जगदलपुर 06 जनवरी 2021 वायरलेस न्यूज अरुण पाढ़ी /
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के कठिन एवं लोक कल्याणकारी कार्यों को देखते हुए उनको प्रदाय किये जाने वाले मानदेय में वृद्धि करने के लिए भाजपा नेता एवं पूर्व विधायक संतोष बाफना ने केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी को पत्र लिखकर संबंधित विषय में दखल देने का आग्रह किया तो दूसरी तरफ सूबे के मुखिया भूपेश बघेल को विधानसभा चुनावों के दौरान आंगनबाड़ी कर्मियों से किये गए वादे को याद दिलाने का प्रयास किया है।

पूर्व विधायक बाफना के द्वारा अपने पत्र में कहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ शासन के अन्य विभागों की तमाम ऐसी योजनाएं जिनका शहरी व ग्रामीण स्तर पर संचालन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका सुचारू रूप से कर रही हैं। जिनके अथक परिश्रम के कारण ही पूरे प्रदेशभर में बाल कुपोषण के मामले में स्थिति बेहतर हुई व मातृ एवं बाल मृत्युदर की स्थिति में भी सुधार आया है। बल्कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका बहनें इस समय प्रदेश के लिए काफी कारगर साबित भी हो रही हैं उनके प्रयास से ही तमाम ऐसी योजनाएं जो पहले ग्रामीण, दुर्गम व कठिन क्षेत्रों में पहुॅच नहीं पाती थी, अब उनके माध्यम से उन योजनाओं को वहाॅ तक पहुॅचाया जा रहा है।

लेकिन अपना कार्य निष्ठापूर्वक करने के बावजूद आज पर्यन्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को वह दर्जा नहीं मिला जिसकी वे हकदार हैं। प्रतिदिन 8 से 10 घंटे कार्य करने के बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को मात्र 6500 रूपये एवं सहायिका को 3250 रूपये का मानदेय ही प्रदाय किया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें अन्य किसी भी प्रकार की छत्तीसगढ़ शासन से सहूलियत प्राप्त नहीं होती।

छत्तीसगढ़ प्रदेश आंगनबाड़ी महिला कार्यकर्ता व सहायिका संघ के बैनर तले प्रदेशभर की सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका बहनें लम्बे अरसे से अपनी जायज मांगो के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं। विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान भी आंगनबाड़ी कर्मियों को उनकी मांगो को पूरा करने का काॅग्रेस पार्टी ने वचन भी दिया। अब सवाल उठता है कि, क्या काॅग्रेस पार्टी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं को सत्ता तक पहुॅचने का सिर्फ जरिया बनाया? राज्य में सरकार बनने के 2 वर्ष के पश्चात् भी इस दिशा में किसी भी प्रकार की अब कोई कार्यवाही न होने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका बहनें अपने को ठगा सा महसूस कर रही हैं।

इसके अलावा कोरोना महामारी के इस संकट भरे दौर में भी प्रथम पंक्ति में रहकर आंगनबाड़ी कर्मी भी निरंतर कार्य कर रहीं है और छत्तीसगढ़ प्रदेश की महिला आंगनबाड़ी कर्मियों को जो मानदेय मिलता है, वह अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ही कम है। यदि दूसरे अन्य सभी प्रदेशों को छोड़कर सिर्फ मध्यप्रदेश के आंगनबाड़ी कर्मियों के मानदेय की तुलना की जाए तो छत्तीसगढ़ प्रदेश में उसका आधा मानदेय भी आंगनबाड़ी कर्मियों को नहीं मिलता। जिस कारण महंगाई और सेवाओं को देखते हुए उनकी हालत देशभर में सबसे ज्यादा दयनीय प्रतीत होती है।