घास फूस की झोपड़ी पर रहनेवाले परिवार की सुध लेने सरकारी तंत्र को फुरसत नहीं

अंतिम छोर तक सरकारी योजनाएं पंहुचाने के सरकारी दावे खोखले

महासमुंद-(किशोर कर ब्यूरोचीफ महासमुंद) समाज के अंतिम छोर पर स्थित व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के सरकारी दावे उस वक्त खोखले नजर आते हैं जब 90 वर्ष के बुजुर्ग व्यक्ति का परिवार सडक किनारे झोपड़ी तानकर गुजरबसर करने को विवश हो जाता है । ये हकीकत छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा पर महासमुंद जिले में स्थित छिबर्रा पंचायत के रेहटीखोल का मामला है जहां भूमिहीन, आवासहीन 90 वर्षीय बुजुर्ग वासुदेव साहू के परिवार को आज पर्यंत तक किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है । पांच सदस्यीय वासुदेव का परिवार छत्तीसगढ़ ओडिशा सीमा पर नेशनल हाईवे 53 के किनारे एक झोपडी तानकर जीवनयापन करने को मजबूर है लेकिन विडंबना है कि पंचायत प्रशासन से लेकर तमाम सरकारी नुमाइंदे आजतक सुध लेने की जहमत नहीं उठा रहे हैं। हम आपको बता दें कि समाज में गरीब, बेसहारा ,असहाय, और बुजुर्गों के लिए अनेक योजनाएं बनाई जाती है , तमाम तरह की सुविधाएं देने की बात कही जाती है लेकिन वासुदेव साहू तक ऐसी सरकारी योजनाएं क्यों नहीं पंहुच पाती यह काफी बडा सवाल खडा करता है । आखिर सरकारी योजनाएं किनके लिए तैयार की जाती है ? यह काफी अहम सवाल है । बुजुर्ग वासुदेव साहू काफी उम्मीद के साथ मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सरकार की ओर से उन्हें आधार कार्ड के अलावा अन्य किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है । उसने बताया कि पहले वह वोट भी डालता था लेकिन पिछले पंचायत चुनाव से वोटर लिस्ट से भी उसका नाम हटा दिया गया है। उसका कहना था कि उसका न तो राशनकार्ड बनाया गया है ओर न ही उसे वृद्धा पेंशन योजना का लाभ दिया गया है । ग्राम पंचायत से वह बोलते थक चुका है इतना ही नहीं क्षेत्रीय विधायक किस्मत नंद के रेहटीखोल प्रवास पर भी गुहार लगा चुका है लेकिन कोरा आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं हुआ। उसने बताया कि आवासहीन होने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना का उसे लाभ नहीं दिया गया। ऐसे हालातों सरकारी योजनाएं आखिर किनके लिए बनाई जाती है यह बडा प्रश्न सामने आ गया है। हम आपको बता दें कि सरकार द्वारा पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग बना कर ऐसे जरूरत मंद लोगों तक सरकारी योजनाओं को पंहुचाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है लेकिन वासुदेव साहू परिवार तक समाज कल्याण विभाग की नजरें नहीं जा पाना समाज कल्याण विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है।

Author Profile

Amit Mishra - Editor in Chief
Amit Mishra - Editor in Chief
Latest entries