बिलासपुर ( वायरलेस न्यूज) डिजीटल होतीं लोक अदालतें विदेश में बैठे लोगों द्वारा अपने प्रकरणों का निराकरण
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा के निदेर्शानुसार वर्ष 2022 की तीसरी लोक अदालत का आयोजन माननीय मुख्य संरक्षक छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं माननीय कायर्पालक अध्यक्ष महोदय छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मागर्दशर्न में छत्तीसगढ़ राज्य में तालुक स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।

लोक अदालत का आयोजन भौतिक एवं वचुर्अल दोनों पद्धति से किया गया। इसके साथ ही पेटी प्रकरणों के निराकरण के लिए मजिस्ट्रेट की विशेष सिटिंग की भी स्थापना की गई थी। नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह समझौता के माध्यम से 368000 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया, जबकि 700000 से अधिक पक्षकारों को इससे राहत पहुंची। लोक अदालत के आयोजन हेतु प्रदेश भर में 491 खण्डपीठों का गठन किया गया था, इसमें तीन खण्डीपीठ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में भी गठित की गई थी। लोक अदालत में मोटर दुघर्टना के 896 प्रकरणों को
निराकरण किया गया तथा 356504333/- रूपये का अवाडर् पारित किया गया। सोलह हजार से ज्यादा आपराधिक दाण्डिक प्रकरणों का निराकरण किया गया, 1800 चेक बाउंस प्रकरणों का निराकरण किया गया, लगभग 650 पारिवारिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस प्रकार लगभग 32000 सिविल न्यायालयों में प्रकरणों का निराकरण किया गया। सवार्धिक एक लाख से अधिक प्रकरण रायपुर जिले में, अन्ठावन हजार राजनांदगांव जिले में तथा तीस हजार सरगुजा जिले में निराकृत किए गए। आज आयोजित इस नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण जिला न्यायालय जांजगीर में माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी, कायर्पालक अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा किया गया। उन्होंने इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए कहा कि न्यायालयों में पेंडेंसी तो है और नए प्रकरण भी आ रहे हैं और आए भी, लेकिन साथ में पुराने प्रकरण भी निपटते जाए इससे लोगों का विश्वास बना रहे। उन्होंने कहा कि यहां प्रकरण के दोनों पक्षकार अपने प्रकरणों के निपटारे से खुश रहते हैं। प्रकरणों के लोक अदालत में निराकृत हो जाने से लम्बे लिटीगेशन से मुक्ति मिलती है और त्वरित न्याय का मार्ग भी प्रशस्त होता है। उन्होंने अधिवक्ताओं से आहवान किया कि जूनियर अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करें, चेक बाउंस, मेट्रोमोनियल, बैंक, मोटर दुघर्टना के प्रकरण अधिक से अधिक का निराकरण लोक अदालत में होना चाहिए, जिससे लोगों को शीघ्र राहत मिलती है। उन्होंने कहा कि जब एक प्रकरण निपटता है तो दो से अधिक लोगों को उसका लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कोर्ट में पक्षकारों की भीड़ देखते हुए कहा कि पूरे प्रदेश भर में बारिश हो रही है,रास्ते बंद हैं परंतु इतनी अधिक उपस्थिति से पक्षकारों का लोक अदालत के प्रति उत्साह दिख रहा है। विधिक सेवा कार्यों में अधिवक्ताओं का हमेशा सहयोग प्राप्त होता रहा है आगे भी होता रहेगा, ऐसा विश्वास है। उन्होंने आज जिला न्यायालय जांजगीर में श्री विवेक तिवारी न्यायाधीश परिवार न्यायालय के न्यायालय में उपस्थित हुए तीन जोड़ों के वैवाहिक प्रकरण में पक्षकारों से चर्चा की उन्हें सुलह हेतु प्रेरित किया, जिससे पक्षकारों द्वारा अपने प्रकरण में सुलह कर साथ रहने हेतु सहमति प्रकट की गई। जिला न्यायाधीश श्री सुरेश सोनी के न्यायालय चोला मण्डलम कम्पनी द्वारा एक प्रकरण 1194487/- वसूली का महेंद्र कुमार एवं मीना बाई के खिलाफ पेश किया गया था तथा उसके बकाया राशि की मांग की गई थी, जिला न्यायाधीश के समझाईश के पश्चात् दोनों पक्षकारों ने एक लाख रूपये में प्रकरण में समझौता करना स्वीकार किया, जिसे पक्षकार ने तत्काल जमा किया। आज की लोक अदालत में जिला न्यायालय दुर्ग में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्षकारों द्वारा अपने प्रकरणों में समझौता किया गया।

विदेश से पक्षकारों ने किया समझौता
- पीठासीन अधिकारी श्री सत्यानंद प्रसाद के समक्ष वर्ष 2018 का लंबित दांडिक प्रकरण राजीनामा हेतु सुनवाई किया गया । दांडिक प्रकरण में 03 पक्षकार प्रार्थी थे जो एक ही परिवार के सदस्य थे। उनमें से माता.पिता न्यायालय में राजीनामा हेतु उपस्थित हुए तथा एक प्रार्थी दुबई में निवासरत् था जिसकी पहचान उसके माता.पिता के द्वारा की गई तथा विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जोडा जाकर उसके पुत्र से राजीनामा के संबंध में पूछताछ किया गया तथा उसके द्वारा बिना किसी डर.दबाव के आरोपीगण से राजीनामा किया जाना व्यक्त किया गया है। उनका विवाद डीजे बजाने से मना करने से हुए मारपीट एवम गाली गलौच से संबंधित था। प्राथीर्गण एवं आरोपीगणों के द्वारा आपसी सहमति से अपने विवाद को समाप्त किया ।
- एक अन्य मामला पीठासीन अधिकारी कु0 अंकिता तिग्गा के समक्ष प्रस्तुत हुआ। वर्ष 2018 के न्यायालयीन प्रकरण मेें आरोपीगण के विरूद्व धारा. 294,506बी, 325/34 भा.दंड.संहिता का अपराध पंजीबद्व किया गया था। जिसमें से एक आरोपी की मृत्यु हो चुकी थी तथा प्रार्थी की भी मृत्यु हो गई थी। मृत प्रार्थी के विधिक वारिसान उनकी पुत्री जो वतर्मान में “स्काटलैड” में निवासरत थी उनसे विडियों कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जोडा जाकर राजीनामा के संबंध में पूछताछ किया गया, तद्पश्चात राजीनामा के आधार पर प्रकरण को समाप्त किया गया।
- पीठासीन अधिकारी श्रीमती सरोजनी जनार्दन खरे के समक्ष थाना.सुपेला में आरोपी के विरूद्व दर्ज धारा. 294,506बी,427 भा.दं.संहिता का प्रकरण प्रस्तुत हुआ । पीठासीन अधिकारी के द्वारा प्रकरण में राजीनामा किये जाने हेतु प्रयास किया गया । प्रार्थी जम्मू कश्मीर में था जिससे विडियो कान्फे्रसिंग के माध्मय से संपर्क साधा गया । आरोपी एवं प्राथी के मध्य राजीनामा हेतु सहमति दिये जाने पर प्रकरण लोक अदालत में आपसी राजीनामा के आधार पर समाप्त किया गया।
*दिव्यांग एवं वृद्वजन के प्रकरण लोक अदालत में हुए निराकृत*
पीठासीन अधिकारी श्री विवेक कुमार वर्मा के समक्ष व्यवहार अपील जो वर्ष 2020 से न्यायालय में लंबित थी संबंधित प्रकरण में 05 अपीलार्थी एवं 02 उत्तरवादी थे जिसमें से अपीलार्थी क्रमांक.03 दिव्यांग थी। सभी पक्षकारों के द्वारा खंडपीठ के समक्ष राजीनामा के आधार पर संपत्ति के संबंध में प्रस्तुत न्यायालयीन प्रकरण को समाप्त किये जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया । पक्षकारों के मध्य संपत्ति के संबंध में उत्पन्न सिविल अपील प्रकरण राजीनामा के आधार पर समाप्त किया गया।
78 वषीर्य वृद्व एवं दिव्यांग महिला के द्वारा अपने बडे पुत्र के विरूद्व घोषणा का वाद न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। जिसकी सुनवाई पीठासीन अधिकारी श्री विवेक नेताम के समक्ष की गई। वादी पक्ष में मां एवं छोटा पुत्र था तथा प्रतिवादी के रूप में बडा पुत्र था। विवादित संपत्ति को माता.पिता के द्वारा अपने बडे पुत्र के नाम से क्रय किया था उस समय छोटा पुत्र पैदा नही हुआ था। विवादित संपत्ति बडे पुत्र के नाम से दर्ज थी जिसके लिए माॅ के द्वारा न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया गया था। आज नेशनल लोक अदालत में परिवार के सभी लोगों के द्वारा विवादित संपत्ति पर राजीनामा किया एवम् परिवार टुटने से बच गया।
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