(अनिल मेसर्स की रिपोर्ट)

बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड में सैकड़ों की संख्या में आदिवासी वन अधिकार पट्टा के ठगी के शिकार हुए हैं जहां आदिवासियों से 4 से ₹5000 लेकर अवैध तरीके से गुमराह करके फर्जी वन अधिकार पट्टा वितरण किया गया है वही जब इस मामले में पत्रकारों के द्वारा सूक्ष्मता से मामले की तह कत पहुंचा गया तो पता चला कि इसमें शासकीय तंत्र के साथ-साथ बाहर के अन्य विभाग लोग भी मिलकर आदिवासियों को लूटने में कोई कमी नहीं छोड़ी है अनुमानित तौर पर देखा जाए तो लगभग हजारों पट्टे फर्जी तरीके से ग्रामीण क्षेत्रों के भोले-भाले आदिवासियों को वितरित किए गए हैं जिनमें से अभी तक जो आदिवासी संगठनों एवं पुलिस टीम से प्राप्त आंकड़ों का आकलन किया गया तो 200 फर्जी वन अधिकार पत्र लगभग ₹10 लाख रुपए की उगाही के बाद ठगी का मामला सामने आ रहा है इतना ही नहीं जिन आदिवासियों से ठगी एवं शोषण किया गया है उनके ऊपर अपराधिक प्रकरण भी लगभग दर्ज होता हुआ नजर आ रहा है वही आदिवासी संगठनों की माने तो सर्व आदिवासी समाज वाड्रफनगर के अध्यक्ष बिहारी सिंह खैरवार ने इस मामले को लेकर कमिश्नर सरगुजा व कलेक्टर बलरामपुर , पुलिस अधीक्षक बलरामपुर एवं पुलिस अनुविभागीय अधिकारी वाड्रफनगर से गुहार लगाकर ठगी के शिकार हुए आदिवासीयो की राशि वापस कराते हुए न्याय दिलाने की मांग की है और यदि आदिवासियों के ऊपर अत्याचार शोषण बंद नहीं हुआ तो इसके लिए सर्व आदिवासी समाज उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगे, जिसके लिए पुलिस प्रशासन व शासन जिम्मेवार होगे।

,, इस संबंध में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि किसी भी निर्दोष आदिवासी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होगी ,हां जो भी आदिवासियों के पास साक्ष्य है उनके आधार पर कार्यवाही की जाए — हरिहर प्रसाद यादव
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भोले-भाले आदिवासियों के साथ हुई ठगी के शिकार को लेकर जब पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मामला आप के माध्यम से प्रकाश में आ रहा है निश्चित रूप से फर्जी पट्टा में संलिप्त लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए वहीं निर्दोष आदिवासियों के साथ पुलिस सहानुभूतिपूर्वक कार्यवाही करे ,,
रामसेवक पैकरा ,,
पूर्व गृह मंत्री छत्तीसगढ़ शासन,,

गौर करने वाली बात यह है जारी वन अधिकार पत्र के हितग्राही अभी भी शासकीय भूमि पर काबिज हैं एवं इनके द्वारा ग्राम सभा में भी फॉर्म जमा है उन प्रस्ताव है यही कारण है कि यह सब ठगी के शिकार हुए जब हितग्राही उक्त वनाधिकार पत्र को पटवारी के पास लेकर गए तो उनसे मोटी रकम वसूल कर तहसीलदार के माध्यम से उनकी ऋण पुस्तिका भी जारी करा दिया गया हितग्राही काफी दिनों तक अपने घर मे ऋण पुस्तिका को रखे रहे।लेकिन अचानक सभी हितग्राहियो का ऋण पुस्तिका तहसीलदार द्वारा मंगवाकर सभी को फर्जी घोषित करते हुवे कुछ वन अधिकार ऋण पुस्तिका को खारिच कर दिया गया।गौर करने वाली बात है कि अगर पट्टा फर्जी था तो वन अधिकार ऋण पुस्तिका जारी करने से पहले ध्यान क्यो नही दिया गया ?