलेस न्यूज़ 26 नवम्बर 2020) जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ के अध्यक्ष श्री रमाशंकर प्रसाद के निर्देशन में आज 26 नवम्बर विधि दिवस के अवसर पर पूर्वान्ह 11 बजे वर्चुअल मोड के माध्यम से न्यायाधीशगण, कर्मचारीगण, अधिवक्तागण, पैरालीगल वालिंटियर्स द्वारा भारतीय संविधान के प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया गया। तत्पश्चात् दोपहर 12 बजे नालसा के Webinar on Constitution Day and E-Lanuch of Nyaya Bandhu (Pro Bono Legal Services Programme) में वेबनार के माध्यम से सचिव सहित पैनल लायर्स एवं पैरालीगल वालिंटियर्स प्रसारण कार्यक्रम में सहभागी हुए।
जिला न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद ने वेबीनार के माध्यम से जिन्दल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को देश का भावी नागरिक होने की बात कहकर, उनके नैतिक जिम्मेदारियों के विषय में जानकारियॉ दीं। धर्म निरपेक्षता/पंथ निरपेक्षता, मानवता, देश की सेवा और भाईचारा संविधान की भावना है। संविधान की मूल भावना यह है कि हम अपने आप को देखें। संविधान यह कहती है कि आप अपने लिये नहीं दूसरों के लिये जीयें। दूसरों की सेवा करें। हम दूसरों की सहायता किस रूप में कर सकते हैं, इस पर विचार करें। यदि आप आज सक्षम हैं तो किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करें। समानता का अधिकार क्या है, इस पर भी विस्तार से जानकारी दी। आज हम सिर्फ और सिर्फ अपने अधिकारों की बात करते हैं। अपने कर्तव्यों की ओर ध्यान नहीं देते। यदि हम कर्तव्य की बात करें तो कर्तव्य क्या है- देश की एकता और अखण्डता को बनाये रखना ।
न्यायाधीश श्री रमाशंकर प्रसाद ने बताया कि कानून में यह लिखा है कि आपको आपकी गरीबी न्याय से वंचित नहीं करेगी। बहुत से लोग न्याय के बारे में नहीं जानते। गरीबी न्याय के लिये बाधक नहीं है। विधिक सेवा प्राधिकरण आपको न्यायालय तक पहुॅचाने में सेतु का काम करती है। यह प्राधिकरण सभी न्यायालय में हैं। जिला न्यायालय में विधिक सेवा हेल्प डेस्क एवं ज्यूडिशियल सर्विस सेन्टर उपलब्ध हैं। प्राधिकरण आपको आपके मामले में नि:शुल्क विधिक सहायता एवं सलाह उपलब्ध कराती है। नि:शुल्क अधिवक्ता भी उपलब्ध कराती है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में काफी हद तक आपकी समस्या का निराकरण हो जाता है। यदि उस अधिवक्ता को आपकी समस्या का निदान करने में कोई परेशानी आती है तो वह प्रभारी सचिव के रूप में कार्यरत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से इस विषय में सलाह लेता है तथा सचिव को किसी मामले में परेशानी आती है तो वे जिला न्यायाधीश जो अध्यक्ष के रूप में कार्यरत है, पास जाकर समस्या का पूर्ण निराकरण कराते हैं, यह वह छुपा हुआ भाग है, जिसे सभी लोग नहीं जानते। आप न्याय की व्यवस्था से दूर नहीं हैं। यदि आपके आसपास किसी के साथ अन्याय हो रहा है तो ऐसे व्यक्ति तक न्याय की पहुॅच को सुगम बनायें तथा उसकी विधिक सहायता प्राप्त करने में मदद करें।
अन्त में श्री प्रसाद के द्वारा संविधान में व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता की जानकारी देते हुए विद्यार्थियों को सिर्फ संपत्ति एवं संविधान में उल्लेखित अधिकारों तक ही सीमित न रहने अपितु समाज की अन्तर्रात्मा से सेवा करने पर बल दिया।
किरोड़ीमल कला एवं वाणिज्यिक महाविद्यालय के प्राचार्य श्री ए.तिवारी तथा प्राध्यापक श्रीमती प्रितीबाला बैस की उपस्थिति में कुल 70 विद्यार्थियों के साथ वर्चुअल मोड से वार्ता की गई। जिसमें सर्वप्रथम श्री दिग्विजय सिंह, प्रभारी सचिव/सी.जे.एम. के द्वारा बच्चों को संविधान की प्रस्तावना का वाचन कराया तथा बताया कि संविधान का अनुच्छेद 14 एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुच्छेद है, जो न्यायपालिका से जुड़ा हुआ है, जिसमें विधि के समक्ष समानता का उल्लेख है। अनुच्छेद 39-ए के प्रावधानों के बारे में बताते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को यह प्रतीत होता है कि वह न्याय पाने में असफल हो रहा है तो वह जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अथवा तहसील स्तर पर तालुका विधिक सेवा समिति के माध्यम से नि:शुल्क विधिक सहायता प्राप्त कर सकता है। सामान्यत: व्यक्तियों को यह लगता है कि न्यायिक प्रक्रिया बहुत ही जटिल है, लेकिन उसको सरल बनाने के लिये ही विधिक सेवा संस्थाएॅ स्थापित की गई हैं।
न्यायाधीश श्री चन्द्र कुमार कश्यप के द्वारा प्राध्यापकों सहित विद्यार्थियों को संविधान दिवस की शुभकामनाएॅ देते हुए, विद्यार्थियों को यह जानकारी दी कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है। मौलिक अधिकार हमारे संविधान की आत्मा है। मौलिक अधिकार के साथ-साथ हमें मौलिक कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। हमारा यह नैतिक दायित्व है कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। भारतीय संविधान में हमारे छत्तीसगढ़ से श्री किशोरी मोहन त्रिपाठी, रविशंकर शुक्ल, ठाकुर छेदीलाल, घनश्याम सिंह गुप्ता, गनपत राव, अम्बिका चरण शुक्ल, रामप्रसाद जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारे संविधान में 395 अनुच्छेद हैं। संविधान के जनक के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर माने जाते हैं। संविधान में अनुच्छेद- 32 बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिसमें 05 प्रकार के रिट दायर करने के विषय में बताया गया है। आज हम अपने अधिकारों के विषय में तो बात करते हैं, किन्तु मूल कर्तव्यों को भूल जाते हैं। श्री कश्यप के द्वारा अनुच्छेद 14-18 तथा अनुच्छेद 19-20 के विषय में विस्तार से जानकारी दी। न्यायाधीश श्री चन्द्र कुमार कश्यप के द्वारा वार्ता में जुडे 70 विद्यार्थियों में से कुछ विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये विभिन्न प्रश्नों का बहुत ही सरल तरीके से जवाब दिया।
शिक्षा विभाग के सहयोग एवं समन्वय से 09 विकासखण्डों के स्कूली बच्चों के साथ वार्ता का आयोजन हुआ। जिसमें बच्चों के साथ संविधान की प्रस्तावना के वाचन उपरान्त प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री देवेन्द्र कुमार के द्वारा बताया कि आप सभी को पता है कि हमनें काफी गुलामी के पश्चात् आजादी प्राप्त की है। हमारा संविधान एक लिखित संविधान है। भारत का संविधान सुप्रीम है। आज का दिन हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। इतिहास उठाकर देखें तो हमारे बहुत से महानुभावों ने इसके लिये काफी कुर्बानियॉं दी हैं। यदि हम सब लोग सही तरीके से कार्य करें तो हम संविधान की मंशा को परिपूर्ण कर सकते हैं। वैसे संविधान की प्रस्तावना से स्पष्ट हो जाता है कि हमारी मंशा क्या है। मौलिक अधिकारों का हनन होने पर उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं। किन्तु जहॉ अधिकार हैं, वहॉ कर्तव्य भी है। हमें संविधान के मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए। अन्त में न्यायाधीश श्री देवेन्द्र कुमार के द्वारा सभी विद्यार्थियों को संविधान की आत्मा को जीवित रखने के लिये अच्छे नागरिक बनने की अपील की।
तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री विवेक तिवारी के द्वारा विद्यार्थियों को यह बताया कि आज के दिन हम संविधान दिवस क्यों मनाते हैं। इस पर विस्तार से जानकारी दी। न्यायाधीश श्री तिवारी के द्वारा संविधान के उद्देश्यों, मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्यों के बारे में बताया। संवैधानिक मूल्यों को बढावा देने की भी बात कही। बच्चों को यह जानकारी दी कि पहले हम संविधान दिवस नहीं मनाते थे, क्योंकि इसे मनाने की परम्परा नहीं थी। सन् 1979 में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से विधि दिवस के रूप में इसे मनाने की शुरूआत की गई। बाद में इसे अधिसूचित किया गया और उसके बाद हम इसे विधि दिवस/संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। सभी शासकीय एवं गैर शासकीय संस्थाओं में भी यह मनाया जाता है। अन्त में डॉ भीमराव अम्बेडकर के योगदान के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी दी गईं।
न्यायाधीशगण द्वारा बच्चों के पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब दिया गया तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। 09 विकासखण्ड से कुल 1000 बच्चों ने इस वेबीनार में भाग लिया। शिक्षा विभाग की ओर से इस आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया गया। वेबीनार के माध्यम से श्री चन्द्र कुमार कश्यप, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा भी जिन्दल यूनिवर्सिटी के 113 बच्चों को संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। जिन्दल यूनिवर्सिटी की ओर से इस वेबीनार आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया गया।