आदिम जाति कल्याण विभाग बस्तर को बचाने में है सरकार – नरेंद्र भवानी
 
 
जगदलपुर 18 सितंबर 2020
 (वायरलेस न्यूज़ अरुण पाढ़ी)
 बस्तर जगदलपुर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र भवानी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आदिम जाति कल्याण विभाग के 2014 में हुई सीधी भर्ती से दुर्गन्ध आते देख कहा कि सीधी भर्ती 2014 के तहत चयन समिति गठित कर अपने चहेते अभ्यर्थियों को उपकृत करने की नियत से सहुलियत के अनुसार फर्जीवाड़ा का सिस्टम विकसित कर भर्ती कर लिया गया था, जिसमें कर्मचारियों का एक वर्ग को लिखित परीक्षा में टॉपर होने के बाद भी कभी नियमित न होने के पेंच में जान बूझकर फंसा दिया गया है जिससे कर्मचारियों व उनके ऊपर आश्रित परिवार का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इस संबंध में संघ के लोगों ने मंत्री कवासी लखमा को ज्ञापन भी सौंपा गया है ! व प्रकरण को देख मंत्री ने व्यापक रूप से फर्जीवाड़ा मानकर नोटशीट में आदेश जारी कर 7 जनवरी को विभागीय मंत्री डॉ प्रेमसाय से जांच के लिए आग्रह किया गया था। बावजूद आज पर्यन्त जांच कमेटी गठित न होने से लीपा- पोती होने का संशय बना हुआ है और कहीं ना कहीं सरकार आदिम जाति कल्याण विभाग बस्तर को बचाने में लगी है या यह कहें कि जांच आदेश के बाद भी अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए जांच ही ना कर रहे हो लेकिन प्रशासन को इस पर संज्ञान ले दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए। इसमे जांच हुई तो कइयों का जेल जाना तय है और सरकार को जांच करनी पड़ेगी क्योंकि यह बस्तर के दिव्यांग बेरोजगार भाइयों का मामला है और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी उनके साथ है मामला विधानसभा मे भी पार्टी केविधायक द्वारा प्रश्न करवा कर ध्यानाकर्षण पर लाएंगे लेकिन न्याय जरूर दिलाएंगे और दोषियों को सजा भी। 
 
आर टी आई से हुआ मामला उजागर
 
संघ के अध्यक्ष एवं सचिव ने बताया कि आरटीआई के तहत पूरा मामला उजागर हुआ है। इनमें लिखित परीक्षा के उत्तर पुस्तिका के अवलोकन में पाया गया कि 849 कर्मचारियों में से मात्र 217 कर्मचारियों का अवलोकन कराया गया था जिसमें 217 में से 41 अभ्यर्थियों के उत्तर पुस्तिका में भारी गड़बड़ी पाई गई। अपने चहेते अभ्यर्थियों का कुल प्राप्तांक सफेदा का प्रयोग कर जानबूझकर बढ़ाया गया जबकि कुछ प्रतिभावान अभ्यर्थियों का कुल प्राप्तांक घटाया गया है। उत्तरपुस्तिका का मुख पृष्ठ स्पष्ट उल्लेख होने के बाद कांट-छांट किए गए प्रश्नों का भी अपने चहेते अभ्यर्थियों को अंक दिया गया है। जिन कर्मचारी व अधिकारी को आहरण संवितरण का अधिकार नहीं है उस अधिकारी व कर्मचारी द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया है। जारीकर्ता अधिकारी की पदमुद्रा भी नहीं है। नियमित कर्मचारियों को भी अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया गया है। वर्गवार चयन सूची जारी करने व काउंसिलिंग के बाद भी अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर अनुभव का लाभ दिया गया है।
 
ऐसे फर्जीवाड़ा खुलेआम करने वाले अधिकारी अगर बस्तर में जमे रहेंगे तो भला कैसे बस्तर का होगा । जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे पार्टी छत्तीसगढ़ सरकार एवं बस्तर जिला प्रशाशन से मांग करती है कि इस मामले को जांच कर त्वरित जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करें और दोषियों को सजा दे पात्र बेरोजगारों को नौकरी देवें अन्यथा ज्ञापन धरना व अन्य आंदोलन नहीं सीधे आमरण अनशन होगा और तब तक जब तक मामले मे पारदर्शिता से जांच ना हो जाय तब तक जब तक दोषियों पे त्वरित कार्यवाही ना हो जाये तब तक जब तक पात्र बेरोजगार साथियों को नौकरी ना मिल जाय ।

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Amit Mishra - Editor in Chief
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