बिलासपुर (अमित मिश्रा संपादक वायरलेस न्यूज़20 मार्च) बचपन की सुखद स्मृतियों में गौरैया जरूर आती है क्योंकि सबसे पहले बच्चा इसी चिड़िया को पहचानता है।

असपास पड़ोस के सभी घरों में इनके घोंसले दिखाई देता था।आंगन में या छत की मुंडेर पर ये दाना चुगते दिखाई पड़ता था।बस स्टेंड रेलवे स्टेशन पर झुंड के झुंड फुदकते हुए दिखाई देती थी,
प्रचीन काल से ही हमारे उल्लास, स्वतंत्रता, परम्परा और संस्कृति की संवाहक वही गौरैया अब संकट में है।संख्या में लगातार गिरावट से उसके विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इसको बचाने के लिए पिछले साल ही गौरैया को राजकीय पक्षी घोषित किया है, हांलाकि बिहार राज्य का भी ये राजकीय पक्षी है।
सहचरी-

घरों में धार्मिक कार्यक्रम एवं वैवाहिक समारोह में दीवारों पर चित्रकारी करने में फूल पत्तियों एवं पेड़ के साथ गौरैया चिड़िया के चित्र अनेक प्रांतो में देखने को मिलता है।
कई राज्यों के आदिवासियों की लोककथाओं में गौरैया चिड़िया का वर्णन मिलता हैं।ओडिशा की सौरा (संवरा) आदिवासी , महाराष्ट्र के वर्ली आदिवासी जिनकी उत्तपत्ति 2500 से 3000 के आसपास मानी जाती है, रामायण और महाभारत में इसका उल्लेख संवरा के नाम से मिलता है। और भी देश के कई आदिवासियों के घरों में चित्र बनाने की परंपरा मिलती है।
उत्तर भारत की संस्कृति में यह चिड़िया इस तरह रची बसी है की प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा ने कहानी गौरैया में कामना की है कि हमारे शहरी जीवन को समृद्ध करने के लिए गौरैया चिड़िया फिर लौटेगी ?

संकट –
बगीचों से लेकर खेतों तक हर जगह इनकी संख्या में गिरावट को देखते हुए इनको पक्षियों की संकटग्रस्त प्रजाति की रेड सूची में शामिल किया गया है।
आधुनिक घरों का निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि, इनमें पुराने घरों की तरह, छज्जों, टाइलों और कोनो के लिए जगह ही नही छोड़ी जाती है, जबकी यही स्थान गोरयों के घोंसले के लिए उपयुक्त माना जाता है।
शहरीकरण के इस नए दौर में घरों में बगीचों का स्थान ही नही छोड़ा जा रहा है।
*पेट्रोल के दहन से निकलने वाला मैथिल नाइट्रेट छोटे कीटों के लिए विनाशकारी होता है, जबकि यही कीट चूजों के लिए खाद्य पदार्थ होते हैं।
*मोबाइल फोन टावरों से निकलने वाली तरंगों में इतनी क्षमता होती है कि जो इनके अंडों को नष्ट कर सकती है।
बचाव के उपाय-
*घर की छत एवं टेरस पर अनाज के दानों को डालें।
*यदि घर मे स्थान है तो बागवानी करें।
साफ जल रखें।

*घोंसले के स्थान पर पात्र में थोड़ा खाद्य पदार्थ रखें।
*स्वस्थ पर्यावरण में रहें जिससे चिड़िया भी रह सके।
*घर पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव न करें।
*चिड़िया एक नाम अनेक-
देश मे अलग अलग बोलियों व भाषाओं क्षेत्रों में गौरैया को विभिन्न नामों से जाना जाता हैं।
वैज्ञानिक नाम- पेसर डोमेस्टिकस, उर्दू में चिरया, सिंधी में झिरकी, पंजाब में चिरी, जम्मू कश्मीर में चेर, बंगाल में चरई
पाखी, ओडिशा में घरछतिया, गुजरात में चकली, महाराष्ट्र में चिमनी, तेलगु में पिछुका ,कन्नड़ में गुब्बाची, तामिलनाडु और केरल में कुरुवी।

Author Profile

Amit Mishra - Editor in Chief
Amit Mishra - Editor in Chief
Latest entries