रनवे 34 के बारे में बताएं?

मैं फिल्मों के सेट पर बड़ा हुआ हूं, जहां मैंने असिस्ट करने से लेकर कैमरा संभालने तक, एडिटिंग से लेकर सेट पर छोटे-छोटे काम करने तक, सब किया है। इन अनुभवों ने ही मुझे आज इस तरह का कलाकार बनाया है। एक एक्टर के रूप में, मुझे हमेशा चुनौतियां पसंद हैं। कुछ नया आजमाने में मेरी बड़ी दिलचस्पी है। यह जॉनर, जो कि एक एविएशन ड्रामा है, देश में बिल्कुल नया है। यह एक ऐसा जॉनर है, जिसमें मुझे वाकई मजा आता है। इस स्क्रिप्ट में काफी ड्रामा, थ्रिल, इमोशन और सस्पेंस है। दर्शकों को हमारे साथ होने वाली स्थितियों का अनुभव कराने के लिए एयरक्राफ्ट, से लेकर कलाकार और माहौल ‌तक, सभी चीजें वास्तविक रखना जरूरी था। मुझे लगता है कि इसकी वास्तविकता दर्शकों को उसी पल आकर्षित कर लेगी, जब वे अपनी स्क्रीन पर नजरें जमाएंगे। मुझे लगता है कि रनवे 34 एक ऐसी फिल्म है, जिसे ज़ी सिनेमा के दर्शक पसंद करेंगे।

क्या स्क्रिप्ट चुनने के मामले में आप कोई खास प्रक्रिया अपनाते हैं?

आमतौर पर यह ज़ेहनी ख्याल होता है, लेकिन वक्त और अनुभव के साथ यह ख्याल बड़ा स्वाभाविक हो जाता है, जहां आप अपने दिमाग में संभावनाओं पर विचार करतें हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मैं किस तरह के सिनेमा से जुड़ना चाहता हूं – एक खलनायक के रोल के साथ प्रयोग करना चाहता हूं या फिर कोई पीरियड फिल्म करना चाहता हूं। इसके लिए कोई निर्धारित नियम नहीं हैं, जिसका पालन करना होता है। मैं खुद को किसी तरह के नियम में नहीं बांध सकता। मुझे लगता है कि आपको पता चल जाता है कि क्या सही है और आप समझ जाते हैं कि कौन-सा रोल आपके लिए है।

इस फिल्म में आपको सबसे ज्यादा किस बात ने आकर्षित किया, जिससे प्रेरित होकर आपने यह फिल्म की?

इसका सीधा-सा प्लॉट है, लेकिन इसकी कहानी का तरीका बड़ा दिलचस्प है। मुझे इस फिल्म के बारे में खास तौर पर यह बात पसंद आई कि इसमें एक घटना को लेकर आपके द्वारा उठाए गए कदमों के साथ-साथ उसका अंजाम भी दिखाया गया है। ये कोई ऐसी कहानी नहीं है, जहां नायक कुछ भी करे और बच जाए। कुछ लोग जो जिम्मेदार हैं, उनसे सवाल किए जाते हैं। कोर्टरूम ड्रामा, सारी चर्चाएं और बहस बहुत वास्तविक और विषय से जुड़ी हुई हैं। यह बड़ा दिलचस्प पहलू है और फिल्म में एक नया नजरिया लेकर आता है। अमित सर और मेरे किरदार के बीच की लड़ाई भी आपके अंदर दिलचस्पी जगाए रखेगी। लोगों में तनाव और उलझन का एहसास करा पाना बड़ा मुश्किल काम है। इस फिल्म के बारे में वाकई अंदाज़ा लगाना मुश्किल है और इसमें कुछ भी निश्चित नहीं है और यही खूबी मेरे लिए सबसे रोमांचक है। मेरी राय में यह एक इंटेलिजेंट फिल्म है और इतने शानदार कलाकारों के साथ इसे फिल्माते हुए मुझे बहुत मज़ा आया।

अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मैं जानता था कि यह रोल उनके लिए ही है। यदि वो राजी ना हुए होते, तो मैंने इस प्रोजेक्ट को ही रद्द कर दिया होता। एक एक्टर के तौर पर उन्हें इतनी लगन, प्यार, मेहनत और समर्पण के साथ वो करते देखना जो करना उन्हें बहुत पसंद है, बड़ा प्रेरणादायक है। मैं एक इंसान और एक एक्टर के तौर पर उनसे बेहद प्रभावित हूं। जब मैं कहता हूं कि यह ज़िंदगी का सबसे बड़ा मौका था, तो मेरे लिए इस बात के मायने होते हैं। इतने वर्षों के बाद भी मैंने उन्हें कभी ढिलाई बरतते या बिना तैयारी के नहीं देखा। वो अपने हर प्रयास और हर रोल को गंभीरता से लेते हैं। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि मेरा उनसे इस तरह का तालमेल है, जहां मैं उनके पास जाकर बिना किसी झिझक के अपने आइडियाज़ उन्हें बता सकता हूं। सेट पर उनके साथ कोई भी बोरियत भरा पल नहीं होता। हर पल मजेदार और सीखने वाला होता है।

डायरेक्टर की कुर्सी पर वापसी करने के बारे में बताए?

एक डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठने की बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं। अपनी फिल्म को लेकर आपकी राय स्पष्ट होनी चाहिए, ताकि आपकी टीम वही विजुअलाइज कर सके और आप इसे पर्दे पर बखूबी उतार सकें। यह फिल्म पूरी तरह आपकी हो जाती है और इसे त्रुटिहीन बनाने के लिए आप सबकुछ करते हैं। ‘रनवे 34’ मेरे पास लॉकडाउन के दौरान आई थी और जितना ज्यादा मैंने इस स्क्रिप्ट का अध्ययन किया, उतना ही मैं इसका निर्देशन करने के लिए उत्सुक हो गया। जिस तरह से मैंने इस फिल्म को देखा, इससे मुझे यकीन था कि मैं इस फिल्म में अमित जी को लेना चाहता हूं। उनके बिना मैं यह फिल्म बनाना ही नहीं चाहता था! जब वो इसके लिए मान गए, तो उत्साह की एक नई लहर दौड़ गई, जिसने ‘रनवे 34’ को मेरे लिए एक पैशन प्रोजेक्ट बना दिया।