विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की अनुसंशा पर वनमंडल में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी कर्मचारी हुए थे निलंबित

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही (विशेष संवाददाता वायरलेस न्यूज़ ) मरवाही वनमंडल में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में करोड़ों का घोटाला करने वाले वनअधिकारियों एवं कर्मचारियों को गौरेला पेंड्रा मरवाही भेंट मुलाकात कार्यक्रम में शिरकत करने आए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अमरकंटक प्रवास पर धर्म पानी पर्यावरण चेतना केंद्र एवं रिसोर्ट पर उनके सत्कार एवं आवभगत के लिए ड्यूटी में तैनात किया गया था ।निलंबित अधिकारियों की ड्यूटी किसने , किस उद्देश्य से लगाया था? यह बड़ा सवाल है! सवाल यह है कि क्या कोई किसी सुनियोजित षड्यंत्र के तहत मुख्यमंत्री की स्वच्छ छवि को खराब करने की साजिश रच रहा है ! या निलंबित अधिकारी कर्मचारियों को मुख्यमंत्री के सत्कार में लगाकर उन्हें निलंबन से माफी दिलाने एवं बहाली की कोशिश में है ! जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ऐसे निलंबित कर्मचारियों के बीच छोड़ देने का आखिर मकसद क्या रहा होगा? यह तथ्य बाहर आने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही से रायपुर और दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है!

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गौरेला पेंड्रा मरवाही 4 एवं 5 जुलाई को भेंट मुलाकात कार्यक्रम के बाद पर्यटन तीर्थ आस्था नगरी अमरकंटक गए हुए थे। इस दौरान वे बगैर तामझाम के छत्तीसगढ़ से जुड़े अमरकंटक और उसके आसपास के क्षेत्रों के भ्रमण पर थे तथा रात्रि विश्राम उन्होंने धरमपानी के वन पर्यावरण चेतना केंद्र के रिसॉर्ट में किया। धर्म पानी मैं मुख्यमंत्री के सत्कार की पूरी व्यवस्था वन विभाग के जिम्मे था। मुख्यमंत्री कहां रुकेंगे ? किस कमरे में रुकेंगे ? क्या खाएंगे ? पर्यटन के क्षेत्र से उन्हें क्या दिखाना उचित होगा ? यह सभी व्यवस्था वन विभाग के जिम्मेदारी में था। अमरकंटक से सटा
धरमपानी का इलाका अत्यंत रमणीक है जो एक तरह से छत्तीसगढ़ का स्वर्ग है ।लगभग 3500 तराई में स्थित धरम पानी का यह रिसॉर्ट अत्यंत मनोरम एवं सुंदर हैं जिसके कारण निश्चित ही मुख्यमंत्री को यह सभी चीजें अत्यंत लुभाई होंगी ,परंतु यहां कुछ बातें ऐसी भी थी जो शायद मुख्यमंत्री की जानकारी में होती तो उनकी शांति भंग हो जाती ! दरअसल यहां खटक ने वाली बात यह थी कि पता नहीं किसके कहने पर यहां मुख्यमंत्री के सत्कार में ऐसे वन अधिकारी कर्मचारियों को ड्यूटी में लगाया था जो 2 माह पहले ही मरवाही वनमंडल में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना में करोड़ों का भ्रष्टाचार करने के कारण विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत की अनुशंसा पर निलंबित हुए थे। निलंबित कर्मचारियों में राकेश मिश्रा सेवानिवृत्त तत्कालीन प्रभारी उप वन मंडल अधिकारी गौरेला, के पी डिंडोरी, तत्कालीन उप वन मंडल अधिकारी गौरेला, गोपाल प्रसाद जांगड़े तत्कालीन वन परीक्षेत्र अधिकारी, अंबरीश दुबे तत्कालीन वन परिक्षेत्र सहायक गौरेला अश्वनी कुमार दुबे तत्कालीन वन परिक्षेत्र सहायक केंवची, उदय तिवारी तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पीपरखूंटी, अनूप कुमार तिवारी तत्कालीनप्रभारी वन परिक्षेत्र अधिकारी गौरेला, वीरेंद्र साहू तत्कालीन वनरक्षक चुकतीपानी, दीपक कोसले तत्कालीन वनरक्षक ठाड़ पथरा , देवेंद्र कश्यप तत्कालीन वनरक्षक पड़वनिया, पन्ना लाल जांगड़े तत्कालीन वनरक्षक आमा नाला, नवीन बंजारे तत्कालीन वनरक्षक, लाल बहादुर कौशिक तत्कालीन वनरक्षक, सहित सेवानिवृत्त तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी शामिल थे जिनमे से कुछ अधिकारियों की मुख्यमंत्री के सत्कार की जवाबदारी थी। अब ऐसे में जब इन निलंबित अधिकारियों के नाम बाहर आए हैं राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि क्या जानबूझकर किसी सुनियोजित षड्यंत्र के तहत मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के लिए ऐसे निलंबितअधिकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी? मुख्यमंत्री के सत्कार एवं व्यवस्था में लगाई गई थी। करोड़ों केभ्रष्टाचार के बाद विधानसभा से ही सीधे निलंबन एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही की सजा प्राप्त अधिकारी कर्मचारियों को इस तरह मुख्यमंत्री के सत्कार में लगाना किसी सुनियोजित साजिश का भी हिस्सा हो सकता है! जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भी यह बड़ी चूक है! यदि इस मामले को पुलिस मुख्यालय गंभीरता से लेता है तो वन विभाग के बड़े जिम्मेदार अधिकारी तक जांच के दायरे में आ सकते हैं तथा उन पर कार्यवाही की बड़ी गाज गिर सकती है! जबकि कुछ लोगों को यह लगता है कि इन निलंबित अधिकारी कर्मचारियों को मुख्यमंत्री के सत्कार में लगाने का मकसद यह हो सकता है ताकि उन्हें मुख्यमंत्री से क्षमादान दिलाया जा सके और बहाली प्राप्त की जा सके। बाहर हाल इन सब के पीछे मकसद क्या है यह तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही पता लगेगा? परंतु इस घटनाक्रम के बाहर आने के बाद गौरेला पेंड्रा मरवाही से रायपुर एवं दिल्ली के राजनीतिक गलियारों तक इसकी चर्चा दबे स्वर हो रही है।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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