महामहिम राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके ने आज यहां गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 9वें दीक्षांत समारोह में शिरकत की और 141 उत्कृष्ट विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल तथा 81 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की।
बिलासपुर के अनिमेष शुक्ला को
स्वर्ण पदक एमएससी वानिकी एवम् पर्यावरण विज्ञान (वन प्रबंधन) महामहिम के हाथों प्राप्त किया, अनिमेष अलका एवेन्यू निवासी परितोष बाजपेयी के रिश्ते में भांजा है। गोल्ड मैडल प्राप्त करने पर परिजन एव मोहल्ले वासियों में का उत्साह है लोग बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे है।
इससे पहले दीक्षांत समारोह शोभायात्रा निकाली गई और विद्यार्थियों के साथ राज्यपाल सुश्री अनुसूईया उईके और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के राज्यमंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने समूह फोटो भी खिंचाई। इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी, सांसद श्री अरूण साव, बेलतरा विधायक श्री रजनीश सिंह, अटल बिहारी विश्वविद्यालय के कुलपति श्री ए.डी.एन.वाजपेयी, पं. सुंदर लाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति श्री वंश गोपाल, शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री नंद कुमार पटेरिया, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री अशोक मोडक, कुलपति श्री आलोक कुमार चक्रवाल और कुलसचिव प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार भी मौजूद रहे।
दीक्षांत समारोह में वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 यानि दो साल के 141 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल दिया गया। इसी प्रकार 81 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि दी गई।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल सुश्री उईके ने कहा कि बिलासपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध समाज सुधारक और सतनाम पंथ के संस्थापक गुरू घासीदास जी के नाम पर स्थापित है। गुरू घासीदास जी ने हमेशा समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान के लिये सदमार्ग सुझाया। उन्होंने कहा कि मानवीय संवदेना के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा से करने पर जीवन में सफलता अवश्य मिलती है। दृढ़ निश्चय और बुलंद हौसलें के साथ कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि समाज और राष्ट्र के प्रति भी हमारी जिम्मेदारियां होती है, जिनका निर्वहन हमें पूरी निष्ठा के साथ करना चाहिए। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए, उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। सुश्री उईके ने कहा कि दीक्षांत, दीक्षा का अंत नहीं है बल्कि यह दीक्षा का प्रारंभ है। इसके बाद जीवन के नए क्षेत्रों में प्रवेश कर नए अनुभवों को सीखने का मौका मिलेगा। शिक्षा हमें संस्कारवान, सौम्य और संयमी बनाती है। उन्होंने समस्त विद्यार्थियों से आव्हान किया कि वे इस अंचल के विकास तथा लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के राज्यमंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक आशावादी दृष्टिकोण आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायता करता है। शिक्षा आपको इस योग्य बनाती है कि आप अपने जीवन, समाज और देश की समस्याओं को पहचान कर उनका निदान करने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगी। संत शिरोमणी गुरूद्यासीदास जी की विरासत से ओतप्रोत यह विश्वविद्यालय देश-विदेश में उच्च शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने में सफल होगा। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी ने कहा कि दीक्षांत समारोह प्रत्येक छात्र के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। भारत में शिक्षा की गुरूकूल परम्परा रही है। हर दिन कुछ नए सीखने की प्रकिया सतत चलती रहनी चाहिए। भारतीय शिक्षा का आधारभूत लक्ष्य चरित्र निर्माण है।
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