महंगाई…….दे दनादन……..

रोहरानन्द और बांकेलाल यूं तो गहरे दोस्त हैं पर जब भी मिलते हैं उनमें बहस-मुबाहसे शुरू हो जाते हैं।अभी कल ही की बात है ,वे मिले तो महंगाई को लेकर बहस शुरू हो गई।फिर क्या था दे दनादन।

बांकेलाल जी बोले-देख रहे हो महंगाई को,आदमी का जीना मुश्किल हो गया है।रसोई गैस के दाम रोज-रोज बढ़ रहे हैं।रोहरानन्द जी बोले-भाई बीके अपने पीएम साहब ने पहले ही कह दिया था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा।तब ही समझ जाना था कि अपनी कमर कस लो बच्चू अब एक समय ही खाना है।लोगों को हजार समझाओ,रहेंगे बेवकूफ़ के बेवकूफ़।दिन में चार टाइम खाएंगे।अब लो खाओ दनादन।
रोहरानन्द जी का तकिया कलाम बन चुका है दनादन।इसका प्रयोग वे अपनी बात में सही समय करते हैं।वे आगे बोले-अब लो रसोई गैस की कीमत आठ सौ सत्तर रुपये के करीब पहुंच गई है।न रहेगी गैस, न बनेगा खाना दनादन।
बांकेलाल जी ने कहा-हम तो न खाऊंगा, न खाने दूंगा का मतलब यह समझे थे कि वे रिश्वत खाने की बात कर रहे हैं।रोहरानन्द जी ने कहा-अरे बौड़म दास रिश्वत भी कोई खाने की चीज है।यह तो खाया-पिया पचाने की चीज है।रिश्वतखोरी बंद हो जाएगी तो सरकार क्या करेगी?एसीबी,सीबीआई वाले दे दनादन छापा मारने क्या अमेरिका जाएंगे ?
बांकेलाल जी ने कहा- रोहरानन्द तुम्हें मज़ाक सूझ रही है,यहां अपनी जान जा रही है।तेल,शक्कर सब जिन्सों के भाव बढ़ गए हैं।हालत यह हो गई है कि नँगा क्या खाये, क्या निचोड़े।पेट्रोल के भाव में आग लगी हुई है।सुबह घर से निकलो तो शाम घर पहुंचते तक दाम बढ़ जाते हैं।
रोहरानन्द जी ने कहा-भाई बीके सायकल क्यों नहीं चलाते ?इससे स्वास्थ भी ठीक रहेगा।डॉक्टरों और दवाइयों के पैसे बचेंगे।आजकल तो साठ-सत्तर हजार रुपए में इलेक्ट्रिक बाइक आ जाती है।घूमे-फिरे फिर घर आकर बाइक को दनादन चार्जिंग में चढ़ा दिए।बचत करना सीखिए।अपने एक पूर्व के पीएम ने अरहर दाल की कीमत बढ़ी तो कहा था कि मटर की दाल खाओ।विकल्प का इस्तेमाल करो भाई।अनाज की कीमत बढ़ गए हैं तो घास को ट्राई क्यों नहीं करते ?यह अच्छा विकल्प है।इससे समानता आएगी पशुओं और आदमी में।
बांकेलाल जी ने कहा- बिजली की प्रति यूनिट चार्ज में भी तो इज़ाफा हो गया है।यहां हर महीने का बिल सरचार्ज के साथ ही हम पटा पाते हैं।रोहरानन्द ने पूछा-लंगर कनेक्शन के बारे तुम जानते हो या नहीं?यह बहुत काम की चीज है बस सतर्कता बरतनी पड़ती है कि कहीं पकड़े न जाएं।आजकल मीटर में भी अक्लमंद कुछ छेड़-छाड़ करना सीख गए हैं।
बांकेलाल ने कहा-अपन ईमानदार आदमी हैं।ऐसे गलत काम नहीं कर सकते।रोहरानन्द ने कहा-तो भाई ईमानदारी से महंगी चीजें लेकर जीवन गुजारिये फिर क्यों रोना रोते हैं महंगाई का ?सरकार तो अपना काम दनादन कर रही है।आप भी दनादन पिटे जाइये।इस पर बांकेलाल ने कहा-आप तो हमें पिटवाने के चक्कर में रहते हैं।बस यहीं से तकरार बढ़नी चालू हो गई।
रोहरानन्द ने कहा-सड़क छाप पत्रकारिता करते हो और कॉलोनी छाप बातें।खुद में दम न हो तो बातें क्यों बड़ी-बड़ी करते हो?तुम्हारे पड़ोसी को देखो, चपरासी है पर कितने मजे से उसका घर चल रहा है।तुम बड़े बाबू हो फिर भी घर चलाने में कराह रहे हो।बांकेलाल ने कहा-वह घूसखोरी करता है।रोहरानन्द ने कहा-तुम क्यों नहीं करते?देखो उसने कैसे दनादन कोठी तैयार कर ली है।उनके लड़के बाइक और कार में चलते हैं।सारी ईमानदारी का ठेका क्या तुमने ले रखा है?बांकेलाल प्रेक्टिकल हो जाओ नहीं तो दनादन मरोगे भूखे।